मंझन (16वी शताब्दी)

मंझन और उनकी कृति ‘मधुमालती’

1. मंझन (16वीं शताब्दी)

  • 16वीं शताब्दी के सूफी कवि।
  • 1545 ई. में मधुमालती की रचना की।
  • जायसी के पद्मावत के पाँच वर्ष बाद यह ग्रंथ रचा गया।
  • जायसी द्वारा उल्लेखित मधुमालती मंझन की नहीं है।

2. ‘मधुमालती’ का कथानक

  • मुख्य कथा:
    • कनेसर नगर के राजा सूरजभान के पुत्र राजकुमार मनोहर और महारस नगर की राजकुमारी मधुमालती की प्रेम और वियोग कथा।
    • अप्सराएँ मनोहर को उड़ाकर मधुमालती की चित्रसारी में पहुँचा देती हैं, जहाँ दोनों का प्रेम पनपता है।
  • समानांतर कथा:
    • प्रेमा और ताराचंद की प्रेमकथा भी साथ चलती है।

3. प्रमुख विशेषताएँ

  • प्रेम का उच्च आदर्श प्रस्तुत किया गया है।
  • सूफी काव्यों में प्रायः नायक की दो पत्नियाँ होती हैं, लेकिन यहाँ मनोहर प्रेमा से बहन का संबंध स्थापित करता है।
  • जन्म-जन्मांतर में प्रेम की अखंडता को दर्शाया गया है।
  • भारतीय पुनर्जन्मवाद की अवधारणा को अपनाया गया, जबकि इस्लाम पुनर्जन्मवाद नहीं मानता।

4. सूफी दर्शन और आध्यात्मिक संकेत

  • लोक वर्णन के माध्यम से अलौकिक सत्ता का संकेत दिया गया है।
  • उदाहरणस्वरूप, सूफी विचारधारा को व्यक्त करने वाले कुछ पंक्तियाँ—
    • “देखत ही पहिचानेक तोही। एही रूप जेहि छँदरयों मोही।।”
    • “एही रूप बुत अहै छपाना। एही रूप रब सृष्टि समाना।।”
    • “एही रूप सकती औ सीऊ। एही रूप त्रिभुवन कर जीऊ।।”
    • “एही रूप प्रगटे बहु भेसा। एही रूप जग रंक नेरसा।।”

5. निष्कर्ष

प्रेम, पुनर्जन्म, और अलौकिक तत्वों के माध्यम से आध्यात्मिकता को दर्शाया गया है।

मधुमालती एक महत्वपूर्ण सूफी प्रेमाख्यानक काव्य है।

इसमें भारतीय और सूफी तत्वों का समन्वय देखने को मिलता है।