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विश्वनाथ संस्कृत काव्यशास्त्री

आचार्य विश्वनाथ महापात्र

(संस्कृत काव्यशास्त्र के आचार्य)

परिचय

  • संस्कृत काव्यशास्त्र के मर्मज्ञ
  • साहित्य दर्पण और अन्य अनेक साहित्यिक ग्रंथों के रचयिता
  • काव्यप्रकाश दर्पण – आचार्य मम्मट के काव्य प्रकाश की टीका
  • पिता: चंद्रशेखर
  • पितामह: नारायणदास

साहित्य में योगदान

  • रस को साहित्य की आत्मा मानने वाले प्रथम संस्कृत आचार्य
  • सूत्रवाक्य: “रसात्मकं वाक्यं काव्यम्” – आज भी साहित्य का मूल सिद्धांत माना जाता है
  • साहित्य में रस सिद्धांत की स्थापना
  • उनके दर्शन को विश्वव्यापी ख्याति मिली

प्रमुख कृतियाँ

  1. साहित्य दर्पण – रस को साहित्य की आत्मा के रूप में प्रतिपादित
  2. काव्यप्रकाश दर्पणकाव्यप्रकाश की टीका
  3. राघव विलास – संस्कृत महाकाव्य
  4. कुवलयाश्वचरित् – प्राकृत भाषाबद्ध काव्य
  5. नरसिंह विजय – संस्कृत काव्य
  6. प्रभावती परिणय – नाटिका
  7. चंद्रकला – नाटिका
  8. प्रशस्ति रत्नावली – सोलह भाषाओं में रचित करंभक (बहुभाषाविज्ञता का प्रमाण)

विशेषताएँ

  • बहुभाषाविज्ञ – संस्कृत, प्राकृत और अन्य भाषाओं में दक्ष
  • विद्वत्ता और पांडित्य का प्रमाण उनकी रचनाओं में स्पष्ट
  • साहित्य में भाव (रस) को सर्वोच्च महत्व देने वाले सिद्धांतकार

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