कक्षा ३ हिंदी वीणा अध्याय 2 चींटी
हर पल चलती जाती चींटी,
श्रम का राग सुनाती चींटी।
कड़ी धूप हो या हो वर्षा,
दाना चुनकर लाती चींटी।
सचमुच कैसी कलाकार है,
घर को खूब सजाती चींटी।
छोटा तन, पर बड़े इरादे,
नहीं कभी घबराती चीटी।
नन्हे-नन्हे पैर बढ़ाकर,
पर्वत पर चढ़ जाती चींटी।
काम बड़े करके दिखलाती,
जहाँ कहीं अड़ जाती चींटी।
मेहनत ही पूजा है प्रभु की,
हमको यही सीखाती चींटी।