मतिराम के जीवन और काव्य पर संक्षिप्त नोट्स

मतिराम के जीवन और काव्य पर संक्षिप्त नोट्स

1. परिचय:

  • मतिराम को कवि चिंतामणि और भूषण के भाई माना जाता है।
  • जन्म: संवत् 1674 के लगभग (तिकवाँपुर, कानपुर)।
  • मृत्यु: संवत् 1773 के आस-पास

2. आश्रय व साहित्यिक योगदान:

  • बूँदी नरेश भावसिंह के आश्रय में रहे।
  • उनके आश्रय में ‘ललितललाम’ नामक अलंकार ग्रंथ की रचना की।
  • हिंदी के नवरत्नों में स्थान (मिश्र बंधुओं द्वारा)।

3. प्रसिद्ध रचनाएँ:

  • रसराज
  • ललितललाम
  • अलंकारपंचाशिका
  • छंदसार
  • साहित्यसार
  • लक्षणशृंगार
  • मतिराम सतसई (बिहारी सतसई की तरह)

4. काव्य विशेषताएँ:

  • दोहों की सरसता बिहारी के दोहों के समान।
  • भाषा सरल, प्रवाहमयी व अलंकारिक
  • शब्दाडंबर व कृत्रिमता का अभाव
  • श्रृंगार रस (विशेषकर नायिका भेद का विस्तृत वर्णन)।
  • राधा-कृष्ण के अलौकिक प्रेम की व्याख्या।
  • भाषा में माधुर्यगुण और अर्थगांभीर्य
  • आचार्यत्व, भाव-सौंदर्य व सरसता का सुंदर समावेश।

5. काव्य उदाहरण:

कुन्दन को रंग फीको लगै, झलकै अतिअंगनि चारू गोराई।
आँखिन में अलसानि, चितौनि में मंजु बिलासन की सरसाई।।
को बिनु मोल बिकात नहीं ‘मतिराम’ लहे मुसकानि-मिठाई।
ज्यों-ज्यों निहारिये नेरे हवै नैननि त्यों-त्यों खरी निकरै सी निकाई।।

6. विशेष तथ्य:

  • ‘रसराज’ और ‘ललितललाम’ उनके सर्वश्रेष्ठ ग्रंथ माने जाते हैं।
  • काव्य में पद्माकर के बाद इतनी सरसता दुर्लभ
  • नायिका भेद का सूक्ष्म विवेचन किया।

निष्कर्ष:
मतिराम रीतिकाल के महत्त्वपूर्ण कवि थे। उनकी भाषा प्रवाहमयी और अलंकारों से सजी हुई थी। उन्होंने श्रृंगार रस विशेषकर नायिका भेद को प्रमुखता दी। उनकी रचनाएँ भावात्मक सौंदर्य और आचार्यत्व का अद्भुत संगम हैं।