चिन्तामणि त्रिपाठी – संक्षिप्त नोट्स

चिन्तामणि त्रिपाठी – संक्षिप्त नोट्स

रचनात्मकता का उदाहरण
“येई उधारत हैं तिन्हैं जे परे मोह-महोदधि के जल फेरे।
जे इनको पल ध्यान धरै मन, ते न परै कबहूँ जम-घेरे।।
राजै रमा-रमनी-उपधान अभै बरदान रहै जन नेरे।
हैं बलभार उदण्ड भरे हरि के भुजदण्ड सहायक मेरे।।”

जन्म व स्थान

जन्म: संवत् 1666 के लगभग

जन्म स्थान: तिकवाँपुर, कानपुर जिला

पिता: रत्नाकर त्रिपाठी

भाई: भूषण, मतिराम, जटाशंकर

काव्य काल

काव्य रचना काल: संवत् 1700 के आस-पास

महत्वपूर्ण ग्रंथ: ‘कविकुलकल्पतरु’ (संवत् 1707)

महत्वपूर्ण ग्रंथ व काव्य योगदान

प्रमुख ग्रंथ:

काव्य विवेक

कविकुलकल्पतरु

काव्यप्रकाश

रस मंजरी

छन्द विचार

पिंगल

रामायण

हिन्दी रीतिग्रंथों की परंपरा की शुरुआत इनसे मानी जाती है (आचार्य रामचंद्र शुक्ल के अनुसार)।

आश्रयदाता

शाहजी भोंसले

शाहजहाँ

दाराशिकोह

विशेष योगदान

‘कविकुलकल्पतरु’ ग्रंथ विशेष चर्चित रहा।

काव्यांगों (काव्य स्वरूप, गुण, अलंकार, दोष, शब्द शक्ति, ध्वनि, रस, नायक-नायिका भेद) का क्रमशः निरूपण किया।

मम्मट, विश्वनाथ, धनंजय, भानुमिश्र आदि के ग्रंथों से सहायता ली।

हिन्दी में सर्वप्रथम काव्य के सभी अंगों के निरूपण का मार्ग प्रशस्त किया।

विशुद्ध ब्रजभाषा व उत्कृष्ट विषय-वर्णन।