हितहरिवंश
हितहरिवंश जी एवं राधावल्लभी संप्रदाय 1. जीवन परिचय 2. साहित्य एवं भक्ति योगदान 3. प्रमुख शिष्य 4. संप्रदाय की विशेषताएँ 5. महत्वपूर्ण पद “ब्रज नव तरूनि कदंब मुकुटमनि स्यामा आजु बनी। नख सिख लौं अंग माधुरी मोहे श्याम धनी।।”
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हितहरिवंश जी एवं राधावल्लभी संप्रदाय 1. जीवन परिचय 2. साहित्य एवं भक्ति योगदान 3. प्रमुख शिष्य 4. संप्रदाय की विशेषताएँ 5. महत्वपूर्ण पद “ब्रज नव तरूनि कदंब मुकुटमनि स्यामा आजु बनी। नख सिख लौं अंग माधुरी मोहे श्याम धनी।।”
चतुर्भुजदास – संक्षिप्त नोट्स दानलीला जन्म: 1530 ई., गोवर्धन के समीप जमुनावतौ गाँव पारिवारिक संबंध: अष्टछाप के प्रसिद्ध कवि कुंभनदास के सबसे छोटे पुत्र निधन: 1585 ई. काव्य प्रतिभा: शैशव काल से ही काव्य रचना प्रारंभ कोई स्वतंत्र ग्रंथ उपलब्ध…
नंददास – संक्षिप्त नोट्स परिचय: मुख्य कृतियाँ: विशेषताएँ: उदाहरण पद: “कहन श्याम संदेश एक मै तुम पै आयो।कहन सभय संकेत कहूँ अवसर नहिं पायो।।” (इस पद में संदेशवाहक की असमंजस एवं भावुकता को दर्शाया गया है।)
कृष्णदास: संक्षिप्त परिचय एवं योगदान
मंझन और उनकी कृति ‘मधुमालती’ 1. मंझन (16वीं शताब्दी) 2. ‘मधुमालती’ का कथानक 3. प्रमुख विशेषताएँ 4. सूफी दर्शन और आध्यात्मिक संकेत 5. निष्कर्ष प्रेम, पुनर्जन्म, और अलौकिक तत्वों के माध्यम से आध्यात्मिकता को दर्शाया गया है। मधुमालती एक महत्वपूर्ण…
सन्देशरासो – संक्षिप्त नोट्स
गोविन्दस्वामी – संक्षिप्त नोट्स इन पदों में राधा-कृष्ण की शृंगार लीला का विशेष चित्रण। जन्म व स्थान जन्म: सन् 1505 ई० स्थान: आँतरी गाँव, भरतपुर, राजस्थान जाति: सनाढ्य ब्राह्मण आध्यात्मिक जीवन विरक्त जीवन अपनाकर ब्रजमण्डल के महावन में निवास किया।…
उसमान कवि एवं उनकी रचना ‘चित्रावली’ 1. परिचय: 2. ‘चित्रावली’ का कथानक एवं विशेषताएँ: 3. ‘चित्रावली’ से उद्धरण: ऋतु बंसत नौतन बन फूला। जहँ जहँ भौर कुसुम रंग भूला।।आहि कहाँ सो भँवर हमारा। जेहि बिनु बसत बसंत उजारा।।रात बरन पुनि…
मलिक मुहम्मद जायसी एवं पद्मावत (संक्षिप्त नोट्स) 1. मलिक मुहम्मद जायसी परिचय 2. प्रमुख रचनाएँ 3. पद्मावत का रचनाकाल 4. पद्मावत की विशेषताएँ 5. पद्मावत की कथा 6. काव्यगत विशेषताएँ 7. भाषा एवं अलंकार 8. नागमती विरह वर्णन 9. निष्कर्ष…
चिन्तामणि त्रिपाठी – संक्षिप्त नोट्स रचनात्मकता का उदाहरण“येई उधारत हैं तिन्हैं जे परे मोह-महोदधि के जल फेरे।जे इनको पल ध्यान धरै मन, ते न परै कबहूँ जम-घेरे।।राजै रमा-रमनी-उपधान अभै बरदान रहै जन नेरे।हैं बलभार उदण्ड भरे हरि के भुजदण्ड सहायक…