स्वामी आत्मानंद (जीवनी) कक्षा 5 हिन्दी
स्वामी आत्मानंद (जीवनी) ए हा साठ बछर पहिली के बात ए ओ समे म छोटे-छोटे नौकरी अमोल हो गे रहिस। नौकरी ला पाय बर जवनहा मन गजब उदिम करय। फेर एक झन जवनहा अइसे निकलिस जउन हा सब ले बड़े…
TEACHER'S KNOWLEDGE & STUDENT'S GROWTH
स्वामी आत्मानंद (जीवनी) ए हा साठ बछर पहिली के बात ए ओ समे म छोटे-छोटे नौकरी अमोल हो गे रहिस। नौकरी ला पाय बर जवनहा मन गजब उदिम करय। फेर एक झन जवनहा अइसे निकलिस जउन हा सब ले बड़े…
क्यूँ क्यूँ छोरी (चरित्र) छोटी-सी लड़की थी वह! क़रीब दस साल की एक बड़े-से साँप का पीछा कर रही थी। मैं उसके पीछे भागी और उसकी चोटी पकड़कर उसे ले आई। “ना, मोइना ना,” मैं उस पर चिल्लाई । “क्यूँ?”…
जंगल के राम कहानी (कविता) सुनव-सुनव गा भाई मन, जंगल के राम कहानी | जंगल हमर सगा संबंधी, जंगल हमर जिनगानी || जंगल म रिहिन पुरखा मन, जनम-करम जंगल म जंगल के फर- फूल ल खा के बाढ़िन ओकर बल…
रेशम चंदन और सोने की धरती कर्नाटक (निबंध) दक्षिण भारत में काजू के आकार का एक राज्य है- कर्नाटक । दक्षिण भारतीय चारों राज्यों आंध्रप्रदेश, केरल, तमिलनाडु और कर्नाटक में इसका प्रमुख स्थान है। कर्नाटक के उत्तर में महाराष्ट्र तथा…
गुंडाधूर (जीवन चरित) छत्तीसगढ़ का दक्षिणी भाग बस्तर प्राकृतिक सुंदरता से भरपूर है। यहाँ की कल-कल करती नदियाँ, झर-झर बहते झरने, मनोरम पर्वत मालाएँ तथा सुमधुर स्वर में चहकते वन-पक्षियों की आवाजें आगंतुकों को मंत्रमुग्ध कर देने के लिए पर्याप्त…
चमत्कार (एकांकी) जाकिर अली ‘रजनीश’ पात्र परिचय (परदा खुलता है। मंच पर स्वामी जी अपना थैला तथा कुछ टीम-टाम लिए बैठे हैं। वे अपना चमत्कार दिखाने की तैयारी में हैं। परदा खुलते ही दर्शकों में खुसुर-फुसुर होने लगती है।) स्वामी:…
पत्र कक्षा 5 हिन्दी 132, सी-1 शाहदरा दिल्ली 20 नवम्बर 2010 प्रिय मीना, नमस्ते। बड़े दिन की छुट्टियाँ होने वाली हैं। तुम कुछ दिनों के लिए दिल्ली अवश्य आना। तुम्हें याद होगा कि पिछले वर्ष हमने कितनी मौज-मस्ती से छुट्टियाँ…
बाबा अंबेडकर (जीवन-चरित) कक्षा 5 हिन्दी संध्या हो रही है। पश्चिम दिशा में लाली फैल रही है। पक्षी चहचहाते हुए अपने घांसलों की ओर लौट रहे हैं। बड़ौदा के राजमार्ग पर पेड़ के नीचे एक युवक बैठा है। वह फूट-फूटकर…
चित्रकार मोर (कहानी) बहुत पहले की बात है। तब सारे के सारे पक्षी सफेद रंग के होते थे। सारे संसार की रंगीनी देखकर उनका मन भी ललचाता था। वे सोचते थे काश हम पक्षी भी फूल पत्ती और रंगीन बादल…
गुरु और चेला (कविता) सोहन लाल द्विवेदी कक्षा 5 हिन्दी गुरू एक थे और था एक चेला, चले घूमने पास में था न धेला चले चलते-चलते मिली एक नगरी, चमाचम थी सड़कें चमाचम थी डगरी । मिली एक ग्वालिन धरे शीश गगरी,…