हितहरिवंश जी एवं राधावल्लभी संप्रदाय

1. जीवन परिचय

  • जन्म: 1502 ई०, बांदगाँव (मथुरा के निकट)
  • पिता: केशवदास मिश्र
  • माता: तारावती
  • पूर्व में मध्वानुयायी गोपाल भट्ट के शिष्य थे
  • स्वप्न में राधिका जी से मंत्र प्राप्त कर अपना संप्रदाय स्थापित किया

2. साहित्य एवं भक्ति योगदान

  • संस्कृत व हिंदी साहित्य के विद्वान
  • 1525 ई० में श्री राधावल्लभ की मूर्ति वृंदावन में स्थापित की
  • ‘हित चौरासी’ में 84 पद संकलित हैं

3. प्रमुख शिष्य

  • हरिराम व्यास
  • सेवकजी
  • ध्रुवदास

4. संप्रदाय की विशेषताएँ

  • राधा भक्ति की प्रधानता
  • विधि-निषेध का व्याज
  • काव्य की मधुरता के कारण ‘श्रीकृष्ण की वंशी के अवतार’ कहे जाते हैं

5. महत्वपूर्ण पद

“ब्रज नव तरूनि कदंब मुकुटमनि स्यामा आजु बनी। नख सिख लौं अंग माधुरी मोहे श्याम धनी।।”