संत रैदास (रविदास) – संक्षिप्त नोट्स (Short Notes):
- काल: अनुमानतः 15वीं शताब्दी
- संबंध: संत रामानंद के 12 प्रमुख शिष्यों में से एक
- समकालीन: कबीर, सेन, मीराबाई (मीरा इनकी शिष्या मानी जाती हैं)
- जन्मस्थान: काशी (वाराणसी) के आसपास
- जाति: चमार (स्वयं कविता में उल्लेख करते हैं)
- कविता की विशेषताएँ:
- सामाजिक विषमता का विरोध
- दीनता, आत्मनिवेदन, सरलता
- अनन्य भक्ति और भगवत् प्रेम
- कबीर के समान प्रखर नहीं, स्वर अधिक विनम्र
- भाषा सरल, प्रवाहमयी और गेय
- प्रसिद्ध ग्रंथ/संग्रह:
- आदिग्रंथ (सिख धर्म का ग्रंथ) में पद संकलित
- सतबानी में कुछ फुटकल पद
- प्रसिद्ध पदों की झलक:
“प्रभु जी तुम चंदन हम पानी,
जाकी अंग-अंग बास समानी।” “प्रभु जी तुम दीपक हम बाती,
जाकी जोति वरै दिन राती।” “ऐसी भक्ति करै रैदासा।” - समाज के लिए संदेश:
- जाति-पाँति से ऊपर उठकर भक्ति
- स्वाभिमान और आत्मगौरव की भावना
- संतुलित और सहज भक्ति का मार्ग
➡️ संत रैदास भारतीय भक्तिकाल के एक महत्त्वपूर्ण स्तंभ हैं। उन्होंने जातिगत भेदभाव के विरुद्ध प्रेम, भक्ति और मानवता का संदेश दिया।