गिरधर कविराय –

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गिरधर कविराय: नीति और व्यवहार के सच्चे कवि

गिरधर कविराय, हिन्दी काव्य परंपरा के ऐसे लोकप्रिय कवि हैं जिन्हें जनजीवन का सच्चा सलाहकार कहा जाता है। इनका जन्म लगभग संवत् 1770 में माना गया है। इन्होंने अपनी रचनाओं से आम लोगों को नीति, व्यवहार और लोक-जीवन की समझ दी।

जनकवि की पहचान

आचार्य रामचंद्र शुक्ल ने गिरधर कविराय को तुलसीदास (धर्म), घाघ (खेती) और गिरधर (नीति) को जनजीवन का मार्गदर्शक कवि माना है। इनकी कविताओं में कृत्रिमता नहीं, बल्कि जीवन का यथार्थ, अनुभव और सीधी-सादी भाषा में गूढ़ नीति है।

कुण्डलियों की विशेषता

गिरधर कविराय की रचनाएँ मुख्यतः कुण्डलिया छंद में हैं। इनकी भाषा अत्यंत सरल, स्पष्ट और बोधगम्य है। इनमें आलंकारिक सजावट नहीं है, बल्कि तथ्य की संक्षिप्त प्रस्तुति है। यही उन्हें जनता में लोकप्रिय बनाता है।

दान और परमार्थ पर नीति उपदेश:

“पानी बाढ़ो नाव में, घर में बाढ़ो दाम।
दोनो हाथ उलीचिये, यही सयानों काम।।
यही सयानों काम राम को सुमिरन कीजै।
पर स्वारथ के काज सीस आगे धर दीजै।।
कहि गिरधर कविराय बड़ेन की याही बानी।
चलिये चाल सुचाल, राखिए अपनो पानी।।”

यह पद त्याग, परोपकार और ईश्वर भक्ति को जीवन की सर्वोच्च नीति के रूप में प्रस्तुत करता है।

प्रकृति और यथार्थ के प्रतीकों का प्रयोग

गिरधर कविराय ने जीवन की अस्थिरता और दिखावे की असलियत को प्रकृति के प्रतीकों से समझाया:

“रहिये लटपट काटि दिन, बरू घामहि में सोय।
छाँह न बाकी बैठिये, जो तरू पतरो होय।।
जो तरू पतरो होय, एक दिन धोखा दै है।
जा दिन बहै बयारि, टूटि जब जर से जैहैं।।
कह गिरधर कविराय, छाँह मोटे की गहिए।
पाता सब झरि जाय, तऊ छाया में रहिए।।”

यहाँ वे समझाते हैं कि जीवन में स्थिर और टिकाऊ संबंधों को महत्व देना चाहिए, न कि केवल बाहरी आकर्षण को।

गिरधर की भाषा: सीधी, सच्ची, सशक्त

  • इन्होंने खड़ी बोली और ब्रजभाषा का प्रयोग किया, किन्तु कहीं भी अलंकारों की कृत्रिम सजावट नहीं की।
  • उनकी कविता में काव्य का सौंदर्य नहीं, बल्कि सत्य और व्यवहार की शिक्षा है।
  • वे एक सज्जन गृहस्थ के मित्र, मार्गदर्शक और जीवन-दर्शन के शिक्षक हैं।

निष्कर्ष

गिरधर कविराय केवल कवि नहीं, एक नीति-प्रदर्शक संत हैं, जिनकी कुण्डलियाँ आज भी उतनी ही प्रासंगिक हैं जितनी उस समय थीं। उन्होंने सिखाया कि नीति, त्याग और संयम के बिना जीवन अधूरा है। उनकी कविता मंत्र की तरह है — जो कम शब्दों में जीवन की दिशा बदल सकती है।


📌 “गिरधर की कविता वह दीपक है जो जनता के घर-आंगन में सदा टिमटिमाता रहेगा — अलंकारों की चकाचौंध नहीं, पर लोकनीति की सच्ची रोशनी है।”

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