अमीर खुसरो – संक्षिप्त विवरण (Short Notes):
- वास्तविक नाम: अबुल हसन
- उपनाम: खुसरो
- जन्मस्थान: पटियाली, जिला एटा (उत्तर प्रदेश)
- काल: गुलाम वंश से तुगलक वंश तक (13वीं-14वीं शताब्दी)
- स्वभाव: विनोदी, मिलनसार, उदार; साम्प्रदायिक सौहार्द्र के प्रतीक
- गुरु: हज़रत निजामुद्दीन औलिया
- गुरु के प्रति भक्ति:
- औलिया की मृत्यु पर कब्र के पास बैठ गए और प्रसिद्ध पंक्तियाँ कही —
“गौरी सोवे सेज पर, मुख पर डारे केस।
चल खुसरो धर आपने, रैन भई चहुँ देस।।” - बाद में इनकी समाधि भी औलिया की मजार के पास बनी।
- औलिया की मृत्यु पर कब्र के पास बैठ गए और प्रसिद्ध पंक्तियाँ कही —
- भाषा ज्ञान: अरबी, फारसी, तुर्की और हिंदी
- साहित्यिक योगदान:
- खालिकबारी, पहेलियाँ, मुकरियाँ, दोहे आदि रचनाएँ
- हिंदी लोक साहित्य को समृद्ध किया
- खुसरो की पहेलियों की विशेषता:
- सरल, रोचक, बिंबात्मक शैली
- सामान्य जीवन के अनुभवों से जुड़ी
- शिक्षाप्रद और मनोरंजक
- प्रसिद्ध पहेलियाँ (उदाहरण):
- “एक थाल मोती से भरा, सबके सिर पर औंधा धरा,
चारों ओर वह थाली फिरे, मोती इससे एक न गिरे।”
उत्तर: आकाश - “खेत में उपजे सब कोई खाए,
घर में उपजे घर को खाए।”
उत्तर: फूट - “पाँचों के सिर काट दिए,
न मारा, ना खून किया।”
उत्तर: नाखून
- “एक थाल मोती से भरा, सबके सिर पर औंधा धरा,
➡️ अमीर खुसरो की पहेलियाँ भारतीय लोक साहित्य की बहुमूल्य धरोहर हैं, जो आज भी बाल साहित्य और प्रतियोगी परीक्षाओं में उपयोगी मानी जाती हैं।