श्री जगदीश चंद्र माथुर द्वारा रचित “विजयबेला” 1857 की स्वतंत्रता संग्राम की कहानी है, जिसमें बिहार के भोजपुर क्षेत्र के सेनानी कुँवर सिंह और उनके साथियों की बहादुरी, बलिदान और कूटनीति को दर्शाया गया है। पाठ का मुख्य केंद्र कुँवर सिंह की आखिरी लड़ाई और उनकी अडिग देशभक्ति है। 80 वर्षीय कुँवर सिंह, जिन्होंने अपने जीवन को देश के लिए समर्पित कर दिया, गंगा नदी पार कर अपनी सेना के साथ फिरंगियों का मुकाबला करते हैं। कहानी की शुरुआत नाथू सरदार और उनके सहयोगी भीमा द्वारा की जा रही तैयारियों से होती है। वे नदी में नावों को डुबाकर अंग्रेजों की रणनीतियों को विफल कर देते हैं। इस दौरान, कुँवर सिंह घायल हो जाते हैं, लेकिन उनका साहस और संकल्प अटूट रहता है। उनके संदेशवाहक हरकिशुन सिंह और अन्य साथी, जैसे भीमा, मैकू, और विश्वनाथ सिंह, उनकी हर आज्ञा का पालन करते हैं। घायल अवस्था में भी कुँवर सिंह की बुद्धिमत्ता और रणनीति स्पष्ट होती है। वह अपने शरीर में फैले जहर को रोकने के लिए अपनी बाँह को काटने का निर्णय लेते हैं। यह घटना उनकी निडरता और आत्म-बलिदान की चरम सीमा को दिखाती है। उनके प्रेरणादायक नेतृत्व में उनकी सेना अंग्रेजों से लोहा लेती है। कहानी के माध्यम से लेखक ने न केवल स्वतंत्रता सेनानियों की वीरता का चित्रण किया है, बल्कि उनके बलिदान और देशभक्ति को अमर बना दिया है।
MCQ (उत्तर सहित)
- कुँवर सिंह की उम्र क्या थी?
- (a) 60 वर्ष
- (b) 70 वर्ष
- (c) 80 वर्ष
- (d) 85 वर्ष
- नाथू सरदार और भीमा कौन थे?
- (a) अंग्रेज सेनानी
- (b) मल्लाह
- (c) कुँवर सिंह के सहयोगी
- (d) जासूस
- किस नदी का उल्लेख पाठ में किया गया है?
- (a) यमुना
- (b) गंगा
- (c) सरस्वती
- (d) गोदावरी
- कुँवर सिंह ने अपनी बाँह क्यों काटी?
- (a) दर्द सहने के लिए
- (b) शरीर में फैल रहे जहर को रोकने के लिए
- (c) अंग्रेजों से बचने के लिए
- (d) युद्ध छोड़ने के लिए
- हरकिशुन सिंह कौन थे?
- (a) कुँवर सिंह के वफादार साथी
- (b) अंग्रेज अफसर
- (c) राजपुरोहित
- (d) मल्लाह
- कुँवर सिंह का मुख्य उद्देश्य क्या था?
- (a) गंगा पार करना
- (b) देश की स्वतंत्रता के लिए लड़ना
- (c) अपने महल की रक्षा करना
- (d) अंग्रेजों से समझौता करना
- किसने कुँवर सिंह के घायल होने के बाद उनकी देखभाल की?
- (a) मैकू
- (b) भीमा
- (c) हरकिशुन सिंह
- (d) विश्वनाथ सिंह
- नाथू सरदार का कार्य क्या था?
- (a) सेना चलाना
- (b) गंगा पार करने के लिए नावों की व्यवस्था करना
- (c) अंग्रेजों से संधि करना
- (d) हथियार पहुँचाना
- अंग्रेजों को किस घाट पर गुमराह किया गया?
- (a) शिवपुर
- (b) बलिया
- (c) आजमगढ़
- (d) गाजीपुर
- कुँवर सिंह के गीत कौन गाता था?
- (a) राजपुरोहित
- (b) बच्चे-बच्चे
- (c) हरकिशुन सिंह
- (d) मल्लाह
- किसे गोली लगी थी?
- (a) नाथू सरदार
- (b) कुँवर सिंह
- (c) हरकिशुन सिंह
- (d) मैकू
- कुँवर सिंह का मुख्य विरोधी कौन था?
- (a) नाथू सरदार
- (b) बलिया के मल्लाह
- (c) अंग्रेज
- (d) राजपुरोहित
- कुँवर सिंह ने किसके बल पर लड़ाई लड़ी?
- (a) किसानों और मल्लाहों के सहयोग से
- (b) राजाओं की सेना से
- (c) अंग्रेजों की मदद से
- (d) पुजारियों के समर्थन से
- पाठ का मुख्य संदेश क्या है?
- (a) कूटनीति का महत्व
- (b) देशभक्ति और बलिदान
- (c) महलों का संघर्ष
- (d) गंगा का महत्व
- अमर सिंह कौन थे?
- (a) अंग्रेज अफसर
- (b) कुँवर सिंह के भाई
- (c) मल्लाह
- (d) राजपुरोहित
- गंगा किनारे का दृश्य किसका प्रतीक है?
- (a) शांति का
- (b) संघर्ष और बलिदान का
- (c) प्रेम का
- (d) विजय का
- भीमा का क्या कार्य था?
- (a) संदेशवाहक
- (b) पुरोहित
- (c) मल्लाह
- (d) सैनिक
- पाठ में किसके साहस की प्रशंसा हुई है?
- (a) अंग्रेजों की
- (b) मल्लाहों और किसानों की
- (c) राजाओं की
- (d) सैनिकों की
- कुँवर सिंह की चोट किससे लगी थी?
- (a) तलवार
- (b) भाले
- (c) अंग्रेजों की गोली
- (d) पत्थर
- नाथू सरदार का वर्णन किस रूप में किया गया है?
- (a) कमजोर
- (b) कायर
- (c) बुद्धिमान और निष्ठावान
- (d) कपटी
पाठ से-
प्रश्न 1. इस एकांकी की घटना किस समय की है ?
उत्तर- इस एकांकी की घटना सन् 1857 के प्रथम स्वतन्त्रता संग्राम के समय की है, जो दिल्ली के बादशाह बहादुरशाह जफर कानपुर के नाना साहब, झाँसी की रानी लक्ष्मीबाई आदि के नेतृत्व में लड़ा गया था।
प्रश्न 2. कुँवर सिंह विश्वनाथ पर क्यों नाराज हुए ?
उत्तर- विश्वनाथ महाराज कुँवर सिंह को घायल समझकर उसके भाई अमरसिंह द्वारा भेजी गई चिट्ठी को नहीं पढ़ता है इसीलिए कुँवरसिंह विश्वनाथ पर नाराज हुए।
प्रश्न 3. भीमा अपने सरदार से बाबू वीर कुँवर सिंह के बारे में क्या कहता है ?
उत्तर- भीमा अपने सरदार से बाबू वीर कुँवर सिंह के बुद्धि की तारीफ करता है तथा उनके पराक्रम के विषय में कहता है।
प्रश्न 4. कुँवर सिंह ने अपनी बाँह काटकर गंगाजी को क्यों अर्पित कर दी ?
उत्तर- गंगा नदी पार करते समय कुँवर सिंह की बाँह में फिरंगी की गोली आकर लगी, जिससे उनकी बाँह में गहरा घाव हो गया था। अतः कुँवर सिंह ने फिरंगी की गोली के घाव से सड़ती हुई भुजा को अलग कर देना उचित समझा। इस कारण उन्होंने अपनी बाँह काटकर गंगा जी को अर्पित कर दी।
प्रश्न 5. बच्चे-बच्चे के जबान पर चढ़े कुँवर सिंह के गीत का भाव क्या है ?
उत्तर – राजा कुँवर सिंह के शासन काल में सबके काम बन जाया करते थे। राजा कुँवर सिंह गरीबों के सरदार थे। जिनके पास जाने में उन्हें कभी शरम नहीं आयी। ऐसे राजा पर आज का दिन गर्व महसूस करता है।
प्रश्न 6. आप यह कैसे सिद्ध करेंगे कि सन् 1857 के स्वतन्त्रता संग्राम में सभी वर्ग के लोगों ने भाग लिया था ?
उत्तर- सन् 1857 का संग्राम भारत की आजादी की शुरुआत मानी जाती है, जो कि अंग्रेजों के विरुद्ध करो या मरो की नीति पर आधारित था। इस संग्राम में बहादुरशाह जफर, तांत्याटोपे, कुँवरसिंह, नाना रानी लक्ष्मीबाई, पेशवा, भोंसले आदि वीर पुरुषों ने अपने-अपने इलाकों में अन्तिम साँस तक संग्राम किया। उक्त संग्राम भारत के सम्पूर्ण क्षेत्रों में विस्तारित हुआ। इतिहास गवाह है कि इस संग्राम में हर समुदाय हिन्दू, मुस्लिम, सिख, ईसाई, क्षत्रिय आदि ने अपने-अपने क्षेत्र में प्रतिनिधित्व किया। इससे यह सिद्ध होता है कि सन् 1857 के स्वतन्त्रता संग्राम में सभी वर्गों के लोगों ने भाग लिया।
प्रश्न 7. कुँवर सिंह ने वह कौन-सी शक्ति बतायी जिसके बल पर वे भोजपुर के राजा बने थे ?
उत्तर- कुँवर सिंह ने अपने साथ भोजपुर के किसानों, मल्लाहों, ग्वालों और रैयतों की शक्ति बनायी जिसके बल पर वे भोजपुर के राजा थे। यही है जिसकी आवाज मेरे गले से निकलती थी और फिरंगी भाग जाते थे, क्षेत्र के बिना ज्योति कैसी, प्रजा के बिना राजा कैसा इसलिये उनका साथ न छोड़ना।
प्रश्न 8. किसकी बदौलत कुँवर सिंह किनारे पर आ सके और कैसे?
उत्तर- कुँवर सिंह भीमा मल्लाह की बदौलत किनारों पर आ सके भीमा अल्लाह अपनी कमर में रस्सी बांधकर नदी में उतरे और तैरते हुए नाव के पास पहुँचकर कमर में बंधी रस्सी को नाम से बांध दिया। फिर कुँवरसिंह को नाव में बिठाकर रस्सी को धीरे-धीरे खींचते हुए किनारे लाया गया।
प्रश्न 9. कुँवर सिंह के अनुसार युद्ध की क्या हुनर (कला) है ?
उत्तर-युद्ध में असली हुनर शतरंजी चालों में मात पर मात देने में है।
प्रश्न 10. अंग्रेजों ने मेरे भोजपुर के गरीब रैयातों को सताया, जिनके अरमानों का मैं आईना हूँ’ संवाद के द्वारा एकाकीकार कुँवर सिंह के किन भावों को व्यक्त करना चाहता है ?
उत्तर- एकांकीकार कुँवर सिंह के देश प्रेम तथा गरीब रैयतों के प्रति प्रेम के भावों को व्यक्त करना चाहा है।
प्रश्न 11. अनोखी भेंट क्या है और कुँवर सिंह भेंट किसे देते है ?
उत्तर- अनोखी भेट कुँवरसिंह की भुजा है जिस पर गोली लगी थी। कुँवर सिंह भेंट गंगा मैया को देते हैं।
प्रश्न 12. कुँवर सिंह अमर सिंह का राजतिलक करते हुए क्या सीख देते हैं और क्यों ?
उत्तर- कुँवर सिंह अमर सिंह का राजतिलक करते हुए सीख देते हैं कि जेठ रैयत, मल्लाह, किसान यही है वह शक्ति जिसके बल पर कुँवर सिंह भोजपुर का राजा है। यही है वह तुरही जिसकी आवाज मेरे गले से निकलती थी और फिरंगी भाग निकलते थे, प्रजा के बिना राजा कैसा इनका साथ मत छोड़ना क्योंकि युद्ध में सफलता भोजपुर के किसानों, मल्लाहों, खालों और रैथालों के कारण मिली।
प्रश्न 13. नावो को गंगाजी में हुवा देने के लिए महाराज कुँवर सिंह में क्यों आदेश दिया था ?
उत्तर-यदि नावों का पता फिरंगियों को हो जाता तो वे इसे नुकसान पहुँचा देते और आने वाले समय में इन नावों का उपयोग नहीं हो पाता। इसलिए नावों को गंगा जी में डुबा देने के लिए महाराज कुँवर सिंह ने आदेश दिया था।
प्रश्न 14. महाराज कुँवर सिंह को अंग्रेजों के विरुद्ध युद्ध करने में इतनी सफलता किनके कारण मिली ?
उत्तर- महाराज कुँवर सिंह को अंग्रेजों के विरुद्ध करने में इतनी सफलता भोजपुर के किसानों, मल्लाहों, ग्वालों और रैयतों के कारण मिली।
प्रश्न 15. महाराज कुँवर सिंह बहुत अधिक बीमार होने पर भी जगदीशपुर जाने के लिए क्यों बेताब थे ?
उत्तर- महाराज कुँवर सिंह फिरंगियों से बदला लेना चाहते थे। इसलिए वे बहुत अधिक बीमार होने पर भी जगदीशपुर जाने के लिए। बेताब थे।
प्रश्न 16. कुँवर सिंह ने भीमा से कहा था, “मुझे भी एक साल से नशा है।” उन्हें कैसा नशा था ?
उत्तर- महाराज कुँवर सिंह ने भीमा से कहा था, मुझे भी एक साल से नशा है, मुझे विदेशियों ने एक विशेष प्रकार का नशा दिया है। उनसे कुशलतापूर्वक युद्ध करना मेरे जीवन का लक्ष्य है। उन्हें मात-पर-मात मिलती रहे। अंग्रेजो सेनाधिकारियों के छक्के छुड़ाना चाहता हूँ। इस नशे में जो आनन्द है, वह आनन्द किसी अन्य नशे में नहीं है। उन्हें यही नशा था।
प्रश्न 17. इन पंक्तियों का अर्थ प्रसंग देकर लिखिये-
(क) मैं मौत से डरता नहीं, पर मौत को न्यौता भी नहीं देता।
प्रसंग:- प्रस्तुत पंक्ति में महाराज कुँवर सिंह कहते हैं कि वे सोच-समझकर युद्ध के लिये आगे बढ़ते हैं।
अर्थ-कुँवर सिंह कहते हैं मुझे मौत का भय नहीं है। मैं युद्ध से पीछे नहीं हटता, किन्तु मैं सोच-समझकर युद्ध के लिए आगे बढ़ता हूँ। अति उत्साह में शत्रु सेना के बीच घुसकर मैं अपनी मृत्यु को निमन्त्रण नहीं देता।
(ख) कलावंत अपना हुनर दिखाने में चोट खा गया तो उसकी वह चोट सिंगार हो जाती है।
प्रसंग :- प्रस्तुत पंक्ति में कुँवर सिंह ने युद्ध में लगे घावों को वीरों का श्रृंगार बताया है।
अर्थ- कुँवर सिंह कहते हैं-युद्ध एक कला है और योद्धा एक कलाकार है युद्ध करते हुए यदि उसके शरीर में चोट लग जाये तो उसकी वह चोट सामान्य घाव नहीं होती, बल्कि वह उस वीर के शरीर का श्रृंगार हो जाती है।
(ग) नेह के बिना ज्योति कैसी, प्रजा के बिना राजा कैसा ?
प्रसंग :- इस पंक्ति में कुँवर सिंह ने प्रजा को राजा की शक्ति बताया है।
अर्थ-कुँवर सिंह कहते हैं-तेल के बिना ज्योति नहीं जल सकती, उसी प्रकार प्रजा के बिना राजा शक्तिहीन है। प्रजा ही राजा की शक्ति है।