- विकास की अवधारणा (Concept of Development)
- विकास के अभिलक्षण (Characteristics) एवं वृद्धि–विकास में अंतर
- विकास और अधिगम का संबंध
1. विकास की अवधारणा (Concept of Development)
- विकास एक अविरल, क्रमिक और सतत प्रक्रिया है।
- इसमें शारीरिक, संज्ञानात्मक, भाषाई, भावनात्मक, सामाजिक, नैतिक, और क्रियात्मक विकास शामिल हैं।
- रुचियों, आदतों, दृष्टिकोण, जीवन-मूल्यों, स्वभाव और व्यक्तित्व में परिवर्तन भी विकास का हिस्सा हैं।
- विकास गर्भाधान से शुरू होकर मृत्यु तक चलता है।
- मानव विकास की प्रमुख अवस्थाएँ –
- गर्भावस्था
- शैशवावस्था (0–6 वर्ष)
- बाल्यावस्था (6–12 वर्ष)
- किशोरावस्था (12–18 वर्ष)
- वयस्कावस्था (18–मृत्यु)
2. विकास के अभिलक्षण (Characteristics of Development)
- जीवनपर्यन्त प्रक्रिया – गर्भ से मृत्यु तक।
- व्यवस्थित एवं प्रगतिशील – सामान्य से विशिष्ट, सरल से जटिल की ओर।
- सतत व विछिन्न – कुछ परिवर्तन धीरे, कुछ अचानक होते हैं।
- बहु-आयामी – शारीरिक, मानसिक, सामाजिक, भावनात्मक सभी क्षेत्र।
- लचीला (Plasticity) – वातावरण के अनुसार बदलाव संभव।
- गुणात्मक व मात्रात्मक परिवर्तन – जैसे नैतिक मूल्यों का निर्माण व ऊँचाई में वृद्धि।
- स्थिरता – अस्थायी बदलाव विकास नहीं कहलाते।
- परस्पर सम्बद्धता – एक क्षेत्र का विकास दूसरे को प्रभावित करता है।
- प्रासंगिकता – ऐतिहासिक, सामाजिक, सांस्कृतिक कारक प्रभाव डालते हैं।
- व्यक्तिगत अंतर – गति व पैटर्न व्यक्ति-व्यक्ति में अलग।
3. वृद्धि और विकास में अंतर
वृद्धि (Growth) | विकास (Development) |
---|---|
मात्रात्मक परिवर्तन (ऊँचाई, वजन) | गुणात्मक व मात्रात्मक दोनों परिवर्तन |
सीमित क्षेत्र | व्यापक क्षेत्र |
परिपक्वता के बाद रुक जाती | जीवनभर चलती रहती |
विकास के लिए आवश्यक नहीं | वृद्धि इसका एक भाग |
4. विकास के आयाम एवं अधिगम से संबंध
(i) शारीरिक विकास
- ऊँचाई, वजन, शरीर की संरचना, मांसपेशियों का विकास।
- अच्छे स्वास्थ्य, पोषण और व्यायाम से सीखने की क्षमता बढ़ती है।
- शारीरिक विकास की कमी से एकाग्रता व प्रदर्शन प्रभावित।
(ii) संज्ञानात्मक (मानसिक) विकास
- सोच, स्मृति, समस्या समाधान, निर्णय क्षमता।
- शिक्षक को मानसिक स्तर के अनुसार शिक्षण योजना बनानी चाहिए।
(iii) भाषाई विकास
- भाषा सीखना संचार और अधिगम का आधार है।
- शब्दावली, व्याकरण, बोलने-लिखने की क्षमता सीखने को आसान बनाती है।
(iv) भावनात्मक विकास
- भय, क्रोध, प्रेम, सहानुभूति जैसी भावनाओं का नियंत्रण।
- संतुलित भावनाएँ सकारात्मक अधिगम को प्रोत्साहित करती हैं।
(v) सामाजिक विकास
- सहयोग, नेतृत्व, मित्रता, अनुशासन।
- समूह में सीखने और सामाजिक कौशल को बढ़ावा।
(vi) क्रियात्मक (Motor) विकास
- चलना, दौड़ना, लिखना जैसी कौशलें।
- खेल व शारीरिक गतिविधियाँ अधिगम में सहायक।
5. विकास और अधिगम का संबंध
- विकास अधिगम की क्षमता को प्रभावित करता है।
- अधिगम विकास को तेज या धीमा कर सकता है।
- पियाजे के अनुसार – बच्चा नई चीज तभी सीख सकता है जब उसका विकासात्मक स्तर तैयार हो।
- सामाजिक परिवेश और अनुभव विकास के हर पहलू को प्रभावित करते हैं।
- दोनों परस्पर पूरक और निर्भर हैं।