मैं सड़क हूँ (आत्मकथा) कक्षा 5 हिन्दी
मैं सड़क हूँ (आत्मकथा) जी हाँ! मैं सड़क हूँ। मिट्टी, पत्थर और डामर से बनी। एक बड़े अजगर की तरह मैदानों, जंगलों, पहाड़ों के बीच से गुजरती हुई। पेड़ों की छाया के नीचे से होकर मैदानों को पार करती हुई,…
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मैं सड़क हूँ (आत्मकथा) जी हाँ! मैं सड़क हूँ। मिट्टी, पत्थर और डामर से बनी। एक बड़े अजगर की तरह मैदानों, जंगलों, पहाड़ों के बीच से गुजरती हुई। पेड़ों की छाया के नीचे से होकर मैदानों को पार करती हुई,…
सोन के फर (कहानी) गजब दिन के बात आय। एक ठन गाँव रहिस। इहाँ के आदमी मन खेती-किसानी के बुता करें। जेकर खेत खार नइ रहँय, ओमन छेरी-पठरू अउ गाय गरुवा राखे रहँय। उही मन ल चरावय । दूध-दही, गोबर,…
मस्जिद या पुल दीन-ए-इलाही, गरीब नवाज़ शहंशाह-ए-आलम, महान बादशाह अकबर की अगवानी में जौनपुर के सूबेदार मुबारक खान ने जमीन-आसमान एक कर दिया। यह उसकी बरसों पुरानी साध थी। बरसों से वह लगातार बादशाह को जौनपुर आने के लिए न्यौते…
राष्ट्र- प्रहरी (निबंध) कक्षा 5 हिन्दी राष्ट्रप्रहरी अक्षय दूरदर्शन पर 26 जनवरी की परेड देख रहा था। जैसे ही थलसेना की टुकड़ी के सैनिक अपनी वर्दी में कदम-से-कदम मिलाते हुए आगे आए, अक्षय की आँखें चमक उठीं। कतारों में चलते…
घी गुड़ और शहद देनेवाला वृक्ष आओ तुम्हारा परिचय घी गुड़ और शहद देनेवाले एक विचित्र वृक्ष से करवाएँ। उत्तराखण्ड के पहाड़ी इलाकों में एक ऐसा वृक्ष पाया जाता है जो घी गुड़ तथा शहद देता है। इसके अलावा यह…
जीवन के दोहे ठाकुर जीवन सिंह धुर्रा- माटी ल घलो, कभू न समझैं नीच । पालन-पोसन इहि करय, कमल फुलय इहि कीच ।। चारी चुगली ल समझ, खजरी, खसरा रोग । खजुवावत सुख होत हे पाछू दुख ला भोग ।।…
हार नहीं होती लहरों से डरकर नौका पार नहीं होती,कोशिश करनेवालों की हार नहीं होती।नन्हीं चींटी जब दाना लेकर चलती है,चढ़ती दीवारों पर, सौ बार फिसलती है,मन का विश्वास रगों में साहस भरता है,चढ़कर गिरना, गिरकर चढ़ना न अखरता है,…
मैं अमर शहीदों का चारण -श्रीकृष्ण ‘सरल’ (कविता) कक्षा 5 हिन्दी मैं अमर शहीदों का चारणउनके गुण गाया करता हूँजो कर्ज राष्ट्र ने खाया है,मैं उसे चुकाया करता हूँ। यह सच है, याद शहीदों कीहम लोगों ने दफनाई हैयह सच…
एक और गुरु दक्षिणा (कहानी) एक थे ऋषि । गंगा तट पर उनका आश्रम था मीलों लंबा-चौड़ा । बहुत-से शिष्य आश्रम में रहते थे। आश्रम में अनेक गाएँ थीं। हिरनों के झुंड आश्रम में चौकड़ी मारते, उछलते-कूदते फिरते थे। ऋषि…