वार्षिक आकलन 2024-25 Class 5 Hindi 4
वस्तुनिष्ठ प्रश्न (5 x 1 = 5 अंक) प्रश्न 1: ‘सड़क जोड़ती है।’ में अनुपयुक्त वाक्य है –(अ) गाँव से गाँव को, (ब) गाँव से शहर को, (स) शहर से शहर को, (द) शहर से आकाश कोउत्तर: (द) गाँव से…
वस्तुनिष्ठ प्रश्न (5 x 1 = 5 अंक) प्रश्न 1: ‘सड़क जोड़ती है।’ में अनुपयुक्त वाक्य है –(अ) गाँव से गाँव को, (ब) गाँव से शहर को, (स) शहर से शहर को, (द) शहर से आकाश कोउत्तर: (द) गाँव से…
(वस्तुनिष्ठ प्रश्न) (5 x 1 = 5 अंक) प्रश्न 1. जेब्रा क्रासिंग किसके लिए होता है –उत्तर – (अ) पैदल चलने वालों के लिए प्रश्न 2. कुतुबमीनार की …………………. देखते हुए नंदा पीछे लुढ़क गई थी –उत्तर – (स) ऊँचाई…
(वस्तुनिष्ठ प्रश्न) (5 x 1 = 5 अंक) प्रश्न 1. घी, गुड़ व शहद देना वाला वृक्ष है –उत्तर – (स) च्यूरा प्रश्न 2. ‘डामर’ कहते हैं –उत्तर – (अ) कोलतार को प्रश्न 3. आदिवासियों को विद्रोह का नाम था…
(वस्तुनिष्ठ प्रश्न) (5 x 1 = 5 अंक) प्रश्न 1. ऋषि के कितने शिष्य थे –उत्तर – (अ) तीन प्रश्न 2. बालक मोहन ने कौन-सा शब्द गलत लिखा था –उत्तर – (स) स्कूल प्रश्न 3. राष्ट्रीय पर्व है –उत्तर –…
सुनिता की पहिया कुर्सी (कहानी) सुनीता सुबह सात बजे सोकर उठी। कुछ देर तो वह अपने बिस्तर पर ही बैठी रही। वह सोच रही थी कि आज उसे क्या-क्या काम करने हैं। उसे याद आया कि आज तो बाजार जाना…
महामानव (कहानी) आज से लगभग चौदह सौ साल पहले की बात है। अरब के नखलिस्तान में एक गरीब बुढ़िया घर में जलाने के लिए सूखी लकड़ियाँ चुन रही थी । बहुत-सी लकड़ियाँ इकट्ठी हो जाने पर उसने उनका एक गट्ठा…
श्रम के आरती (कविता) काबर डर्राबोन कोनो ल, जब असल पसीना गारत हन हम नवा सुरुज परघाए बर श्रम के आरती उतारत हन । चाहे कोनों हाँसे थूके, रद्दा के काँटा चतवारत हन । हम नवा सुरुज परघाए बर, श्रम…
स्वामी आत्मानंद (जीवनी) ए हा साठ बछर पहिली के बात ए ओ समे म छोटे-छोटे नौकरी अमोल हो गे रहिस। नौकरी ला पाय बर जवनहा मन गजब उदिम करय। फेर एक झन जवनहा अइसे निकलिस जउन हा सब ले बड़े…
क्यूँ क्यूँ छोरी (चरित्र) छोटी-सी लड़की थी वह! क़रीब दस साल की एक बड़े-से साँप का पीछा कर रही थी। मैं उसके पीछे भागी और उसकी चोटी पकड़कर उसे ले आई। “ना, मोइना ना,” मैं उस पर चिल्लाई । “क्यूँ?”…
जंगल के राम कहानी (कविता) सुनव-सुनव गा भाई मन, जंगल के राम कहानी | जंगल हमर सगा संबंधी, जंगल हमर जिनगानी || जंगल म रिहिन पुरखा मन, जनम-करम जंगल म जंगल के फर- फूल ल खा के बाढ़िन ओकर बल…