फूलों से नित हँसना सीखो, भौरों से नित गाना।
तरु की झुकी डालियों से नित, सीखो शीश झुकाना।
सीख हवा के झोंकों से लो, कोमल भाव बहाना।
दूध तथा पानी से सीखो, मिलना और मिलाना।
सूरज की किरणों से सीखो, जागना और जगाना।
लता और पेड़ों से सीखो, सबको गले लगाना।
दीपक से सीखो जितना, हो सके अँधेरा हारना।
पृथ्वी से सीखो प्राणी की, सच्ची सेवा करना।
जलधारा से सीखो आगे, जीवन-पथ में बढ़ना।
और धुएँ से सीखो हरदम, ऊँचे ही पर चढ़ना।
कक्षा 3 हिंदी अध्याय 1: कविता का भावार्थ
यह कविता एक कोयल की है जिसका नाम कक्कू हैI इसकी आदत दिनभर रोने की है इसलिए इसे सक्कू कहकर चिढ़ाते हैंI कोयल की बोली मीठी होती है लेकिन इसके साथ जरा सा ठिठोली करो तो यह भड़क जाता है इसलिए कभी-कभी हम इसे भक्कू भी कहते हैंI यह जो कक्कू है वह बात-बात में चिढ़ जाता है और सदा मुहं फुलाए रहता हैI इसको गाना बिल्कुल नहीं आता और लड़ने के लिए तैयार रहता हैI इसलिए इसका एक नाम झक्कू भी हैI
तुम अपना नाम लिखो और बताओ कि तुम्हारे नाम का क्या मतलब है?
उत्तर:
मेरा नाम रवि है इसका मतलब सूर्य होता है, सूर्य भगवान् का एक नाम रवि भी हैI
सोचो और लिखो कि किसी-किसी को नीचे दिए गए नामों से क्यों बुलाया जाता होगा? गप्पू …………………………………….. भोली …………………………………….. छुटकी …………………………………….. गोलू …………………………………….. लम्बू …………………………………..
उत्तर:
गप्पू: बहुत ज्यादा गप्प मारने वाले को गप्पू कहते हैंI
भोली: एकदम सरल स्वभाव वाली लड़की को भोली कहते हैंI
छुटकी: जिसकी लम्बाई कम होती है उसे छुटकी कहते हैंI
गोलू: शरीर से गोल मटोल लड़के को गोलू कहते हैंI
लम्बू: ऐसा लड़का जिसकी लम्बाई ज्यादा होI
कविता को पूरा कीजिये: कक्कू वह जो सदा हँसाए रोना उसे ज़रा न …………………… चिड़िया के संग गाना …………………… संग मोर के …………………… इसीलिए तो कभी-कभी हम कहते उसको …………………… ।
उत्तर:
कक्कू वह जो सदा हँसाए
रोना उसे ज़रा न भाए
चिड़िया के संग गाना गाए
संग मोर के नाच नचाए
इसीलिए तो कभी-कभी हम
कहते उसको नक्कू।
कक्कू कैसा है? कक्कू कोयल जैसा क्यों नहीं है? लिखो।
उत्तर:
कक्कू झगड़ालू और तुनकमिजाज था और उसे कोयल जैसा गाना भी नहीं आता थाI
क्या तुम्हें भी कोई चिढ़ाता है? तब तुम्हें कैसा लगता है?
उत्तर:
हाँ, मेरा बड़ा भाई मुझे चिढ़ाता है, मुझे उसके चिढ़ाने से गुस्सा आता हैI