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सिखावन – कक्षा 8 हिन्दी

सिखावन – कक्षा 8 हिन्दी

कवि के दोहे ‘सिखावन’ में जीवन के विभिन्न पहलुओं को समझाया गया है और नैतिक शिक्षा दी गई है। पहला दोहा बताता है कि कठिनाइयों के बावजूद हमें आशा और विश्वास नहीं खोना चाहिए। दूसरे दोहे में यह संदेश दिया गया है कि एक अवगुण, सौ गुणों को नष्ट कर सकता है, इसलिए हमें अपनी इच्छाओं पर काबू रखना चाहिए। तीसरे दोहे में सत्य की महत्ता बताई गई है, जो झूठ बोलने वाले से कहीं अधिक सम्मान का हकदार है। चौथे दोहे में कवि कहते हैं कि जीवन में सुख और दुःख आते रहते हैं, पर हमें इनसे ऊपर उठकर नए मार्ग की खोज करनी चाहिए। पाँचवें दोहे में कवि गुणहीन जीवन को व्यर्थ मानते हैं, जबकि छठे दोहे में परोपकारिता को महत्व दिया गया है। सातवें दोहे में कवि पुस्तकों के ज्ञान को जीवन में सफलता प्राप्त करने का मुख्य साधन बताते हैं। आठवें दोहे में निरंतर प्रयास की आवश्यकता को बताया गया है, जिससे व्यक्ति अपने लक्ष्य को प्राप्त कर सकता है। आखिरी दोहे में कवि ज्ञान और उत्साह को जीवन की सफलता के लिए जरूरी बताते हैं। ये सभी दोहे जीवन में सही दिशा में चलने और अच्छे गुणों को अपनाने की प्रेरणा देते हैं।

का होगे के रात है, घपटे हे अँधियार । आसा अउ बिसवास के चल तैं दीया बार।

सन्दर्भ – प्रस्तुत हमारी पाठ्य-पुस्तक ‘छत्तीसगढ़ भारती” के ‘सिखावन’ नामक पाठ से लिया गया है। प्रसंग – इस दोहे में कवि ने हमें सीख दी है कि कठिन क्षणों में भी हमें आशा और विश्वास का त्याग नहीं करना चाहिए।
व्याख्या – कवि कहते हैं कि क्या हुआ जो रात है और चारों ओर घना अन्धकार छाया हुआ है। ऐसे कठिन समय में भी तुम्हें निराश नहीं होना चाहिए और आशा और विश्वास का दीपक जलाना चाहिए। अर्थात् अपने मन में कार्य पूर्ण होने की आशा और विश्वास बनाए रखना चाहिए।

एके अवगुन सौ गुन ल मिलखी मारत खाय ।

गुरतुर गुन वाला सुवा, लोभ करे फँद जाय ।

सन्दर्भ – प्रस्तुत हमारी पाठ्य-पुस्तक ‘छत्तीसगढ़ भारती” के ‘सिखावन’ नामक पाठ से लिया गया है।

प्रसंग इस दोहे में कवि ने बताया है कि एक अवगुण सौ गुण को नष्ट कर देता है।

व्याख्या कवि कहते हैं कि एक अवगुण पलक झपकते ही सौ गुणों को नष्ट कर देता है। जैसे मीठी बोली बोलने वाला तोता लालच में आकर शिकारी के जाल में फँस जाता है। अतः हमें अवगुणों से दूर रहना चाहिए।

मीठ-लबारी बोल के लबरा पाये मान ।

पन सतवंता ह सत्त बर हाँसत तजे परान ।

सन्दर्भ – प्रस्तुत हमारी पाठ्य-पुस्तक ‘छत्तीसगढ़ भारती” के ‘सिखावन’ नामक पाठ से लिया गया है।

प्रसंग – इस दोहे में कवि ने बताया है कि सत्यवादी मनुष्य ही सच्चा मान-सम्मान प्राप्त करता है।

व्याख्या – झूटा मनुष्य भले ही मीठा झूठ बोलकर सम्मान प्राप्त कर लेता है किन्तु सत्यवादी व्यक्ति तो सत्य की रक्षा के लिये हँसते हुए अपने प्राणों का त्याग कर देता है। वास्तव में वही सच्चे सम्मान का अधिकारी है।

घाम छाँव के खेल तो होवत रहिथे रोज –

एकर संसो छोड़ के रद्दा नावा तैं खोज।

सन्दर्भ – प्रस्तुत हमारी पाठ्य-पुस्तक ‘छत्तीसगढ़ भारती” के ‘सिखावन’ नामक पाठ से लिया गया है।

प्रसंग – इस दोहे में कवि ने बताया है कि मनुष्य को सुख-दुःख के फेर में न पड़कर अपने लिए नए मार्ग की तलाश करनी चाहिए।

व्याख्या – कवि कहते हैं कि धूप और छाया तो रोज ही आती-जाती रहती है, परन्तु इनकी चिंता छोड़कर तुम्हें नए रास्ते की तलाश करनी चाहिए। तात्पर्य यह है कि जीवन में दुःख और सुख तो आते ही रहते हैं। पर मनुष्य को इनके फेर में न पड़कर आगे बढ़ने के लिए सदैव प्रयास करते रहना चाहिए।


लाखन लाखन रंग के, फुलथे फूल मितान ।

महर – महर जे नइ करे, फूल अबिरथा जान ।

सन्दर्भ – प्रस्तुत हमारी पाठ्य-पुस्तक ‘छत्तीसगढ़ भारती” के ‘सिखावन’ नामक पाठ से लिया गया है।

प्रसंग – इस दोहे में कवि ने गुणहीन मनुष्य के जीवन को व्यर्थ बताया है।
व्याख्या – कवि कहते हैं कि मित्रो, संसार में लाखों-लाख रंगों के फूल खिलते हैं किन्तु जो अपनी सुगन्धि नहीं बिखेरता उसे व्यर्थ ही जानो। भाव यह है कि गुणहीन व्यक्ति का जीवन व्यर्थ है।

सब ला देथे फूल – फर, सब ला देथे छाँव ।

अइसन दानी पेड़ के परो निहरके पाँव

सन्दर्भ – प्रस्तुत हमारी पाठ्य-पुस्तक ‘छत्तीसगढ़ भारती” के ‘सिखावन’ नामक पाठ से लिया गया है।

प्रसंग – इस दोहे में कवि ने परोपकारी व्यक्ति को पूजनीय बताया है।

व्याख्या – कवि कहते हैं कि जो वृक्ष सभी को फूल और फल प्रदान करता है, सभी को छाया देता है, ऐसे दानी पेड़ को झुककर प्रणाम करना चाहिए। आशय यह है कि परोपकारी व्यक्ति का सदैव सम्मान करना चाहिए।

तैं किताब के संग बद, गंगाबारू, मीत ।

एकरे बल म दुनिया लपक्का लेबे जीत।

सन्दर्भ – प्रस्तुत हमारी पाठ्य-पुस्तक ‘छत्तीसगढ़ भारती” के ‘सिखावन’ नामक पाठ से लिया गया है।

प्रसंग – इस दोहे में पुस्तकों का महत्व बताया गया है।
व्याख्या – कवि कहते हैं कि तुम किताबों साथ मित्रता का सम्बन्ध जोड़ लो। इन किताबों में भरे ज्ञान के भण्डार के बल पर तुम एक दिन संसार पर विजय प्राप्त कर लोगे अर्थात् पुस्तकों को पढ़कर सफलता प्राप्त कर सकते हो।

ठाड़े ठाड़े नइ मिले, ठिहा ठिकाना – – सार।

समुँद कोत नँदिया चले, दउड़त पल्ला मार

सन्दर्भ – प्रस्तुत हमारी पाठ्य-पुस्तक ‘छत्तीसगढ़ भारती” के ‘सिखावन’ नामक पाठ से लिया गया है।

प्रसंग -इस दोहे में कवि ने बताया है कि प्रयास करने पर ही मनुष्य को सफलता प्राप्त होती है।
व्याख्या – कवि कहते हैं कि एक स्थान पर खड़े रहने पर मनुष्य को उसकी मंजिल प्राप्त नहीं होती। नदी भी अपनी मंजिल समुद्र तक पहुँचने के लिए तेज गति से दौड़ती है। आशय यह है कि मनुष्य को अपने लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए निरन्तर प्रयास करते रहना चाहिए।

हे उछाह मन म कहूँ, पाये बर कुछु ज्ञान ।

का मनखे ? चाँटी घलो पाही गुरु के मान

सन्दर्भ – प्रस्तुत हमारी पाठ्य-पुस्तक ‘छत्तीसगढ़ भारती” के ‘सिखावन’ नामक पाठ से लिया गया है।

प्रसंग – इस दोहे में कवि ने बताया है कि ज्ञानी सदैव सम्मान प्राप्त करता है। साथ ही काम के प्रति उत्साह के होने को भी महत्वपूर्ण बताया है।

व्याख्या – कवि कहते हैं कि यदि सब में ज्ञान प्राप्त करने का उत्साह है तो मनुष्य ही क्या नन्हीं सी चीटी भी गुरु का सम्मान प्राप्त कर सकती है। आशय यह है कि ज्ञानी चाहे कोई भी हो, सभी उसका सम्मान करते हैं।

MCQs with Answers:

1. ‘सिखावन’ कविता का मुख्य संदेश क्या है?
a) आलस्य से दूर रहना
b) जीवन में उत्साह और मेहनत की महत्ता
c) धन अर्जन करना
d) केवल झूठ बोलने से सम्मान मिलता है
उत्तर: b) जीवन में उत्साह और मेहनत की महत्ता


2. पहले दोहे में कवि ने किसे संबोधित किया है?
a) युवाओं को
b) बड़ों को
c) समग्र समाज को
d) किसी विशेष व्यक्ति को
उत्तर: c) समग्र समाज को


3. दूसरे दोहे में ‘अवगुण’ से क्या तात्पर्य है?
a) अच्छा गुण
b) कोई शारीरिक कमजोरी
c) एक बुरा गुण जो अच्छे गुणों को नष्ट कर देता है
d) किसी का भला करने की आदत
उत्तर: c) एक बुरा गुण जो अच्छे गुणों को नष्ट कर देता है


4. सत्यवादी व्यक्ति के बारे में क्या कहा गया है?
a) झूठ बोलकर सम्मान प्राप्त करता है
b) सत्य के लिए अपने प्राणों का त्याग करता है
c) अपने स्वार्थ के लिए झूठ बोलता है
d) केवल अपने परिवार के लिए अच्छा करता है
उत्तर: b) सत्य के लिए अपने प्राणों का त्याग करता है


5. चौथे दोहे का संदेश क्या है?
a) सुख और दुःख से परेशान होना चाहिए
b) जीवन में केवल खुश रहना चाहिए
c) दुख-सुख से ऊपर उठकर नए रास्ते की तलाश करनी चाहिए
d) दुख को झेलते हुए पीछे हट जाना चाहिए
उत्तर: c) दुख-सुख से ऊपर उठकर नए रास्ते की तलाश करनी चाहिए


6. कवि ने गुणहीन व्यक्ति के जीवन को किस रूप में प्रस्तुत किया है?
a) बहुत महत्वपूर्ण
b) उत्कृष्ट
c) व्यर्थ
d) आदर्श
उत्तर: c) व्यर्थ


7. परोपकारी व्यक्तियों के बारे में कवि क्या कहते हैं?
a) उन्हें सम्मान नहीं मिलना चाहिए
b) उन्हें उपेक्षित किया जाना चाहिए
c) उन्हें सम्मानित किया जाना चाहिए
d) उन्हें दूसरों से कुछ नहीं लेना चाहिए
उत्तर: c) उन्हें सम्मानित किया जाना चाहिए


8. किताबों के बारे में कवि का क्या दृष्टिकोण है?
a) किताबें केवल अध्ययन का माध्यम नहीं, सफलता के लिए भी आवश्यक हैं
b) किताबें सिर्फ समय बर्बाद करने का साधन हैं
c) किताबें सिर्फ बच्चों के लिए हैं
d) किताबें केवल सूचना देने का काम करती हैं
उत्तर: a) किताबें केवल अध्ययन का माध्यम नहीं, सफलता के लिए भी आवश्यक हैं


9. कवि के अनुसार, प्रयास करने से क्या प्राप्त होता है?
a) भाग्य का साथ
b) सफलता
c) संकोच
d) कोई विशेष परिणाम नहीं
उत्तर: b) सफलता


10. “ज्ञान का उत्साह” का क्या अर्थ है?
a) केवल अपनी खुशी के लिए काम करना
b) जीवन में ज्ञान प्राप्त करने की इच्छा और प्रयास
c) शारीरिक शिक्षा में रुचि
d) केवल किताबों का अध्ययन करना
उत्तर: b) जीवन में ज्ञान प्राप्त करने की इच्छा और प्रयास


11. पहले दोहे में ‘दीया’ का प्रतीक क्या है?
a) प्यार
b) विश्वास और आशा
c) शिक्षा
d) शक्ति
उत्तर: b) विश्वास और आशा


12. दूसरे दोहे में मीठी बोली बोलने वाले तोते का उदाहरण किसके रूप में दिया गया है?
a) एक ज्ञानी व्यक्ति
b) एक चालाक व्यक्ति
c) एक आलसी व्यक्ति
d) एक लालची व्यक्ति
उत्तर: d) एक लालची व्यक्ति


13. “सत्यवादी व्यक्ति” के बारे में क्या बताया गया है?
a) वह हमेशा दूसरों को धोखा देता है
b) वह अपने जीवन में हमेशा खुश रहता है
c) वह अपने सत्य के लिए बलिदान दे सकता है
d) वह कभी अपनी बातों पर विश्वास नहीं करता
उत्तर: c) वह अपने सत्य के लिए बलिदान दे सकता है


14. “घाम छाँव के खेल” से क्या अभिप्रेत है?
a) जीवन में सुख और दुःख का निरंतर आना
b) केवल दुःख का आना
c) जीवन में हमेशा खुशी रहनी चाहिए
d) जीवन में कोई संघर्ष नहीं होना चाहिए
उत्तर: a) जीवन में सुख और दुःख का निरंतर आना


15. चौथे दोहे में ‘रद्दा नावा तैं खोज’ का क्या मतलब है?
a) हमेशा पुराने रास्ते पर चलो
b) नया रास्ता तलाशने की जरूरत है
c) किसी के दिए रास्ते का अनुसरण करो
d) पुराने रास्ते में ही सब कुछ मिलेगा
उत्तर: b) नया रास्ता तलाशने की जरूरत है


16. कवि के अनुसार, एक अच्छा जीवन जीने के लिए क्या जरूरी है?
a) केवल धन अर्जन
b) अच्छा स्वास्थ्य
c) अच्छे गुण और परोपकारिता
d) सामाजिक स्थिति
उत्तर: c) अच्छे गुण और परोपकारिता


17. “दानी पेड़” का क्या संदेश है?
a) आत्मकेंद्रित रहना चाहिए
b) दूसरों को देना और मदद करना चाहिए
c) केवल खुद का विकास करना चाहिए
d) हमेशा अपनी मदद का उम्मीद करना चाहिए
उत्तर: b) दूसरों को देना और मदद करना चाहिए


18. “ठाड़े ठाड़े नइ मिले” का क्या अर्थ है?
a) ठहर कर सफलता प्राप्त नहीं होती
b) किसी भी हाल में रुकना नहीं चाहिए
c) सफलता के लिए रुककर सोच विचार करना चाहिए
d) ठहरे रहने से फायदा मिलता है
उत्तर: a) ठहर कर सफलता प्राप्त नहीं होती


19. “लाखन लाखन रंग के” पंक्ति से कवि का उद्देश्य क्या है?
a) सारा संसार व्यर्थ है
b) सुंदरता का महत्व दिखाना
c) गुणहीन व्यक्ति का जीवन कोई मूल्य नहीं रखता
d) हर व्यक्ति को अपनी सुंदरता पर गर्व होना चाहिए
उत्तर: c) गुणहीन व्यक्ति का जीवन कोई मूल्य नहीं रखता


20. “तैं किताब के संग बद, गंगाबारू, मीत” का अर्थ क्या है?
a) केवल किताबों के अध्ययन से सफलता नहीं मिलती
b) किताबों से दोस्ती कर सफलता प्राप्त होती है
c) किताबों का अध्ययन व्यर्थ है
d) किताबों से केवल ज्ञान नहीं, लेकिन भी कुछ नहीं मिलता
उत्तर: b) किताबों से दोस्ती कर सफलता प्राप्त होती है

पाठ से-

प्रश्न 1. हमन ला चोटी ले काका सिखावन मिलये ? ओरिया के लिखव (हमें चीटी से क्या-क्या सीख मिलती है ? विस्तार से लिखिए।)

उत्तर- हमन ला चाँटी ले दिन-रात मेहनत करे के सिखावन मिलये जब एक टन चाँटी ह दावा लेके दीवार मा चढ़ये त वोहर सौ बार फिसल के गिर जाये फेर हिम्मत न हास्य बरोबर अपने काम मा रहिये अउ आखिरी बेरा मा वोहर दाना लेके दीवार मा चदेवर सफल हो जाये चोटी ले हमन ला अठू सीखायन मिलने के जीवन मा 1 कभू हताश नड़ होना चाही। लोगों को चींटी से दिन-रात मेहनत करने की सीख मिलती है जब एक छोटी सी चींटी दाना लेकर दीवार पर चढ़ती है तो वह सौ बार फिसलती है लेकिन हिम्मत नहीं हारती है। अपने काम में बराबर लगी रहती है। और अंत में दाना लेकर दीवार पर चढ़ने में सफल हो जाती है। चीटी से हमें यह भी सीख मिलती कि जीवन में कभी भी निराश नहीं होना चाहिए।)

प्रश्न 2. ‘ठाढ़े- ठाढ़े ठिहा-ठिकाना नई मिलय एमा कवि के भाव ल बने अरवा के लिखब। (खड़े-खड़े मंजिल / लक्ष्य नहीं मिलता- इसमें कवि के भाव को समझाकर लिखिए।)

उत्तर-ठादे-बढ़े विहा-ठिकाना नह मिलय मा कवि के भाव हे के खड़े-खड़े कोनो ल बिना मेहनत के ओखर मंजिल बड़ मिल जाय। अपन मंजिल ला पायेवर मनखे ला जी तोड़ मेहनत करे बर पहये। (खड़े-खड़े मंजिल नहीं मिलता- इसमें कवि का भाव यह है कि खड़े-खड़े किसी को भी बिना मेहनत के अपना मंजिला / लक्ष्य नहीं मिल पाता। अपने मंजिल को हासिल करने के लिए मनुष्य को कठिन परिश्रम करना पड़ता है।) (यहाँ कवि का भाव है कि एक स्थान पर खड़े रहकर मनुष्य अपने ठिकाने तक नहीं पहुँच सकता। अपनी मंजिल को नहीं प्राप्त कर सकता। अपनी मंजिल को प्राप्त करने के लिए उसे चलना पड़ता है )

प्रश्न 3. काकर बल म ये दुनिया ल जीते जा सकत है, अउ ‘दुनिया ल जीतना’ के का अर्थ है ? (किसके बल पर को जीता जा सकता है, और ‘दुनिया को जीतना’ का क्या अर्थ है ?)

उत्तर- किताब के बल में दुनिया ल जीते जा सकते हे। ‘दुनिया ल जीतना’ क अर्थ है-अपन ज्ञान के बल म दुनिया में सफलता पाना । (पुस्तक के बल पर दुनिया को जीता जा सकता है। ‘दुनिया ल जीतना’ का अर्थ है-अपने ज्ञान के बल पर संसार में सफलता प्राप्त करना)

प्रश्न 4. पेड़ ल दानी काबर कहे मे हवय ? (पेड़ को दानी क्यों कहा गया है ?)

उत्तर- पेड़ ह सब ल फूल अउ फर देवे, सब ल छइहाँ देवे, एखर, कारण पेड़ ल दानी कहे गे हवय। (पेड़ सभी को फूल और फल देता है, सभी को छाया देता है, इस कारण पेड़ को दानी कहा गया है।)

प्रश्न 5. ‘घाम-छाँव के खेल’ के अर्थ ल बने समझ के लिखय। (‘घाम-छाँव के खेल’ के अर्थ को ठीक से समझकर लिखिए।)

उत्तर- दुनिया में जइसे रोज घाम-छाँ आवत-जावत रहिये, कभू छौंव होये, ओइसने मनखे के जिनगी में दुख-सुख आवत-जात रहिये। (“संसार में जैसे रोज धूप और छाया आती-जाती रहती है, कभी धूप होती है, कभी छाया होती है, उसी तरह मनुष्य के जीवन में दुःख-सुख आते-जाते रहते हैं।”)

प्रश्न 6. ‘रात’ अउ ‘अँधियार’ के अर्थ कवि के अनुसार का हो सकत है ? (‘रात’ और ‘अधियार’ का अर्थ कवि के अनुसार क्या हो सकता है ?)

उत्तर- ‘रात’ अउ ‘अंधियार के अर्थ कवि के अनुसार ‘दुःख’ अउ ‘संकट’ हो सकत है। (‘रात’ और ‘अंधियार’ का कवि के अनुसार ‘दुःख’ और ‘संकट’ हो सकता है।)

प्रश्न 7. ‘आसा अउ बिसवास’ के दीया बारना के भाव लिखय। (‘आसा’ अउ ‘बिसवास’ के दीया चारना का भाव लिखिए।)

उत्तर- ‘आसा अउ बिसवास’ के दीया चारना के अर्थ हे मन म आसा अउ बिसवास के जगाए रखना, निराश नई होना। (‘आसा अउ बिसवास’ के दीया बारना का अर्थ है-मन में आशा और विश्वास की ज्योति जलाए रखना, निराश न होना )