षडऋतुवर्णनम् कक्षा 8 संस्कृत पाठ 9

षडऋतुवर्णनम् कक्षा 8 संस्कृत पाठ 9

1. अस्माकं देशे षड्ऋतवः भवन्ति । ते इमे वसन्त ग्रीष्म- वर्षा-शरद- हेमन्त शिशिराश्च। एतेषु वसन्तः ऋतुराज : इति कथ्यते। अस्यागमः माघशुक्लपञ्चम्यां तिथौ भवति । अस्मिन् दिने वाग्देव्याः पूजनमपि भवति। वसन्ते समशीतोष्णवातावरणं भवति।

शब्दार्थाः – अस्माकं = हमारे। षड्ऋतवः = छः ऋतुएँ। समशीतोष्ण = ठण्ड व गर्मी समान ।

अनुवाद- हमारे देश में छः ऋतुएँ होती हैं। वे इस प्रकार हैं वसन्त, ग्रीष्म, वर्षा, शरद, हेमन्त और शिशिर इनमें वसन्त ऋतुराज कहलाता है। इसका आगमन माघशुक्ल पञ्चमी तिथी को होता है। इस दिन वाणी की देवी सरस्वती का पूजन होता है। वसन्त ऋतु में ठण्डी और गर्मी का वातावरण एक समान होता है।

2. शीतलः मन्दः सुगन्धः मलयानिलः प्रवहति । वने उपवने च विविधानि पुष्पाणि विकसन्ति । पिकाः कूजन्ति वनचराः नभचराः प्रमुदिताः भवन्ति। वृक्षाः नवपल्लवानि धारयन्ति । आम्रवृक्षाः मञ्जरीभिः अतीव शोभन्ते ।

शब्दार्था:- मलयानिलः = मलय पर्वत से बहने वाली हवा । वनचराः = वन में विचरण करने वाले (हरिणादि पशु) नभचराः = आकाश में विचरण करने वाले (पक्षी)। पिकाः = कोयल

अनुवाद- शीतल, मंद, सुगन्धित मलय पर्वत की वायु बहती है। वन में और उपवन में अनेक पुष्प खिलते हैं। कोयल मधुर कुञ्जन करती है। वन में विचरण करने वाले और आकाश में विचरण करने वाले आनंदित हो जाते हैं। वृक्ष नवीन कोमल पत्तों को धारण करते हैं। आम के वृक्ष फूलों से अत्यंत सुशोभित होते हैं।

3. वसन्ते गते ग्रीष्मः आगच्छति। ग्रीष्म प्रचण्ड सूर्यातपेन धरा तपति । प्रचण्डघर्मोष्मणा रोगकारकं विषं स्वेद: बिन्दुरूपेण शरीरात् बहिः निर्गच्छति। हरितवर्णाम्रफलं पक्त्वा पीतायते । तानि पक्वानि आम्रफलानि अतीव मधुराणि भवन्ति । ग्रीष्म ऋतोः व्यतीते सति प्रचण्डः समीरः प्रवहति। स एव वर्षाऋतोः आगमनं सूचयति । वर्षाऋतौ जलदः स्वजलधाराभिः पृथिवीं पूरयति । कृषकाः कृषिभूमिं हलेन कर्षन्ति, बीजं वपन्ति च। अतिवृष्ट्या नद्यः जलेन परिपूर्णाः भवन्ति ।

शब्दार्था:- स्वेदः = पसीना जलदः = जल देने वाला। पीतायते = पीले हो जाते हैं।

अनुवाद- वसन्त के बाद ग्रीष्म आती है। ग्रीष्म में सूर्य प्रचण्ड रूप से तपकर भूमि को तपाता है। प्रचंड ऊष्मा से रोगकारक और विषैला पसीना बूँदों के रूप में शरीर से बाहर निकलता है। हरे रंग के आम पककर पीले होने लगते हैं। ग्रीष्म ऋतु के व्यतीत होने पर तेज हवायें चलती हैं। इससे वर्षाऋतु के आगमन की सूचना मिलती है। वर्षा ऋतु में मेघ अपनी जल धाराओं से भूमि को भर देते हैं। कृषक खेत को हल से जोतते हैं और बीज बोते हैं। अति वृष्टि से नदियाँ जल से पूर्ण हो जाती हैं।

4. ततः शरद् ऋतुः आयाति । चन्द्रस्य धवलज्योत्सना सम्पूर्णधरा जलमिव आभाति । शरदि सम्पूर्ण भारतीया : उत्सवेषु निमग्नाः प्रतीयन्ते । शरदन्ते हेमन्तः आगच्छति । हेमन्ते वयं महत् शीतमनुभवामः । जनाः ऊर्णवस्त्राणि धारयन्ति दिवसः लघुः निशा च दीर्घा भवति । अस्मिन् काले तण्डुलयुक्ताः शालयः कनकप्रभा इव दृश्यन्ते । ततः शिशिरः आयाति । शिशिरे शीताः पवनाः वहन्ति । वृक्षाणां पत्राणि जीर्णानि भूत्वा पृथिव्यां पतन्ति । शिशिरसमापनावसरे जनाः वसन्तागमनस्य प्रफुल्लतायां पीतवस्त्राणि धारयित्वा हर्षमनुभवन्ति

शब्दार्था:- आभाति = दिखाई पड़ती है। शालयः = धान ,तण्डुल = चावल ।

अनुवाद- उसके बाद शरद ऋतु आती है। चन्द्र की शुभ्र ज्योत्सना (किरण) से सम्पूर्ण भूमि जल के समान प्रतीत होती है। शरद ऋतु में सभी भारतीय उत्सवों में मग्न दिखाई देते हैं। शरद के बाद हेमन्त आता है। हेमन्त में हम अत्यंत शीतलता का अनुभव करते हैं। लोग ऊनी वस्त्र धारण करते हैं। दिन छोटे और रात्रियाँ बड़ी होती हैं। इस समय चावल युक्त धान सोने के समान दिखाई देते हैं। इसके बाद शिशिर आता है। शिशिर में ठण्डी हवायें चलती हैं। वृक्षों के पुराने पत्ते पृथ्वी पर गिरते हैं। शिशिर की समाप्ति पर लोग वसन्त के आगमन से प्रसन्न होकर पीले वस्त्र धारण करके आनंदित होते हैं।

अभ्यास प्रश्नाः

1. निम्न प्रश्नों के उत्तर संस्कृत में लिखिए-

(क) अस्माकं देशे कति ऋतवः भवन्ति ?

(हमारे देश में कितनी ऋतुयें हैं ?)

उत्तर- अस्माकं देशे षड्ऋतवः भवन्ति ।

(हमारे देश में छः ऋतुयें हैं।)

(ख) वसन्तर्तुः कीदृशः भवति ?

(वसन्त ऋतु कैसी होती है ?)

उत्तर- वसन्तर्तुः समशीतोष्णः भवति

(वसन्त ऋतु में ठण्ड व गर्मी समान होती है।)

(ग) शरद ऋतुः कदा आगमिष्यति ?

(शरद ऋतु कब आती है ?)

उत्तर- वर्षा ऋतो: अनंतरम् शरद ऋतुः आयति

(वर्षा ऋतु के बाद शरद ऋतु आती है।)

(घ) हेमन्ते जनाः कीदृशानि वस्त्राणि धारयन्ति ?

(हेमन्त ऋतु में लोग कैसे वस्त्र धारण करते हैं ?)

उत्तर- हेमन्ते जनाः ऊर्णवस्त्राणि धारयन्ति ।

(हेमन्त ऋतु में लोग ऊनी वस्त्र धारण करते हैं।)

(ङ) वाग्देव्याः पूजनं कदा भवति ?

(वाग् देवी की पूजा कब होती है ?)

उत्तर- वाग्देव्याः पूजनं माघशुक्लपञ्चम्यां भवति ।

(वाग् देवी की पूजा माघशुक्ल पञ्चमी में होती है।)

2. निम्न वाक्यों का अनुवाद संस्कृत में कीजिए-

(क) वसन्त ऋतुराज कहलाता है।

अनुवाद- – वसन्त ऋतुराजः इति कथ्यते ।

(ख) रोग कारक विष शरीर से निकलते हैं।

अनुवाद-रोगकारकं विषं शरीरात् बहिः निर्गच्छति ।

(ग) किसान हल से खेत जोतते हैं।

अनुवाद – कृषकाः कृषिभूमिं हलेन कर्षन्ति ।

(घ) पत्ते जीर्ण होकर पृथ्वी पर गिरते हैं।

अनुवाद- पत्राणि जीर्णानि भूत्वा पृथिव्यां पतन्ति ।

(इ) हेमन्त ऋतु में हम अधिक ठण्ड का अनुभव करते हैं।

अनुवाद – हेमन्ते वयं महत् शीतमनुभवामः ।

(च) भारतीय उत्सव प्रिय होते हैं।

अनुवाद – भारतीया उत्सवप्रियाः भवन्ति