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प्रकाश का परावर्तन कक्षा 7 विज्ञान अध्याय 12

प्रकाश का परावर्तन कक्षा 7 विज्ञान अध्याय 12 स्मरणीय तथ्य

प्रकाश का परावर्तन – किसी चमकदार सतह से प्रकाश की किरणों का टकराकर किसी निश्चित दिशा में चला जाना प्रकाश का परावर्तन कहलाता है।

परावर्तन के दो नियम हैं- पहले नियम के अनुसार, आपतित किरण, परावर्तित किरण तथा आपतन बिन्दु पर अभिलम्ब एक ही तल में होते हैं। दूसरे नियम के अनुसार , आपतन कोण सदैव परावर्तन कोण के बराबर होता है।

प्रकाश का परावर्तन

नियमित परावर्तन – जब प्रकाश की समानान्तर किरणें चिकनी और चमकदार सतह पर आपतित होती है, तो परावर्तित फिरणे भी आपस में समानान्तर होती है, इसे नियमित परावर्तन कहते हैं।

नियमित और अनियमित परावर्तन
नियमित और अनियमित परावर्तन

अनियमित परावर्तन — जब प्रकाश की समानान्तर किरणों खुरदुरे परावर्तक सतह पर आपतित होती है, तो परावर्तित किरणें आपस में समानान्तर नहीं होतीं, इसे अनियमित परावर्तन कहते हैं।

पार्श्व परिवर्तन – समतल दर्पण द्वारा बनने वाले प्रतिविम्ब का दायाँ भाग वस्तु का बायाँ भाग और प्रतिबिम्ब का बायाँ भाग वस्तु का दायाँ भाग होता है। इसे ही पार्श्व परिवर्तन कहा जाता है।

पार्श्व परिवर्तन

वक्रता केन्द्र – गोलीय दर्पण जिस गोले का भाग है, उसका केन्द्र वक्रता केन्द्र कहलाता है।

वक्रता केन्द्र
वक्रता केन्द्र

फोकस – मुख्य अक्ष के समानान्तर आपतित किरणें दर्पण से परावर्तन के पश्चात् जिस बिन्दु से होकर गुजरती है, उसे गोलीय दर्पण का फोकस कहते हैं।

प्रकाश का परावर्तन कक्षा 7 विज्ञान अध्याय 12 - Notes of important topics

गोलीय दर्पण दो प्रकार के होते हैं, अवतल तथा उत्तल दर्पण।

वास्तविक प्रतिबिम्ब– जब किसी बिन्दु से चलने वाली किरणे परावर्तन के पश्चात् दर्पण के सामने वास्तव में मिलती हैं, तब वास्तविक प्रतिबिम्ब बनाती हैं।

आभासी प्रतिबिम्ब – समतल दर्पण में परावर्तित किरणें दर्पण के पीछे रखी किसी वस्तु से आती हुई प्रतीत होती हैं। इसे वस्तु का आभासी प्रतिबिम्ब कहते हैं।

प्रकाश का परावर्तन कक्षा 7 विज्ञान अध्याय 12 - Notes of important topics

समतल दर्पण में बना प्रतिबिम्ब वस्तु के आकार का होता है तथा दर्पण से उतनी ही दूरी पर पीछे बनता है, जितनी दूरी पर वस्तु दर्पण के आगे होती है।

मुख्य अक्ष के समानान्तर प्रकाश की किरणें किसी अवतल दर्पण से परावर्तन के पश्चात् फोकस से होकर गुजरती है।

अवतल लेंस और उत्तल दर्पण द्वारा निर्मित आभासी प्रतिबिम्ब

दर्पण में फोकस से गुजरने वाली प्रकाश की किरणें परावर्तन के पश्चात् मुख्य अक्ष के समानान्तर हो जाती है।

दर्पण के वक्रता केन्द्र से गुजरने वाली प्रकाश की किरणें दर्पण से परावर्तन के पश्चात् उसी मार्ग से लौट जाती है।

उत्तल दर्पण द्वारा सदैव छोटा और आभासी प्रतिबिम्ब बनता है।

प्रकाश का परावर्तन

इनके उत्तर दीजिए-

प्रश्न 1. नियमित तथा अनियमित परावर्तन में अन्तर लिखिए।
उत्तर- नियमित तथा अनियमित परावर्तन में अन्तर-

क्र.नियमित परावर्तनअनियमित परावर्तन
यह परावर्तन चिकनी एवं चमकदार सतह पर होता है।यह परावर्तन खुरदुरे सतह पर होता है।
परावर्तित किरणें समानान्तर होती हैंपरावर्तित किरणें समानान्तर नहीं होती हैं।
इसमें बना प्रतिबिम्ब स्पष्ट चमकीला होता है।इसमें बना प्रतिबिम्ब अस्पष्ट तथा विकृत होता है।

प्रश्न 2.परावर्तन के नियम लिखिए।
उत्तर- परावर्तन के नियम- 1. आपतित किरण, परावर्तित किरण तथा आपतन बिन्दु पर अभिलम्ब एक ही तल में होते हैं।2. आपतन कोण सदैव परावर्तन कोण के बराबर होता है।

प्रश्न 3. समतल दर्पण द्वारा बने प्रतिविम्ब के दो लक्षण लिखिए।
उत्तर- समतल दर्पण द्वारा बने प्रतिबिम्ब के लक्षण निम्न है- 1. प्रतिबिम्ब का आकार वस्तु के आकार के बराबर होता है। 2. वस्तु दर्पण के सामने जितनी दूरी पर रखी जाती है, प्रतिबिम्ब दर्पण से उतनी ही दूर पीछे बनता है।

दर्पण

इनके उत्तर दीजिए-

प्रश्न 1. वक्रता केन्द्र से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर—गोलीय दर्पण जिसे गोले का भाग है, उसका केन्द्र वक्रता केन्द्र कहलाता है।

प्रश्न 2. अवतल दर्पण में मुख्य अक्ष के समानान्तर आपतित किरण के संगत परावर्तित किरण को चित्र द्वारा दर्शाइए। उत्तर – अवतल दर्पण में मुख्य अक्ष के समानान्तर आपतित किरण के संगत परावर्तित किरण को दर्शाना-

प्रश्न 3. अवतल दर्पण के दो उपयोग लिखिए। उत्तर- अवतल दर्पण के उपयोग-
1. दाढ़ी बनाने में,
2. डाक्टरों द्वारा कान, नाक, गला इत्यादि जाँच करने में, 3. टार्च, सर्चलाइट, वाहनों के हेडलाइट में परावर्तक के रूप में।

प्रश्न 4. किस प्रकार का लेंस सदैव आभासी प्रतिबिंब बनाता है ?
उत्तर- अवतल लेंस सदैव आभासी प्रतिबिंब बनाता है।

अभ्यास के प्रश्न

प्रश्न 1. सही विकल्प चुनिए—
1. परावर्तन का कोण होता है-
(क) आपतित किरण और दर्पण की सतह पर खाये गये अभिलम्ब के बीच का कोण,

(ख) परावर्तित किरण और दर्पण की सतह पर खाँचे गये अभिलम्ब के बीच का कोण,

(ग) परावर्तित किरण और दर्पण की सतह के बीच का कोण
(घ) आपतित किरण और दर्पण की सतह के बीच का कोण

2. एक समतल दर्पण में आपतन कोण होगा-
(क) परावर्तन कोण के बराबर,

(ख) परावर्तन कोण से कम,

(ग) परावर्तन कोण से अधिक,
(घ) इनमें से कोई नहीं।

3. समतल दर्पण द्वारा बने प्रतिबिम्ब की प्रकृति होती है-
(क) आभासी और सीधा
(ख) वस्तु के बराबर,
(ग) पाश्यं परिवर्तित प्रतिविग्य,
(घ) उपर्युक्त सभी।

4. गोलीय दर्पण की फोकस दूरी-

(क) वक्रता त्रिज्या के बराबर होती है,

(ख) वक्रता त्रिज्या की आधी होती है,

(ग) वक्रता त्रिज्या की एक चौथाई होती है,
(घ) इनमें से कोई नहीं।

5. वाहन चालक पीछे के दृश्य देखने हेतु उपयोग करते हैं-
(क) अवतल दर्पण।

(ख) उत्तल दर्पण।
(ग) समतल दर्पण।
(घ) इनमें से कोई नहीं।

उत्तर- 1. (ख), 2. (क), 3. (ख), 4. (ख). 5. (ख)।

प्रश्न 2. “उचित सम्बन्ध जोड़िए-

(क.)(ख)उत्तर-
नियमित परावर्तनउल्टा प्रतिबिम्बचिकनी सतह
अनियमित परावर्तन सीधा प्रतिबिम्बखुरदरी सतह
वास्तविक प्रतिविम्बचिकनी सतहउल्टा प्रतिबिम्ब
आभासी प्रतिविम्बसमान आकार का प्रतिबिम्बसीधा प्रतिबिम्ब
समतल दर्पणखुरदुरी सतहसमान आकार का प्रतिबिम्ब

प्रश्न 3. निम्न प्रश्नों के उत्तर दीजिए-
(i) पार्श्व परिवर्तन से आप क्या समझते है ?

उत्तर- पाश्वं परिवर्तन-समतल दर्पण द्वारा बनने वाले प्रतिबिम्ब का दायाँ भाग वस्तु का बायाँ भाग और प्रतिबिम्ब का चाय भाग वस्तु का दायाँ भाग होता है। इसे पार्श्व परिवर्तन कहा जाता है।

(2) पेरिस्कोप के कोई दो उपयोग लिखिए।

उत्तर- पेरिस्कोप के उपयोग-

1. इसका उपयोग दीवार के दूसरी ओर के दृश्यों को देखने के लिए किया जाता है।
2. इसका उपयोग पनडुब्बियों से पानी की सतह के जहाजों को देखने के लिए किया जाता है।


(3) किसी अवतल दर्पण का वक्रता केन्द्र कैसे ज्ञात करोगे ?
उत्तर- अवतल दर्पण, गोलीय दर्पण का एक प्रकार है। गोलीय दर्पण जिस गोले का एक भाग है, उसके केन्द्र को वक्रता केन्द्र कहते हैं। अवतल दर्पण का वक्रता केन्द्र, दर्पण के परावर्तक तल के सामने की ओर होता है।

(4) उत्तल दर्पण के दो उपयोग लिखिए।
उत्तर- उत्तल दर्पण के दो उपयोग लिखिए-
1. मोटर चालक द्वारा पीछे की वस्तु देखने के लिए।
2. सड़कों पर लगी बत्तियों में परावर्तक के रूप में।

(5) एक अवतल दर्पण की फोकस दूरी 20 सेमी है। इसकी वक्रता त्रिज्या ज्ञात कीजिए।
उत्तर—चूँकि अवतल दर्पण की फोकस दूरी वक्रता त्रिज्या की आधी होती है।

अर्थात्

1/2 वक्रता त्रिज्या = फोकस दूरी
या

वक्रता त्रिज्या = 2x फोकस दूरी

मान रखने पर

वक्रता त्रिज्या = 2 x 20= 40 सेमी |