हिन्दी काव्यशास्त्र

रस सम्प्रदाय

रस-संप्रदाय

भारतीय काव्यशास्त्र का प्रमुख सिद्धांत – नाट्यशास्त्र में प्रतिपादित

विषयविवरण
प्रवर्तकभरतमुनि (200 ई.पू. के लगभग)
ग्रंथनाट्यशास्त्र
मुख्य विचाररस को काव्य/नाट्य की आत्मा मानना
प्रसिद्ध सूत्र“विभावानुभावव्यभिचारिसंयोगाद्रसनिष्पत्तिः”
प्रकार (प्रचलित)श्रृंगार, हास्य, करुण, रौद्र, वीर, भयानक, वीभत्स, अद्भुत, शांत
अन्य प्रकार (विस्तारित)वात्सल्य, भक्ति, प्रेयान आदि

रससूत्र के प्रमुख व्याख्याता एवं उनके मत

क्रमांकनाममत / सिद्धांत
1भट्ट लोल्लटउत्पत्तिवाद / उपचयवाद – रस नायक-नायिका में उत्पन्न होता है
2शंकुकअनुमितिवाद / अनुकृतिवाद – रस दर्शकों द्वारा अनुमान से अनुभव किया जाता है
3भट्टनायकभुक्तिवाद – रस का अनुभव दर्शकों द्वारा आत्मानंद रूप में भोगा जाता है
4अभिनवगुप्तअभिव्यक्तिवाद – रस कवि/नाटककार द्वारा अभिव्यक्त होता है और दर्शक में प्रकट होता है

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