रामनरेश त्रिपाठी (4 मार्च, 1889 – 16 जनवरी, 1962) हिन्दी के ‘पूर्व छायावाद युग’ के प्रमुख कवि थे, जिन्होंने कविता, कहानी, उपन्यास, जीवनी, संस्मरण और बाल साहित्य जैसी विविध विधाओं में लेखन किया। उनके जीवनकाल में उन्होंने लगभग सौ पुस्तकों की रचना की।
रामनरेश त्रिपाठी का साहित्यिक परिचय
- पूर्व छायावाद युग के कवि: रामनरेश त्रिपाठी ने अपने लेखन से ‘पूर्व छायावाद’ युग को सशक्त किया।
- विविध विधाओं में लेखन: उन्होंने कविता, कहानी, उपन्यास, जीवनी, संस्मरण और बाल साहित्य में योगदान दिया।
- ग्राम गीत संकलन: वह हिंदी के पहले कवि थे जिन्होंने ग्रामीण गीतों का संकलन किया, जिसे ‘कविता कौमुदी’ के नाम से जाना जाता है।
- गांव-गांव में भ्रमण: इस संकलन के लिए उन्होंने ग्रामीण क्षेत्रों का भ्रमण किया, रात-रात भर घरों के पिछवाड़े बैठकर सोहर और विवाह गीतों का चयन किया।
- गांधी से प्रेरणा: गांधीजी के जीवन और कार्यों से अत्यंत प्रभावित थे। उन्होंने कहा कि गांधीजी के साथ उनका प्रेम ‘लरिकाई का प्रेम’ है, और सत्याग्रह युग ने उनकी मनोभूमि को निर्मित किया।
- पहला एकांकी नाटक: ‘बा और बापू’ उनका पहला एकांकी नाटक था, जो गांधीजी और उनकी पत्नी कस्तूरबा के जीवन पर आधारित था।
रामनरेश त्रिपाठी का योगदान हिंदी साहित्य के विविध आयामों को समृद्ध करने में अनमोल है। ‘स्वप्न’ पर इन्हें हिंदुस्तानी अकादमी का पुरस्कार मिला।
रामनरेश त्रिपाठी जी का साहित्यिक जीवन परिचय
उत्तर प्रदेश के ‘सुल्तानपुर (कुशभवनपुर) जिले के ग्राम कोइरीपुर में 4 मार्च, 1889 ई. को एक कृषक परिवार में जन्मे रामनरेेश त्रिपाठी का व्यक्तित्व एवं कृतित्व अत्यन्त प्रेरणादायी था। उनके पिता पं॰ रामदत्त त्रिपाठी धार्मिक व सदाचार परायण ब्राह्मण थे। भारतीय सेना में सूबेदार के पद पर रह चुके पंडित रामदत्त त्रिपाठी का रक्त पंडित रामनरेश त्रिपाठी की रगों में धर्मनिष्ठा, कर्तव्यनिष्ठा व राष्ट्रभक्ति की भावना के रूप में बहता था। दृढ़ता, निर्भीकता और आत्मविश्वास के गुण उन्हें अपने परिवार से ही मिले थे।
पं. त्रिपाठी की प्रारम्भिक शिक्षा गांव के प्राइमरी स्कूल में हुई। कनिष्ठ कक्षा उत्तीर्ण कर हाईस्कूल वह निकटवर्ती जौनपुर जिले में पढ़ने गए मगर वह दसवीं की शिक्षा पूरी नहीं कर सके। अट्ठारह वर्ष की आयु में पिता से अनबन होने पर वह कलकत्ता चले गए।
रामनरेश त्रिपाठी जी की रचनाएँ
रामनरेश त्रिपाठी की चार काव्य-कृतियाँ मुख्य रूप से उल्लेखनीय हैं-
- मिलन (1918) १३ दिनों में रचित
- पथिक (1920) २१ दिनों में रचित
- मानसी (1927) और
- स्वप्न (1929) १५ दिनों में रचित * इसके लिए उन्हें हिन्दुस्तान अकादमी का पुरस्कार मिला
पं. रामनरेश त्रिपाठी जी की अन्य प्रमुख कृतियां इस प्रकार हैं
मुक्तक : मारवाड़ी मनोरंजन, आर्य संगीत शतक, कविता-विनोद, क्या होम रूल लोगे, मानसी।
(काव्य) प्रबंधः मिलन, पथिक, स्वप्न।
कहानी : तरकस, आखों देखी कहानियां, स्वपनों के चित्र, नखशिख, उन बच्चों का क्या हुआ..? २१ अन्य कहानियाँ।
उपन्यास : वीरांगना, वीरबाला, मारवाड़ी और पिशाचनी, सुभद्रा और लक्ष्मी।
नाटक : जयंत, प्रेमलोक, वफ़ाती चाचा, अजनबी, पैसा परमेश्वर, बा और बापू, कन्या का तपोवन।
व्यंग्य : दिमाग़ी ऐयाशी, स्वप्नों के चित्र।
अनुवाद : इतना तो जानो (अटलु तो जाग्जो – गुजराती से), कौन जागता है (गुजराती नाटक)।
हरिवंशराय बच्चन जी का वर्ण्य विषय
गाँव–गाँव, घर–घर घूमकर रात–रात भर घरों के पिछवाड़े बैठकर सोहर और विवाह गीतों को चुन–चुनकर लगभग १६ वर्षों के अथक परिश्रम से ‘कविता कौमुदी’ संकलन तैयार किया।
हरिवंशराय बच्चन जी साहित्य में स्थान
रामनरेश त्रिपाठी (4 मार्च, 1889 – 16 जनवरी, 1962) हिन्दी भाषा के ‘पूर्व छायावाद युग’ के कवि थे।