रामगिरि: (रामगढ़म्) कक्षा 8 संस्कृत पाठ 13

रामगिरि: (रामगढ़म्) कक्षा 8 संस्कृत पाठ 13

1. छत्तीसगढ़ प्रदेशस्य उत्तरस्यां दिशि मुकुटमिव सरगुजामण्डलं स्थितमस्ति । रत्नगर्भः भूभागोऽयं वन्य शोभामपि धारयति । अत्र अनेकानि ऐतिहासिक पुरातात्विक स्थलानि सन्ति, तेषु अन्यतमः – रामगिरिः (रामगढ़म् ) । इदं स्थानम् अम्बिकापुरात् पञ्चतत्वारिंशत् किमी. दूरे दक्षिणदिशि वर्तते । रामगढ़ पर्वते- हस्तिपोल: (हाथीपोल) सीतावेंगरा, जोगीमाड़ा, लक्ष्मणवेंगरा इत्येतानि महत्वपूर्ण स्थानानि सन्ति ।

शब्दार्थाः इव = समान । मण्डलं = जिला अन्यतमः = बहुत में से एक। वर्तते = हैं।

अनुवाद – छत्तीसगढ़ प्रदेश के उत्तर दिशा में मुकुट के समान सरगुजा जिला स्थित है। रत्न को अपने गर्भ में धारण की हुई, यह भू-भाग वन्य शोभा को भी धारण करती है। यहाँ अनेक ऐतिहासिक पुरातात्विक स्थल हैं, उनमें से रामगिरि भी एक है। यह स्थान अम्बिकापुर से पैतालिस किलोमीटर दूर दक्षिण दिशा में है। रामगढ़ पर्वत पर हाथीपोल, सीतावेंगरा, जोगीमाड़ा, लक्ष्मणवेंगरा आदि महत्वपूर्ण स्थान हैं।

2. हसित्पोलेति 180 फुट परिमिता प्राकृतिक सुरङ्गिका अस्ति । अस्य अन्तर्भागे स्रोतः प्रवहति । अत्रैव एकं शीतलं जलकुण्डं वर्तते । यत् यत् सीताकुण्डमिति कथ्यते । अत्र श्री रामः वनवासकाले किञ्चितकालं न्यवसत् । विश्वकविः कालिदासः अत्रैव निवसन् मेघदूतम् इति काव्यस्य रचनाम करोत् । तेन दूतकाव्ये सीतायाः स्नानेन अत्रत्याजलानि पुण्यानि, तरवः स्निग्धच्छाया इति रामगिरेः वर्णनं कृतम् ।

शब्दार्थाः-परिमिता = परिणाम। स्रोतः = सोता, झरना। स्निग्धच्छाया = घनी छाया

अनुवाद – 180 फुट परिमाण की हाथीपोल प्राकृतिक सुरङ्ग है। इसके अन्दर झरना बहता है। यहाँ एक शीतल जलकुण्ड है जो सीताकुण्ड कहलाता है। वनवास काल में यहाँ श्रीराम के कुछ समय निवास किया। विश्वकवि कालिदास यहाँ निवास करते हुए मेघदूत काव्य की रचना की। उन्होंने दूत काव्य में सीता के स्नान से यहाँ की जल की पवित्रता, वृक्षों की घनी छाया का रामगिरि का वर्णन किया है।

3. हस्तिपोल सुरङ्गिकोपरि एका नाट्यशाला अस्ति । जनाः यां ‘सीताबेंगरा ‘ इति कथयन्ति । पुरातत्वविदः सीताबेंगरा गुहां ख्रीस्ताब्दात् द्वितीया तृतीया वा शताब्दिपूर्वा प्राचीनतमा नाट्यशाला इति मन्यन्ते । इयं नाट्यशाला वृहशिलां कर्तयित्वा निर्मिता । अस्याः रूपाङ्कनं भरतमुनिनाट्यशास्त्रे कृतम् । इयं नाट्यशाला आयताकारा, अनुमानतः आयाम: ( लम्बाई ) 44.00 (फुट) विस्तारः (चौड़ाई) 15 (फुट ) इति क्षेत्रे परिमिता । अस्याः भित्तयः सरलाः, द्वारं गोलाकारं, अन्तर्भागे प्रस्तर – आसनानि सन्ति । अस्याः उपयोगः नाट्यस्य कृते अभवत् । ब्राह्मीलिप्या-मुत्कीर्णः एकः शिलालेखोऽस्ति । अयं भारतस्य इतिहासे अद्वितीयः अस्ति । अस्याः अनुसन्धानं 1848 ख्रीस्ताब्दे कर्नल आउस्ले इति महाभागेन कृतम् ।

शब्दार्था:- भित्तयः = दीवाले। प्रस्तर = पत्थर यां = जिसको । तां = उसको। रूपाङ्कन = उल्लेख। उत्कीर्णम्ः= खुदा हुआ।

अनुवाद- हाथीपोल सुरङ्ग के ऊपर एक नाट्यशाला है। जिसको लोग ‘सीताबेंगरा कहते हैं। पुरातत्व के ज्ञाता सीता वेंगरा गुफा को दूसरे या तीसरे ईस्वी शताब्दी के पूर्व प्राचीन नाट्यशाला मानते हैं। यह नाट्यशाला बड़ी चट्टानों को काटकर निर्मित की गई है। इसका उल्लेख भरतमुनि के नाट्यशास्त्र में किया गया है। यह नाट्यशाला आयताकार है, इसकी अनुमानित लंबाई 44.00 फुट, चौड़ाई 15 फुट इसकी दीवालें सरल (सीधी) द्वार गोलाकार, भीतरी भाग में पत्थर के आसन (बैठने के स्थान) हैं। इसका उपयोग नाटक के लिए होता है ब्राह्मी लिपि में खुदा हुआ एक शिलालेख है। यह भारत के इतिहास में अद्वितीय है। इसकी खोज 1848 ईस्वी में कर्नल आउस्ले महाशय ने की।

4. सीताबेंगरा गुहायाः पार्श्वे अनया गुहा ‘जोगीमाडा’ अस्ति । अस्याः भित्तयः वज्रलेपेन प्रालिप्ताः सन्ति । छदि भित्तिषु च पत्र-पुष्प, पशु-पक्षी, नार-नारी, देव-दानव, योद्धा – हस्तिनां चित्राणि सन्ति । एषां भित्तिचित्राणां विशिष्ट महत्वमस्ति । भित्तिचित्राणां प्रकाशनं 1904 ईसवीये डॉ. ब्लाशः भारतीय चित्रकलायाः विज्ञः आर. ए. अग्रवाल महाभागः च अकुरुताम् । अस्यां पालिभाषायां एकः शिलालेखः उत्कीर्णः । शिलालेखेरू पदक्षदेवदीनस्य देवदासीसुतनुकायाः प्रणयगाथा वर्णिता अस्ति ।

शब्दार्थाः पार्श्वे = बगल में। छदि = छत में। भित्तिषु= दीवारों में। विज्ञः= जानकार। पालिभाषायाम् = पाली भाषा में।

अनुवाद – सीताबेंगरा गुफा के बगल में अन्य गुफा जोगीमारा है। इसकी दीवालें वज्रलेप से लिपि हुई हैं। छत और दीवारों में पत्ते- फूल, पशु-पक्षी, नर-नारी, देव-दानव, युद्ध के हाथियों के चित्र हैं। इन दीवाल के चित्रों का विशिष्ट महत्व है। दीवाल के यत् ‘चित्र का प्रकाशन सन् 1904 ईस्वी में डॉ. ब्लाश और भारतीय चित्रकला के जानकार आर.ए. अग्रवाल महोदय ने किया। इनका पालिभाषा में एक शिलालेख खुदा है। शिलालेख पर रूपदक्ष- देवदीनस्य, देवदासी सुतनुकाया की प्रणय गाथा का वर्णन है।

5. जोगीमारा गुहायाः अग्रभागे अपरा लक्ष्मणवेंगरा गुहा अस्ति । पर्वस्योपरि एकं सिंहद्वारमस्ति । द्वारस्य प्रस्तरः वृहदा- कारोऽस्ति । तत्र मूति मन्दिर-तडागावशेषाः प्रमाणयन्ति इदं क्षेत्रम् पुरा दुर्गम् आसीत् ।
रामगिरिः वनदेव्याः ललितपुरेतिहासस्य संधाता संस्कृत- भाषायाश्च स्वर्णिम – कालदृष्टा अस्ति। अत्र आषाढ़ मासस्य प्रथमदिवसे छत्तीसगढ़ संस्कृत – अकादम्याः गरिमामयः सांस्कृतिक – कार्यक्रमः विचारगोष्ठी च आयोज्यते । आयोजने संस्कृतभाषायाः विद्वांसः इतिहासविदः पुरातत्वविदः जनान् उद्बोधयन्ति । तर्क यन्ति, विचारयन्ति अन्ययोऽयं यत् रामगिरिरित्येव।

शब्दार्था:- अवशेषा = बचे हुए शेष। दुर्गम् = गढ़ । संधाता = धारण करने वाला। प्रस्तरः = पत्थर। अपरा = दूसरा।

अनुवाद- जोगीमारा गुफा के आगे दूसरा लक्ष्मणबेंगरा गुफ्त है। पर्वत के ऊपर एक सिंहद्वार है। द्वार के पत्थर का आकार बड़ा है वहाँ मूर्ति, मन्दिर, तालाब के अवशेष प्रमाणित करते हैं, कि यह क्षेत्र प्राचीनकाल में किला था।

रामगिरि पर्वत वनदेवी का और ललितपुर के इतिहास का तथा संस्कृत भाषा का स्वर्णिम काल दृष्टा है। यहाँ पर आषाढ़ मास के पहले दिन छत्तीसगढ़ संस्कृत अकादमी का गरिमामय सांस्कृतिक कार्यक्रम और विचार गोष्ठी आयोजित होती है। इस आयोजन में संस्कृत के विद्वान, इतिहास वेत्ता, पुरातत्व के ज्ञाता लोगों को उद्बोधित करते हैं। विचार विमर्श होता है। इस प्रकार रामगिरि अद्भुत है।

अभ्यास प्रश्नाः

1. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर संस्कृत में लिखिए-

(क) सरगुजामण्डलं कुत्र स्थितम् अस्ति ?

(सरगुजामण्डल कहाँ स्थित है ?)

उत्तर- सरगुजामण्डल छत्तीसगढ़ प्रदेशस्य उत्तरस्यां दिशि मुकुटमिव स्थितं अस्ति ।

(सरगुजा मण्डल छत्तीसगढ़ प्रदेश के उत्तर दिशा में मुकुट के समान स्थित है।)

(ख) रामगिरिः कस्मिन् मण्डले स्थितः अस्ति ?

(रामगिरि किस मण्डल में स्थित है ?)

उत्तर- रामगिरिः सरगुजामण्डले स्थितः अस्तिः ।

(रामगिरिः सरगुजामण्डल में स्थित है।)

(ग) शीतल जलकुण्डं किं कथ्यते ?

(शीतल जलकुण्ड किसे कहते हैं ?)

उत्तर- शीतल जलकुण्डं सीताकुण्डे इति कथ्यते।

(शीतल जलकुण्ड को सीता कुण्ड कहते हैं।)

(घ) को गुहां प्राचीनतमा नाट्यशाला मन्यन्ते ?

(किस गुफा को प्राचीन नाट्य शाला मानते हैं ?)

उत्तर- सीताबेंगरा गुहां प्राचीनतमा नाट्यशाला इति मन्यन्ते ।

(‘सीता वैगरा’ गुफा को प्राचीन नाट्यशाला मानते हैं।)

(ङ) पर्वतस्य उपरि किम् अस्ति ?

(पर्वत के ऊपर क्या है ?)

उत्तर- पर्वतस्योपरि एकं सिंहद्वारं अस्ति।

(पर्वत के ऊपर एक सिंहद्वार है।)

2. संधि विच्छेद कर प्रकार लिखिए-

भू भागोऽयम्= भू भागः + अयम् (विसर्ग संधि)

इत्येतानि=इति + ऐतानि (यण स्वर संधि)

वृहदाकाराः=वृहद् + आकारः (व्यंजन संधि)

रामगिरिरिति =रामगिरिः इति (विसर्ग संधि)

पुरोतिहासस्य=पुरा + इतिहासस्य (स्वर संधि)

3. नीचे लिखे विग्रहयुक्त पदों के सामासिक पद बनाईये –

वनवासस्य काले=वनवास काले

सीताया: कुण्डम् = सीताकुण्डम्

स्निग्धा छाया=स्निग्ध छाया

नाट्यस्य शाला=नाट्यशाला

विशिष्टं महत्त्वम्=विशिष्ट महत्वम्

4. नीचे लिखे वाक्यों का संस्कृत में अनुवाद कीजिए-

(क) मैं छत्तीसगढ़ प्रदेश में रहता हूँ।

अनुवाद- अहं छत्तीसगढ़ प्रदेशे निवसामि ।

(ख) पर्वत से झरना निकलता है।

अनुवाद -पर्वतात् स्त्रोत: निस्सरति ।

(ग) राम ने यहाँ पर कुछ समय तक निवास किया था।

अनुवाद – रामः अत्र कतिचित् कालं निवसत् ।

(घ) छत्तीसगढ़ में 36 गढ़ थे।

अनुवाद – छत्तीसगढ़े षडत्रिंशत् दुर्गानि आसन्।

(ख) मुझे संस्कृत भाषा अच्छी लगती है।

अनुवाद- मां संस्कृतभाषा रोचते ।

5. निम्नलिखित पदों मे से उपयुक्त पद रिक्त स्थान में लिखिए-

प्राचीनतमा कञ्चित्कालम्, मुकुट, अनन्या, सीताया: कुण्डम् -पालि भाषायाम्)

1. उत्तरस्यां दिशि……सरगुजा मण्डलं स्थितमस्ति ।

2. सीताबेंगरा गुहा….नाट्यशाला अस्ति।
3. अस्यां ………..एक: शिलालेख उत्कीर्णः ।

4. अत्र श्री रामः वनवासकाले…………..न्यवसत् ।

5. ………….अयं रामगिरिः।

उत्तर- 1. मुकुटमिव 2. प्राचीनतमा 3. पालिभाषायां 4. कञ्चित्कालम् 5. अनन्यः

1. इन्हें हम यह भी कह सकते हैं-

1. गिरिः, सानुः पर्वतम् ।

2. राम, राघवः, पुरुषोत्तमः ।

3. सीता, जानकी, वैदेही।

4. जलम्, नीरम्, पयः ।

2. विरुद्धार्थी शब्द लिखिए-

1. शीतलम् -ऊष्णम् ।

2. दिनम् – रात्रिः ।

3. नरः-नारीः ।

3. युगल पद (सामासिक पद बनावें ) –

1. सीत रामः= सीता रामौ

2. माता-पिता =पितरौ

3. बालिका बालक =बालिका बालकौ

4. पत्रम् पुष्पम्= पत्रपुष्पे

5. देव-दानवः = देवदानवौ