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पाठ में आये कठिन शब्दों के अर्थ
- रहिमन – रहीम (कवि का नाम)
- देखि – देखकर
- बड़ेन – बड़े लोगों को
- लघु – छोटा, तुच्छ
- न दीजिये डारि – मत छोड़िए, त्याग मत कीजिए
- काम आवे – उपयोग में आता है
- कहा करे तलवारि – तलवार क्या कर सकती है (तलवार से सिलाई नहीं हो सकती)
- तरुवर – वृक्ष (पेड़)
- फल नहिं खात हैं – अपने फल खुद नहीं खाते
- सरवर – तालाब
- पियहिं न पान – अपना पानी खुद नहीं पीते
- कहि रहीम – रहीम कहते हैं
- पर काज हित – दूसरों के हित के लिए
- संपति सँचहि सुजान – बुद्धिमान लोग धन-संपत्ति को इकट्ठा परोपकार के लिए करते हैं
- छिटकाय – झटके से खींचकर
- टूटे से फिर ना मिले – टूटने के बाद पहले जैसा नहीं जुड़ता
- मिले गाँठ परि जाय – यदि जोड़ भी लिया जाए तो उसमें गाँठ पड़ जाती है
- पानी राखिये – पानी (सम्मान, विनम्रता, जल) बनाए रखो
- बिनु पानी सब सून – पानी के बिना सब कुछ व्यर्थ हो जाता है
- पानी गए न ऊबरै – पानी (सम्मान, विनम्रता, जल) एक बार चला जाए तो वापस नहीं आता
- चून – आटा
- बिपदाहू – विपत्ति (मुसीबत)
- भली – अच्छी
- थोरे दिन होय – थोड़े समय की
- हित अनहित – अच्छे और बुरे, लाभ और हानि
- जगत में – संसार में
- जानी परत – जानने पर (समझने पर)
- सब कोय – सभी लोग
- जिह्वा – जीभ
- बावरी – बावली, मूर्ख, पागल
- कहि गइ – कह गई
- सरग पताल – स्वर्ग और नर्क (स्वर्ग और नर्क दोनों ही हो सकते हैं)
- आपु – खुद
- कहि भीतर रही – भीतर ही कहे रहती है (चुपचाप कहती रहती है)
- खात – खाती
- कपाल – सिर
- कहि रहीम – रहीम कहते हैं
- संपति – धन
- सगे – रिश्तेदार
- बनत – बनते हैं, बनाना
- बहु रीत – कई तरीके
- बिपति – विपत्ति, मुसीबत
- कसौटी – कसौटी, परखने का तरीका
- जे कसे – जो कसते हैं, जो परखते हैं
- ते ही – वही
- साँचे – असली, सच्चे
- मीत – मित्र, दोस्त
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