रहीम के दोहे – कक्षा 6 हिंदी मल्हार

पाठ में आये कठिन शब्दों के अर्थ
  1. रहिमन – रहीम (कवि का नाम)
  2. देखि – देखकर
  3. बड़ेन – बड़े लोगों को
  4. लघु – छोटा, तुच्छ
  5. न दीजिये डारि – मत छोड़िए, त्याग मत कीजिए
  6. काम आवे – उपयोग में आता है
  7. कहा करे तलवारि – तलवार क्या कर सकती है (तलवार से सिलाई नहीं हो सकती)
  8. तरुवर – वृक्ष (पेड़)
  9. फल नहिं खात हैं – अपने फल खुद नहीं खाते
  10. सरवर – तालाब
  11. पियहिं न पान – अपना पानी खुद नहीं पीते
  12. कहि रहीम – रहीम कहते हैं
  13. पर काज हित – दूसरों के हित के लिए
  14. संपति सँचहि सुजान – बुद्धिमान लोग धन-संपत्ति को इकट्ठा परोपकार के लिए करते हैं
  15. छिटकाय – झटके से खींचकर
  16. टूटे से फिर ना मिले – टूटने के बाद पहले जैसा नहीं जुड़ता
  17. मिले गाँठ परि जाय – यदि जोड़ भी लिया जाए तो उसमें गाँठ पड़ जाती है
  18. पानी राखिये – पानी (सम्मान, विनम्रता, जल) बनाए रखो
  19. बिनु पानी सब सून – पानी के बिना सब कुछ व्यर्थ हो जाता है
  20. पानी गए न ऊबरै – पानी (सम्मान, विनम्रता, जल) एक बार चला जाए तो वापस नहीं आता
  21. चून – आटा
  22. बिपदाहू – विपत्ति (मुसीबत)
  23. भली – अच्छी
  24. थोरे दिन होय – थोड़े समय की
  25. हित अनहित – अच्छे और बुरे, लाभ और हानि
  26. जगत में – संसार में
  27. जानी परत – जानने पर (समझने पर)
  28. सब कोय – सभी लोग
  29. जिह्वा – जीभ
  30. बावरी – बावली, मूर्ख, पागल
  31. कहि गइ – कह गई
  32. सरग पताल – स्वर्ग और नर्क (स्वर्ग और नर्क दोनों ही हो सकते हैं)
  33. आपु – खुद
  34. कहि भीतर रही – भीतर ही कहे रहती है (चुपचाप कहती रहती है)
  35. खात – खाती
  36. कपाल – सिर
  37. कहि रहीम – रहीम कहते हैं
  38. संपति – धन
  39. सगे – रिश्तेदार
  40. बनत – बनते हैं, बनाना
  41. बहु रीत – कई तरीके
  42. बिपति – विपत्ति, मुसीबत
  43. कसौटी – कसौटी, परखने का तरीका
  44. जे कसे – जो कसते हैं, जो परखते हैं
  45. ते ही – वही
  46. साँचे – असली, सच्चे
  47. मीत – मित्र, दोस्त

पाठ से

मेरी समझ से

(क) नीचे दिए गए प्रश्नों का सबसे सही (सटीक) उत्तर कौन-सा है ? उसके सामने तारा (★) बनाइए—

1. “रहिमन जिह्वा बावरी, कहि गइ सरग पताल। आपु तो कहि भीतर रही, जूती खात कपाल।”

दोहे का भाव है-

  • सोच-समझकर बोलना चाहिए।
  • मधुर वाणी में बोलना चाहिए।
  • धीरे – धीरे बोलना चाहिए।
  • सदा सच बोलना चाहिए।

उत्तर

सोच-समझकर बोलना चाहिए। (★)

2. “रहिमन देखि बड़ेन को, लघु न दीजिये डारि । जहाँ काम आवे सुई, कहा करे तलवारि।” इस दोहे का भाव क्या है?

  • तलवार सुई से बड़ी होती है।
  • सुई का काम तलवार नहीं कर सकती।
  • तलवार का महत्व सुई से ज्यादा है।
  • हर छोटी-बड़ी चीज़ का अपना महत्व होता है।

उत्तर

हर छोटी-बड़ी चीज़ का अपना महत्व होता है।(★)

(ख) अब अपने मित्रों के साथ चर्चा कीजिए और कारण बताइए कि आपने यही उत्तर क्यों चुने?

उत्तर

मैंने यह उत्तर सुना क्यूंकि:

  1. सोच-समझकर बोलना चाहिए ताकि बाद में पछतावा न पड़े।
  2. हर छोटी-बड़ी चीज़ का अपना महत्व होता है अर्थात किसी को उसके रूप, आकार या आर्थिक स्थिति से नहीं आंकना चाहिए क्योंकि प्रत्येक का अपनी-अपनी जगह महत्व होता है।

मिलकर करें मिलान

पाठ में से कुछ दोहे स्तंभ 1 में दिए गए हैं और उनके भाव स्तंभ 2 में दिए गए हैं। अपने समूह में इन पर चर्चा कीजिए और रेखा खींचकर सही भाव से मिलान कीजिए।

रहीम के दोहे – कक्षा 6 हिंदी मल्हार - TEACHER'S KNOWLEDGE & STUDENT'S GROWTH
स्तंभ 1स्तंभ 2
1. रहिमन धागा प्रेम का, मत तोड़ो छिटकाय ।टूटे से फिर ना मिले, मिले गाँठ परि जाय ।।1. सज्जन परहित के लिए ही संपत्ति संचित करते हैं।
2. कहि रहीम संपति सगे, बनत बहुत बहु रीत ।बिपति कसौटी जे कसे, ते ही साँचे मीत।।2. सच्चे मित्र विपत्ति या विपदा में भी साथ रहते हैं।
3. तरुवर फल नहिं खात हैं, सरवर पियहिं न पान।कहि रहीम पर काज हित, संपति सँचहि सुजान।।3. प्रेम या रिश्तों को सहेजकर रखना चाहिए।

उत्तर

स्तंभ 1स्तंभ 2
1. रहिमन धागा प्रेम का, मत तोड़ो छिटकाय ।टूटे से फिर ना मिले, मिले गाँठ परि जाय ।।3. प्रेम या रिश्तों को सहेजकर रखना चाहिए।
2. कहि रहीम संपति सगे, बनत बहुत बहु रीत ।बिपति कसौटी जे कसे, ते ही साँचे मीत।।2. सच्चे मित्र विपत्ति या विपदा में भी साथ रहते हैं।
3. तरुवर फल नहिं खात हैं, सरवर पियहिं न पान।कहि रहीम पर काज हित, संपति सँचहि सुजान।।1. सज्जन परहित के लिए ही संपत्ति संचित करते हैं।

1. → 3

2. → 2

3. → 1

पंक्तियों पर चर्चा

नीच दिए गए दोहों पर समूह में चर्चा कीजिए और उनके अर्थ या भावार्थ अपनी लेखन पुस्तिका में लिखिए –

(क) “रहिमन बिपदाहू भली, जो थोरे दिन होय ।
हित अनहित या जगत में, जानि परत सब कोय ।। ”

उत्तर

रहीमदास का मानना है कि थोड़े दिन की विपदा भी भली होती है जो हमें यह बता देती है कि संसार में कौन हमारा हितैषी है और कौन अहितैषी अर्थात कौन हमारा मुश्किल में साथ देने वाला है और कौन नहीं।

(ख) “रहिमन जिह्वा बावरी, कहि गइ सरग पताल।
आपु तो कहि भीतर रही, जूती खात कपाल ।”

उत्तर

रहीमदास का कहना है कि हमारी जीभ बिलकुल बावरी अर्थात पागल जैसी होती है । यह कई बार ऐसा कुछ बोल देती है कि दिमाग को जूते खाने पड़ते हैं अर्थात मनुष्य को पछताना पड़ता है।

सोचविचार के लिए

दोहों को एक बार फिर से पढ़िए और निम्नलिखित के बारे में पता लगाकर अपनी लेखन पुस्तिका में लिखिए-

1. “रहिमन धागा प्रेम का, मत तोड़ो छिटकाय।
टूटे से फिर ना मिले, मिले गाँठ परि जाय।।”

(क) इस दोहे में ‘मिले’ के स्थान पर ‘जुड़े’ और ‘छिटकाय’ के स्थान पर ‘चटकाय’ शब्द का प्रयोग भी लोक में प्रचलित है। जैसे—

“रहिमन धागा प्रेम का, मत तोड़ो चटकाय।
टूटे से फिर ना जुड़े, जुड़े गाँठ पड़ जाय ।।”

इसी प्रकार पहले दोहे में ‘डारि’ के स्थान पर ‘डार’, ‘तलवार’ के स्थान पर ‘तरवार’ और चौथे दोहे में ‘’मानुष’ के स्थान पर ‘मानस’ का उपयोग भी प्रचलित हैं। ऐसा क्यों होता है?

उत्तर

‘मिले’ के स्थान पर ‘जुड़े’ और ‘छिटकाय’ के स्थान पर ‘चटकाय’ का प्रयोग भाषा के क्षेत्रीय भेद या बोली के कारण हो है। भाषा समय के साथ बदलती है और अलग-अलग क्षेत्रों में शब्दों के उच्चारण और प्रयोग में थोड़ा अंतर आ जाता है।

(ख) इस दोहे में प्रेम के उदाहरण में धागे का प्रयोग ही क्यों किया गया है? क्या आप धागे के स्थान पर कोई अन्य उदाहरण सुझा सकते हैं? अपने सुझाव का कारण भी बताइए।

उत्तर

कवि ने प्रेम के टूटने को धागे द्वारा दर्शाया है कि जिस प्रकार धागा एक बार टूट जाए तो उसे जोड़ने के लिए गाँठ लगानी पड़ती है। ऐसे ही प्रेम संबंधों में दरार आ जाए तो भले ही उन्हें फिर से जोड़ लिया जाए परंतु मन-मुटाव रह ही जाता है। इसे हम अन्य उदाहरणों द्वारा भी समझ सकते है जैसे-

  1. नदी के जल से एक लोटा पानी ले लिया जाए तो उन्हें दोबारा नदी में मिलाया तो जा सकता है परंतु उसे उसकी सहोदर (मित्र) बूँदों से नहीं मिलाया जा सकता। ऐसे ही किसी से संबंध अगर टूट जाए तो दोबारा वैसे नहीं बन पाते।
  2. एक टूटे हुए लकड़ी के डंडे को प्रयत्न करके सिल भी लिया जाए तो हम पहले की भाँति उसका प्रयोग नहीं कर सकते। हर बार ध्यान से प्रयोग करना पड़ता है।
  3. एक कीमती कपड़े के फट जाने पर उसे कितना भी सिल लिया जाए लेकिन मन में उसका फटा होना खटकता ही रहता है।

2. “तरुवर फल नहिं खात हैं, सरवर पियहिँ न पान ।

कहि रहीम पर काज हित, संपति सँचहि सुजान।।”

इस दोहे में प्रकृति के माध्यम से मनुष्य के किस मानवीय गुण की बात की गई है? प्रकृति से हम और क्या-क्या सीख सकते हैं?

उत्तर

दोहे “तरुवर फल नहिं खात हैं, सरवर पियहिं न पान|” में परोपकार और निःस्वार्थ सेवा का गुण दर्शाया गया है।

प्रकृति से हम कई अन्य गुण सीख सकते हैं, जैसे:

  • धैर्य (बीज से पेड़ बनने की प्रक्रिया)
  • लचीलापन (तूफान में झुकने वाले पेड़)
  • निरंतरता (नदी का बहना)
  • समन्वय (पारिस्थितिक तंत्र में सभी जीवों का सहअस्तित्व)

शब्दों की बात

हमने शब्दों के नए-नए रूप जाने और समझे। अब कुछ करके देखें-

  • शब्द-संपदा

कविता में आए कुछ शब्द नीचे दिए गए हैं। इन शब्दों को आपकी मातृभाषा में क्या कहते हैं? लिखिए।

कविता में आए शब्दमातृभाषा में समानार्थक शब्द
तरुवर 
बिपति 
छिटकाय 
सुजान 
सरवर 
साँचे 
कपाल 

उत्तर

कविता में आए शब्दमातृभाषा में समानार्थक शब्द
तरुवरपेड़, वृक्ष
बिपतिमुसीबत, संकट
छिटकायतोड़ना, खींचकर
सुजानसज्जन, विद्वान
सरवरतालाब, पोखर
साँचेसच्चे, वास्तविक
कपालदिमाग, माथा

विशेष- विद्यार्थी अपनी-अपनी मातृभाषा के शब्द भी लिख सकते हैं।

शब्द एक अर्थ अनेक

“रहिमन पानी राखिये, बिनु पानी सब सून।
पानी गए न ऊबरै, मोती, मानुष, चून।”

इस दोहे में ‘पानी’ शब्द के तीन अर्थ हैं— सम्मान, जल, चमक।

इसी प्रकार कुछ शब्द नीचे दिए गए हैं। आप भी इन शब्दों के तीन-तीन अर्थ लिखिए। आप इस कार्य में शब्दकोश, इंटरनेट, शिक्षक या अभिभावकों की सहायता भी ले सकते हैं।

कल – ____, ____,_____
उत्तर
कल – आने वाला कल, चैन या शांति, पुर्जा/मशीन

पत्र –_____,_____, _____
उत्तर

पत्र – पत्ता, चिट्ठी, दल

कर – _____, _____, _____
उत्तर

कर – हाथ, टैक्स, किरण

फल – ____, ____, _____
उत्तर

फल – परिणाम, एक खाने का फल (आम), हल का अग्र भाग

पाठ से आगे

आपकी बात

“रहिमन देखि बड़ेन को, लघु न दीजिये डारि ।
जहाँ काम आवे सुई, कहा करे तलवारि ॥”

इस दोहे का भाव है— न कोई बड़ा है और न ही कोई छोटा है। सबके अपने-अपने काम हैं, सबकी अपनी-अपनी उपयोगिता और महत्ता है। चाहे हाथी हो या चींटी, तलवार हो या सुई, सबके अपने-अपने आकार-प्रकार हैं और सबकी अपनी-अपनी उपयोगिता और महत्व है। सिलाई का काम सुई से ही किया जा सकता है, तलवार से नहीं। सुई जोड़ने का काम करती है जबकि तलवार काटने का। कोई वस्तु हो या व्यक्ति, छोटा हो या बड़ा, सबका सम्मान करना चाहिए।

अपने मनपसंद दोहे को इस तरह की शैली में अपने शब्दों में लिखिए | दोहा पाठ से या पाठ से बाहर का हो सकता है।

उत्तर

“रहिमन धागा प्रेम का, मत तोड़ो चिटकाय ।

टूटे से फिर ना मिले, मिले गाँठ परि जाय।”

इस दोहे में रहीम प्रेम और रिश्तों की नाजुकता के बारे में बात करते हैं। वे कहते हैं कि प्रेम के धागे को जल्दबाजी या गुस्से में नहीं तोड़ना चाहिए। क्योंकि एक बार टूट जाने पर यह फिर से वैसा नहीं जुड़ पाता, और अगर किसी तरह जुड़ भी जाता है तो उसमें गाँठ पड़ जाती है। यहाँ ‘गाँठ’ का अर्थ है रिश्ते में आई कटुता या दरार ।

यह दोहा हमें सिखाता है कि रिश्तों को बहुत सावधानी और धैर्य से संभालना चाहिए। चाहे वह पारिवारिक संबंध हों, दोस्ती प्रेम संबंध, हर रिश्ता नाजुक होता है। छोटी-छोटी बातों पर गुस्सा करके या जल्दबाजी में कोई निर्णय लेकर हम अक्सर अपने रिश्तों को नुकसान पहुँचा देते हैं। एक बार टूटा हुआ विश्वास या बिगड़ा हुआ रिश्ता फिर से पहले जैसा नहीं हो पाता। इसलिए हमें हमेशा अपने शब्दों और व्यवहार पर ध्यान देना चाहिए, ताकि हमारे रिश्ते मजबूत और स्वस्थ बने रहें।

“बड़े बड़ाई न करै; बड़ो न बोले बोल।
रहिमन हीरा कब कहैं, लाख मेरो टकै का मोल।।”

रहीमदास जी कहते हैं कि जिनमें बड़प्पन होता है वे अपनी बड़ाई स्वयं कभी नहीं करते। उनके कार्य ही उनके कौशल को दर्शा देते हैं। जैसे हीरा कितना भी बहुमूल्य क्यों न हो लेकिन कभी अपने मुँह से अपने बारे में नहीं कहता। हमें भी अपने गुणों को दर्शाना नहीं चाहिए। वे स्वतः ही हमारे कार्यों के माध्यम से सबके समक्ष आ जाते हैं। जैसे- कुशल खिलाड़ी अपने खेल से, बावर्ची अपने स्वादिष्ट पकवानों से अच्छा नर्तक अपने नृत्य से श्रेष्ठ गायक अपने गायन से प्रतिभाशाली विद्यार्थी अपने परिणाम से ही जाना जाता है।

सरगम

  • रहीम, कबीर, तुलसी, वृंद आदि के दोहे आपने दृश्य-श्रव्य (टी.वी. रेडियो) माध्यमों से कई बार सुने होंगे। कक्षा में आपने दोहे भी बड़े मनोयोग से गाए होंगे। अब बारी है इन दोहों की रिकॉर्डिंग (ऑडियो या विजुअल) की। रिकॉर्डिंग सामान्य मोबाइल से की जा सकती है। इन्हें अपने दोस्तों के साथ समूह में या अकेले गा सकते हैं। यदि संभव हो तो वाद्ययंत्रों के साथ भी गायन करें। रिकॉर्डिंग के बाद दोहे स्वयं भी सुनें और लोगों को भी सुनाएँ ।
  • रहीम, वृन्द, कबीर, तुलसी, बिहारी . आदि के दोहे आज भी जनजीवन में लोकप्रिय हैं। दोहे का प्रयोग लोग अपनी बात पर विशेष ध्यान दिलाने के लिए करते हैं। जब दोहे समाज में इतने लोकप्रिय हैं तो क्यों न इन दोहों को एकत्र करें और अंत्याक्षरी खेलें। अपने समूह मिलकर दोहे एकत्र कीजिए। इस कार्य में आप इंटरनेट, पुस्तकालय और अपने शिक्षकों या अभिभावकों की सहायता भी ले सकते हैं।

आज की पहेली

  1. दो अक्षर का मेरा नाम, आता हूँ खाने के काम
    उल्टा होकर नाच दिखाऊँ, मैं क्यों अपना नाम बताऊँ।
    उत्तर

    चम (उलटा करने पर ‘मच’ हो जाता है, जो नाचने से संबंधित है)
  2. एक किले के दो ही द्वार, उनमें सैनिक लकड़ीदार
    टकराएँ जब दीवारों से, जल उठे सारा संसार।
    उत्तर

    दाँत (दरवाजे जैसे दिखने वाले, लकड़ी जैसे सैनिक यानी दाँत, टकराने पर जल उठना यानी दर्द होना)

खोजबीन के लिए

रहीम के कुछ अन्य दोहे पुस्तकालय या इंटरनेट की सहायता से पढ़ें, देखें व समझें।

उत्तर1. “रहिमन निज मन की विधा, मन ही राखो गोय |
सुनि अठिले हैं लोग सब, वाँटि न लैहैं कोय।। “

2. “जो रहीम उत्तम प्रकृति, का करि सकत कुसंगा
चंदन विष व्यापत नहीं, लिपटे रहत भुजंग।। “

3. “रहिमन धागा प्रेम का, मत तोड़ो चटकाय ।
टूटे से फिर ना जुड़े, जुड़े गाँठ परि जाय।।”

4. “खीरा मुख तें काटिये, मलिये नमक लगाय।

रहिमन करुआ कंद को, कौन मीठो करि खाया।”

5. ‘रहिमन ऐसी जग बसो, ज्यों दादुर पानी माहिं।

जहँ तहँ रहो सुखी सदा, काहे को फिरि जाहि ।।”