पिंजरे के तोते से बोली
छत पर बैठी मैना।
“बड़े मजे से तुम रहते हो
बोलो ये सच है ना ?
बैठे-बैठे मिल जाते हैं
भाँति-भाँति के व्यंजन।
काश! मुझे भी मिल पाता
जो इस पिंजरे का जीवन।
भोजन औ जल की तलाश में
हम दिन-रात भटकते।
तब जाकर दो-चार अन्नकण
अपने पल्ले पड़ते ।।
उस पर हरदम चिड़ीमार का
डर रहता है मन में।
हिंसक जीव-जंतुओं का
भीषण खतरा है वन में।।”
तोता बोला, “अगर सोचती
हो सुख है पिंजरे में,
मुझे निकालो, आओ अंदर
मैं जाता हूँ वन में।।
तुम ले लो पिंजरे का सुख
मैं लूँ जंगल की पीड़ा।
बड़े मजे से रहना इसमें,
करना निशि-दिन क्रीड़ा।।”
मैना ने खोला दरवाजा
जैसे ही पल-छिन में।
मैना को अंदर कर तोता
खुद उड़ गया गगन में।।
चार दिनों में ही वह मैना
अंदर तड़प रही थी।
उड़ने को अकाश में ऊँचे
तबीयत फड़क रही थी।।
भाँति-भाँति के भाते थे
उसको ना कोई व्यंजन।
ना आराम सुहाता उसको
ना पिंजरे का जीवन।।
पिंजरे का जीवन कक्षा चौथी विषय हिन्दी पाठ 18
कविता का भावार्थ
इस कविता में एक तोता और मैना के बीच बातचीत के माध्यम से स्वतंत्रता और कैद का महत्व बताया गया है। पिंजरे में बंद तोता मैना को यह समझाने की कोशिश करता है कि पिंजरे में मिलने वाले सुख-दुख की तुलना स्वतंत्रता के आनंद और जीवन की कठिनाइयों से नहीं की जा सकती। अंततः पिंजरे में बंद होने पर मैना को भी समझ में आता है कि आजादी का सुख किसी भी प्रकार की सुविधा से बड़ा है।
प्रश्न और उत्तर
प्रश्न 1: इस कविता में किस-किस पक्षी के बीच बातचीत बताई गई है?
इस कविता में तोते और मैना के बीच बातचीत बताई गई है।
प्रश्न 2: पक्षी के लिए पिंजरे का जीवन दुखदाई क्यों होता है?
पक्षी के लिए पिंजरे का जीवन दुखदाई होता है क्योंकि:
- उन्हें अपनी स्वतंत्रता खोनी पड़ती है।
- वे खुलकर उड़ नहीं सकते।
- अपनी प्राकृतिक आदतों, जैसे भोजन की तलाश और जंगल में घूमने, से वंचित हो जाते हैं।
- बंधन में रहना उनके स्वाभाविक जीवन के विपरीत है।
प्रश्न 3: अगर तुम्हें खाने-पीने, आराम करने का सारा सामान रखकर किसी कमरे में बंद कर दिया जाए, तो तुम्हें कैसा लगेगा?
अगर मुझे खाने-पीने और आराम का सारा सामान रखकर किसी कमरे में बंद कर दिया जाए, तो मुझे बहुत बुरा लगेगा। मैं खुद को कैद और अकेला महसूस करूंगा। आजादी के बिना कोई भी चीज अच्छी नहीं लगती, चाहे कितनी भी सुविधाएं क्यों न दी जाएं। खुली हवा और स्वतंत्रता का महत्व सबसे बड़ा है।
प्रश्न 4: पिंजरे के बाहर रहने वाली मैना ने पिंजरे में बंद तोते से यह क्यों कहा, ‘बड़े मजे में तुम रहते हो।’
पिंजरे के बाहर रहने वाली मैना ने ऐसा इसलिए कहा क्योंकि उसने सोचा कि पिंजरे में तोते को बिना मेहनत के तरह-तरह के व्यंजन मिल जाते हैं। उसे भोजन और पानी की तलाश में भटकना नहीं पड़ता। मैना ने यह समझा कि पिंजरे का जीवन आरामदायक और सुखद है।
प्रश्न 5: पिंजरे में बंद हो जाने पर मैना दुखी क्यों रहने लगी?
पिंजरे में बंद होने पर मैना दुखी रहने लगी क्योंकि:
- उसे आजादी की कमी महसूस हुई।
- वह खुलकर उड़ नहीं पा रही थी।
- पिंजरे का खाना और आराम उसे अच्छा नहीं लगा।
- उसका मन जंगल की प्राकृतिक जीवनशैली की ओर फड़कने लगा।
प्रश्न 6: “हिंसक जीव-जन्तुओं का भीषण खतरा है वन में”। वन में पक्षियों के हिंसक जीव-जन्तु कौन-कौन से होते हैं?
वन में पक्षियों के हिंसक जीव-जन्तु हैं:
- चील
- बाज
- साँप
- नेवला
- जंगली बिल्लियाँ