तांत्रिका आवेग का संचालन

तंत्रिकीय आवेग (Nerve impulse) तंत्रिका कोशिकाओं के माध्यम से संवेदी और प्रेरक संकेतों का संचरण है। यह तंत्रिका तंत्र के कार्यात्मक एकक न्यूरॉन (Neuron) के उद्दीपन और संचालन की प्रक्रिया का परिणाम है।

तंत्रिकीय आवेग की प्रक्रिया

  1. उद्दीपन:
    • जब कोई संवेदी अंग उद्दीपन (stimulus) प्राप्त करता है, तो यह संकेत न्यूरॉन तक पहुँचता है और उसे सक्रिय करता है।
    • उद्दीपन के कारण न्यूरॉन की झिल्ली में आयनों का प्रवाह होता है, जिससे ध्रुवण (polarization) बदल जाता है।
  2. विध्रुवण तरंग (Depolarization wave):
    • तंत्रिका कोशिका की झिल्ली में सोडियम आयन (Na⁺) अंदर की ओर और पोटैशियम आयन (K⁺) बाहर की ओर प्रवाहित होते हैं।
    • यह आयनिक प्रवाह एक विध्रुवण तरंग उत्पन्न करता है, जो एक्सॉन (axon) के माध्यम से यात्रा करती है।
  3. अनुत्तेजक अवधि (Refractory Period):
    • आवेग के बाद न्यूरॉन थोड़ी अवधि के लिए नए उद्दीपन को ग्रहण नहीं कर सकता। इसे अनुत्तेजक अवधि कहते हैं।
  4. सिनैप्स (Synapse):
    • तंत्रिका कोशिकाएँ सीधे नहीं जुड़ी होतीं; इनके बीच सिनैप्स होता है।
    • जब आवेग एक न्यूरॉन से दूसरे तक पहुँचता है, तो सिनैप्स पर न्यूरोट्रांसमीटर जैसे एसीटाइलकोलीन या एड्रीनेलिन स्रावित होते हैं, जो रासायनिक संकेत को अगली कोशिका तक पहुँचाते हैं।
  5. संचार दिशात्मकता:
    • तंत्रिकीय आवेग केवल एक दिशा में चलता है—डेंड्राइट से एक्सॉन तक और फिर सिनैप्स के माध्यम से अगले न्यूरॉन तक।

तंत्रिकीय आवेग के मुख्य लक्षण

  • एक-दिशीय गति: आवेग केवल एक दिशा में चलता है।
  • ऑक्सीजन निर्भरता: आवेग के लिए ऊर्जा उत्पादन और ऑक्सीजन की आवश्यकता होती है।
  • उत्तेजनशीलता और चालकता: न्यूरॉन उत्तेजना ग्रहण करने और उसे संचालित करने की क्षमता रखते हैं।
  • मेड्यूलेटेड आवरण: तंतु के चारों ओर माइलिन की परत आवेग की गति को बढ़ाती है।

न्यूरॉन के प्रकार

  1. संवेदी न्यूरॉन (Sensory Neuron): संवेदनाओं को मस्तिष्क और मेरुरज्जु तक पहुँचाते हैं।
  2. प्रेरक न्यूरॉन (Motor Neuron): मस्तिष्क और मेरुरज्जु से संकेत शरीर के प्रभावी अंगों तक पहुँचाते हैं।
  3. समंजक न्यूरॉन (Interneuron): संवेदी और प्रेरक न्यूरॉन के बीच समन्वय स्थापित करते हैं।

तंत्रिकीय आवेग और शरीर का नियंत्रण

  • आवेग मस्तिष्क या मेरुरज्जु में पहुँचकर प्रतिक्रियाओं का संचालन करता है, जैसे अंगों की गति, संवेदी अनुभव, और संतुलन बनाए रखना।
  • यह प्रक्रिया तंत्रिका तंत्र की दक्षता और जीव की अनुकूलन क्षमता के लिए महत्वपूर्ण है।