नंददास हिंदी साहित्य, विशेष रूप से भक्तिकाल के महत्वपूर्ण कवियों में से एक थे। वे वल्लभ संप्रदाय (पुष्टिमार्ग) के प्रसिद्ध अष्टछाप कवियों में से एक थे और गोस्वामी विट्ठलनाथ के शिष्य थे।
नंददास का जीवन परिचय
- जन्म: वि. सं. 1420 (संभावित)
- कुल: सनाढ्य ब्राह्मण
- जन्मस्थान: अन्तर्वेदी रामपुर (श्यामपुर), कासगंज, उत्तर प्रदेश
- भाषा: संस्कृत एवं बृजभाषा
- विशेषता: भक्ति रस के कवि, श्रीकृष्ण भक्ति परक रचनाएँ
नंददास की प्रमुख रचनाएँ
- रास पंचाध्यायी – भागवत की रासलीला का ब्रजभाषा में काव्य रूपांतरण।
- सिद्धान्त पंचाध्यायी – भक्ति और दार्शनिक सिद्धांतों की व्याख्या।
- अनेकार्थ मंजरी – अनेक शब्दों के अर्थों का संकलन।
- मान मंजरी – श्रीकृष्ण और राधा के प्रेम संवादों पर आधारित रचना।
- रूप मंजरी – नायिका भेद और सौंदर्य पर आधारित कृति।
- रस मंजरी – कृष्ण भक्ति और प्रेम रस का सुंदर वर्णन।
- विरह मंजरी – विरह वेदना पर आधारित काव्य।
- भँवर गीत – श्रृंगार और भक्ति रस मिश्रित गीत।
- गोवर्धन लीला – श्रीकृष्ण के गोवर्धन धारण की कथा।
- स्याम सगाई – श्रीकृष्ण की लीलाओं का वर्णन।
- रुक्मिणी मंगल – रुक्मिणी विवाह कथा।
- सुदामा चरित – श्रीकृष्ण और सुदामा की मित्रता की कथा।
- भाषा दशमस्कन्ध – श्रीमद्भागवत के दशम स्कंध का ब्रजभाषा में अनुवाद।
- पदावली – भक्ति रस से परिपूर्ण कृष्ण भक्ति के पदों का संकलन।
नंददास का साहित्यिक योगदान
- उनकी रचनाएँ श्रृंगार और माधुर्य भक्ति से ओत-प्रोत हैं।
- भागवत पुराण की रासलीला को ब्रजभाषा में सुंदर रूप में प्रस्तुत किया।
- उन्होंने भक्ति को लोकभाषा ब्रजभाषा में सरल और मधुर रूप में व्यक्त किया।
- वे सूरदास के समकालीन थे और पुष्टिमार्ग के प्रचार में उनका योगदान महत्वपूर्ण था।
नंददास का महत्व
- वे अष्टछाप कवियों में प्रमुख स्थान रखते हैं।
- उनकी कविता भक्ति, प्रेम, दर्शन और सौंदर्य का अद्भुत समन्वय है।
- उनके काव्य में भागवत भक्ति, श्रृंगार, लोकभाषा की मिठास और माधुर्य रस की प्रधानता है।
नंददास हिंदी साहित्य और भक्ति आंदोलन के अमर कवियों में से एक हैं, जिनकी कृतियाँ आज भी भक्तों और साहित्य प्रेमियों को श्रीकृष्ण भक्ति में डुबो देती हैं।