पृथ्वी की गति और ऋतुओं में परिवर्तन पर नोट्स
- पृथ्वी की गति:
- पृथ्वी की गति दो प्रकार की होती है:
- घूर्णन: पृथ्वी का अपने अक्ष पर घूमना।
- परिक्रमण: सूर्य के चारों ओर एक स्थिर कक्ष में पृथ्वी की गति।
- पृथ्वी की गति दो प्रकार की होती है:
- पृथ्वी का अक्ष:
- पृथ्वी का अक्ष एक काल्पनिक रेखा है, जो कक्षीय सतह से 66½° का कोण बनाती है।
- कक्षीय सतह को कक्षीय समतल कहा जाता है।
- पृथ्वी की प्रकाश प्राप्ति:
- पृथ्वी का आकार गोले जैसा होता है, इसलिए एक समय में केवल आधे भाग पर सूर्य की रोशनी पड़ती है।
- सूर्य की ओर वाले भाग में दिन और सूर्य से दूर वाले भाग में रात होती है।
- प्रदीप्ति वृत्त वह वृत्त है जो दिन और रात को विभाजित करता है।
- घूर्णन:
- पृथ्वी अपने अक्ष पर एक चक्कर पूरा करने में लगभग 24 घंटे का समय लेती है।
- इस गति को दिन कहा जाता है, और यह पृथ्वी की दैनिक गति है।
- यदि पृथ्वी घूर्णन न करे:
- सूर्य की ओर वाले भाग में हमेशा दिन होगा, जिससे अत्यधिक गर्मी पड़ेगी।
- सूर्य से दूर वाले भाग में हमेशा रात होगी, जिससे ठंडक रहेगी।
- इस प्रकार की स्थिति में जीवन संभव नहीं हो पाएगा।
- परिक्रमण:
- पृथ्वी सूर्य के चारों ओर एक दीर्घवृत्ताकार कक्ष में घूमती है।
- यह कक्षीय गति एक वर्ष (365¼ दिन) में पूरी होती है।
- लीप वर्ष: हर चौथे वर्ष में 366 दिन होते हैं, जिसमें फरवरी में एक अतिरिक्त दिन (29 फरवरी) जोड़ा जाता है।
- ऋतुओं में परिवर्तन:
- पृथ्वी की परिक्रमण गति और उसके झुकाव के कारण ऋतुओं में परिवर्तन होता है।
- वसंत ऋतु, गर्मी, सर्दी, और शरद ऋतु का परिवर्तन पृथ्वी की सूर्य के चारों ओर स्थिति में बदलाव के कारण होता है।
- 21 जून (उत्तर अयनांत):
- उत्तरी गोलार्ध सूर्य की ओर झुका होता है, जिससे कर्क रेखा पर सूर्य की किरणें सीधी पड़ती हैं।
- इस दिन उत्तरी गोलार्ध में सबसे लंबा दिन और सबसे छोटी रात होती है।
- 22 दिसंबर (दक्षिण अयनांत):
- दक्षिण ध्रुव सूर्य की ओर झुका होता है, जिससे मकर रेखा पर सूर्य की किरणें सीधी पड़ती हैं।
- इस दिन दक्षिणी गोलार्ध में लंबा दिन और छोटी रात होती है, जबकि उत्तरी गोलार्ध में सर्दी होती है।
- 21 मार्च और 23 सितंबर (विषुव):
- इन दिनों सूर्य की किरणें विषुवत् रेखा पर सीधी पड़ती हैं।
- इस स्थिति में पूरी पृथ्वी पर दिन और रात बराबर होते हैं।
- ऋतुओं का वितरण:
- 21 मार्च को उत्तरी गोलार्ध में वसंत ऋतु और दक्षिणी गोलार्ध में शरद ऋतु होती है।
- 23 सितंबर को उत्तरी गोलार्ध में शरद ऋतु और दक्षिणी गोलार्ध में वसंत ऋतु होती है।
निष्कर्ष:
पृथ्वी के घूर्णन और परिक्रमण के कारण दिन और रात तथा ऋतुओं में परिवर्तन होता है। यह पृथ्वी की गतियों के कारण ही है कि हम ऋतुओं का अनुभव करते हैं और पृथ्वी पर जीवन संभव होता है।