मेरी माँ – कक्षा 6 हिंदी मल्हार

पाठ में आये कठिन शब्दों के अर्थ
  1. कांग्रेस – एक राजनीतिक संगठन
  2. विरोध – असहमति
  3. सेवा-समिति – समाज सेवा के लिए बनाई गई संस्था।
  4. उत्साह – जोश
  5. सहयोग – मदद
  6. उत्साह भंग होना – हिम्मत टूट जाना
  7. डाँट-फटकार – कठोर शब्दों में डाँटना।
  8. दंड – सज़ा
  9. परिणाम – फल
  10. कृपा – दया
  11. अनुरोध – विनती
  12. उचित – सही
  13. प्रोत्साहन – हिम्मत देना
  14. सद्व्यवहार – अच्छा व्यवहार।
  15. दृढ़ता – मजबूती
  16. आपत्ति – परेशानी
  17. संकट – मुश्किल
  18. संकल्प – पक्का इरादा।
  19. त्यागना – छोड़ना
  20. दीवानी मुकदमा – संपत्ति या धन संबंधी कानूनी मामला।
  21. दावा – कानूनी अधिकार जताना
  22. वकील – न्यायालय में मुकदमा लड़ने वाला व्यक्ति
  23. वकालतनामा – किसी वकील को मुकदमा लड़ने की अनुमति देने वाला कागज़
  24. धर्म विरुद्ध – धार्मिक सिद्धांतों के खिलाफ
  25. पाप – बुरा कार्य
  26. कदापि – कभी भी नहीं
  27. खारिज होना – अस्वीकृत होना
  28. प्रभाव – असर
  29. आचरण – व्यवहार, जीवन में अपनाई जाने वाली नीति।
  30. सत्य – सच्चाई
  31. नितांत – पूरी तरह
  32. अशिक्षित – जिसे शिक्षा न मिली हो
  33. ग्रामीण कन्या – गाँव की लड़की
  34. गृहकार्य – घर के कामकाज
  35. भोजनादि – भोजन और उससे संबंधित
  36. शौक – रुचि
  37. अक्षर-बोध – पढ़ने-लिखने की शुरुआती समझ
  38. परिश्रम – मेहनत
  39. देवनागरी – हिंदी, संस्कृत आदि भाषाओं की लिखने की लिपि
  40. अध्ययन – पढ़ाई
  41. सखी-सहेली – दोस्त, महिला मित्र।
  42. आर्यसमाज – स्वामी दयानंद सरस्वती द्वारा स्थापित एक धार्मिक और सामाजिक सुधार आंदोलन
  43. वार्तालाप – बातचीत
  44. अपेक्षा – तुलना में
  45. उदार – खुले विचारों वाला
  46. संसार-चक्र – जीवन की सामान्य दिनचर्या
  47. जीवन निर्वाह – जीने का तरीका
  48. क्रांतिकारी जीवन – स्वतंत्रता संग्राम से जुड़ा जीवन
  49. मेजिनी – इटली के क्रांतिकारी नेता ग्यूसेपे मेजिनी, जिन्होंने इटली की आज़ादी में योगदान दिया
  50. प्राणहानि – किसी की जान लेना
  51. प्राणदंड – किसी को मार डालने की सजा
  52. आदेश की पूर्ति – आज्ञा का पालन करना
  53. मजबूरन – मजबूरी में
  54. प्रतिज्ञा भंग – अपनी कसम तोड़ना
  55. जन्मदात्री – जन्म देने वाली
  56. जननी – माता, माँ
  57. ऋण – कर्ज, उपकार
  58. उतारने – चुकाने, समाप्त करने।
  59. उऋण – कर्जमुक्त, किसी के उपकार से मुक्त होना
  60. प्रयत्न – कोशिश
  61. तुच्छ – छोटा
  62. अवर्णनीय – जिसे शब्दों में बताया न जा सके
  63. जीवन की प्रत्येक घटना – जीवन की हर घटना, हर अनुभव
  64. स्मरण – याद
  65. देववाणी – ज्ञान से भरपूर शब्द
  66. उपदेश – सीख, शिक्षा
  67. दया – कृपा
  68. संलग्न – जुड़ा हुआ
  69. प्रोत्साहन – हौसला देना
  70. ग्रहण – प्राप्त करना
  71. श्रेय – सम्मान
  72. मनोहर – सुंदर
  73. स्मरण – याद
  74. मंगलमयी – शुभ, पवित्र
  75. मूर्ति – रूप, छवि
  76. मस्तक झुकाना – सिर झुकाना, सम्मान देना
  77. ताड़ना – डाँटना
  78. धृष्टतापूर्ण – अभिमान से भरा, असभ्य
  79. परिणाम – नतीजा, असर
  80. पालन-पोषण – देखभाल, परवरिश
  81. आत्मिक – आत्मा से संबंधित
  82. धार्मिक – धर्म से जुड़ा हुआ
  83. सामाजिक – समाज से संबंधित
  84. उन्नति – विकास, प्रगति
  85. सदैव – हमेशा
  86. जन्म-जन्मांतर – हर जन्म में
  87. महान – बहुत बड़ा
  88. संकट – कठिनाई
  89. अधीर – धैर्यहीन
  90. सदैव – हमेशा
  91. प्रेम भरी वाणी – प्यार से कही गई बातें
  92. सांत्वना – दिलासा
  93. दया की छाया – कृपा और संरक्षण
  94. कष्ट – दुख, परेशानी
  95. भोग-विलास – ऐशो-आराम, सुख-सुविधा
  96. ऐश्वर्य – धन-वैभव, संपत्ति
  97. श्रद्धापूर्वक – सम्मान और आदर के साथ
  98. चरणों की सेवा – माँ की सेवा करना, आदरपूर्वक देखभाल करना
  99. सफल – सार्थक
  100. इच्छा – चाह, अभिलाषा
  101. पूर्ण – पूरा होना
  102. दुखभरी खबर – शोकपूर्ण समाचार
  103. धैर्य धारण करना – हिम्मत रखना
  104. माताओं की माता – भारत माता, देश
  105. बलि-देवी – बलिदान की देवी
  106. कोख कलंकित करना – परिवार या माँ का नाम बदनाम करना
  107. प्रतिज्ञा पर दृढ़ रहना – अपने वचन या संकल्प को निभाना
  108. स्वाधीन – आज़ाद
  109. इतिहास – बीते हुए समय की घटनाओं की बात
  110. पृष्ठ – पन्ना
  111. उज्ज्वल अक्षर – चमकते हुए शब्द
  112. गुरु गोबिंद सिंह जी – सिखों के दसवें गुरु
  113. धर्मपत्नी – पत्नी, जीवन संगिनी
  114. धर्म-रक्षार्थ – धर्म की रक्षा के लिए
  115. बलिदान – त्याग, समर्पण
  116. मिठाई बाँटना – खुशी प्रकट करने का तरीका
  117. वर दो – आशीर्वाद दो
  118. अंतिम समय – जीवन का अंतिम पल, मृत्यु-समय
  119. हृदय विचलित होना – मन डगमगाना, डरना
  120. चरण कमल – पूजनीय चरण, सम्माननीय पैर
  121. प्रणाम – नमस्कार, श्रद्धा प्रकट करना
  122. परमात्मा – ईश्वर, भगवान
  123. स्मरण – याद करना, ध्यान करना
  124. शरीर त्यागना – मृत्यु को प्राप्त होना

पाठ से

मेरी समझ से

(क) नीचे दिए गए प्रश्नों का सटीक उत्तर कौन-सा है? उसके सामने तारा (★) बनाइए-

1. ‘किंतु यह इच्छा पूर्ण होती नहीं दिखाई देती।’
बिस्मिल को अपनी किस इच्छा के पूर्ण न होने की आशंका थी?

  • भारत माता के साथ रहने की
  • अपनी प्रतिज्ञा पर दृढ़ रहने की
  • अपनी माँ की जीवनपर्यंत सेवा करने की
  • भोग विलास तथा ऐश्वर्य भोगने की

उत्तर

अपनी माँ की जीवनपर्यंत सेवा करने (★)

2. रामप्रसाद बिस्मिल की माँ का सबसे बड़ा आदेश क्या था?

  • देश की सेवा करें
  • कभी किसी के प्राण न लेना
  • कभी किसी से छल न करना
  • सदा सच बोलना

उत्तर

कभी किसी के प्राण न लेना (★)

(ख) अब अपने मित्रों के साथ तर्कपूर्ण चर्चा कीजिए कि आपने ये ही उत्तर क्यों चुने?

उत्तर

पहले प्रश्न का उत्तर पाठ में स्पष्ट रूप से दिया गया है जहाँ बिस्मिल कहते हैं कि उनकी इच्छा है कि वे अपनी माँ की सेवा कर सकें, लेकिन यह पूरी होती नहीं दिखाई देती।

दूसरे प्रश्न का उत्तर भी पाठ में स्पष्ट है जहाँ लिखा है कि उनकी माँ का सबसे बड़ा आदेश था कि किसी की प्राणहानि न हो।

पंक्तियों पर चर्चा

पाठ में से चुनकर कुछ पंक्तियाँ नीचे दी गई हैं। इन्हें पढ़कर समझिए और इन पर विचार कीजिए । आपको इनका क्या अर्थ समझ में आया? कक्षा में अपने विचार साझा कीजिए और लिखिए।

(क) “यदि मुझे ऐसी माता न मिलतीं, तो मैं भी अति साधारण मनुष्यों की भाँति संसार-चक्र में फँसकर जीवन निर्वाह करता।”

उत्तर

  • बिस्मिल की माँ के प्रति अटूट श्रद्धा ।
  • बिस्मिल को क्रांतिकारी जीवन की प्रेरणा और सहयोग अपनी माँ से प्राप्त हुआ।
  • बिस्मिल ने स्वयं को देश की स्वतंत्रता के लिए पूर्णतया समर्पित कर दिया ।

(ख) “उनके इस आदेश की पूर्ति करने के लिए मुझे मज़बूरन दो-एक बार अपनी प्रतिज्ञा भंग भी करनी पड़ी थी।”

उत्तर

  • माता जी ने सबसे बड़ा आदेश बिस्मिल को दिया था कि कभी किसी की प्राणहानि न हो। माता ने शिक्षा दी थी कि शत्रु को भी प्राणदंड न मिले।
  • बिस्मिल ने कुछ लोगों को प्राणदंड देने की प्रतिज्ञा ली थी किंतु माँ ने वादा लिया कि वे प्राणदंड के रूप में बदला नहीं लेंगे।

मिलकर करें मिलान

पाठ में से चुनकर कुछ शब्द नीचे दिए गए हैं। अपने समूह में इन पर चर्चा कीजिए और इन्हें इनके सही अर्थ या संदर्भों से मिलाइए। इसके लिए आप शब्दकोश, इंटरनेट, पुस्तकालय या अपने शिक्षकों की सहायता ले सकते हैं।

शब्दअर्थ या संदर्भ
1. देवनागरी1. सिखों के दसवें और अंतिम गुरु थे। उन्होंने खालसा पंथ की स्थापना की।
2. आर्यसमाज2. इटली के गुप्त राष्ट्रवादी दल का सेनापति इटली का मसीहा था जिसने लोगों को एक सूत्र में बाँधा ।
3. मेजिनी3. महर्षि दयानंद द्वारा स्थापित एक संस्था ।
4. गोबिंद सिंह4. भारत की एक भाषा लिपि जिसमें हिंदी, संस्कृत, मराठी आदि भाषाएँ लिखी जाती हैं।

उत्तर

शब्दअर्थ या संदर्भ
1. देवनागरी4. भारत की एक भाषा लिपि जिसमें हिंदी, संस्कृत, मराठी आदि भाषाएँ लिखी जाती हैं।
2. आर्यसमाज3. महर्षि दयानंद द्वारा स्थापित एक संस्था ।
3. मेजिनी2. इटली के गुप्त राष्ट्रवादी दल का सेनापति इटली का मसीहा था जिसने लोगों को एक सूत्र में बाँधा ।
4. गोबिंद सिंह1. सिखों के दसवें और अंतिम गुरु थे। उन्होंने खालसा पंथ की स्थापना की।

सोच-विचार के लिए

पाठ को एक बार फिर से पढ़िए और दिए गए प्रश्नों के बारे में पता लगाकर अपनी लेखन पुस्तिका में लिखिए।

1. बिस्मिल की माता जी जब ब्याह कर आईं तो उनकी ‘आयु काफ़ी कम थी।

(क) फिर भी उन्होंने स्वयं को अपने परिवार के अनुकूल कैसे ढाला?

(ख) उन्होंने अपनी इच्छाशक्ति के बल पर स्वयं को कैसे शिक्षित किया?

उत्तर

(क) बिस्मिल की माता जी ने अपनी दादी जी से गृहकार्य की शिक्षा ली। थोड़े दिनों में उन्होंने घर के सब काम-काज को समझ लिया और भोजनादि का ठीक-ठीक प्रबंध करने लगीं।

(ख) उन्होंने अपनी इच्छाशक्ति के बल पर स्वयं को शिक्षित किया:

  • मुहल्ले की शिक्षित सखी-सहेलियों से अक्षर-बोध किया
  • घर का काम करने के बाद बचे समय में पढ़ना-लिखना करती थीं
  • परिश्रम से थोड़े दिनों में ही देवनागरी पुस्तकों का अध्ययन करने लगीं

2. बिस्मिल को साहसी बनाने में उनकी माता जी ने कैसे सहयोग दिया?

उत्तर

बिस्मिल के व्यक्तित्व निर्माण में उनकी माता ने बहुत महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई। उन्होंने जीवन के हर कदम पर अपने सुपुत्र बिस्मिल को प्रोत्साहित किया। छोटी उम्र में ही अपनी माता जी से प्रेरणा लेकर बिस्मिल साहस, वीरता और देश सेवा के पथ पर चले । जन्मभूमि पर न्योछावर होने वाले पुत्र पर उन्हें गर्व था। संकटों में भी उन्होंने अपने पुत्र को अधीर नहीं होने दिया ।

3. आज से कई दशक पहले बिस्मिल की माँ शिक्षा के महत्व को समझती थीं, बताइए कैसे?

उत्तर

बालक बिस्मिल में प्रेम, साहस और दृढ़ता के भाव उनकी माँ ने भरे थे। कम उम्र में विवाह हो जाने के बाद भी उनकी माँ अपनी इच्छाशक्ति के बल पर स्वयं को शिक्षित करती रहीं। कुछ वर्षों बाद उन्होंने बिस्मिल और उनकी छोटी बहनों को भी पढ़ाया-लिखाया। अपनी शिक्षा और वाणी से बिस्मिल के जीवन मूल्यों मैं सुधार किया। माँ के प्रोत्साहन का ही परिणाम था कि रामप्रसाद धर्म के मार्ग पर चलकर उत्तम शिक्षा ग्रहण कर सके।

अथवा 

बिस्मिल की माँ ने स्वयं पढ़ना-लिखना सीखा और अपनी बेटियों को भी शिक्षा दी। वे बिस्मिल के विवाह को टालकर शिक्षा को प्राथमिकता देती थीं।

4. हम कैसे कह सकते हैं कि बिस्मिल की माँ स्वतंत्र और उदार विचारों वाली थीं?

उत्तर

बिस्मिल की माँ उन्हें देश-सेवा और क्रांतिकारी गतिविधियों में शामिल होने के लिए प्रोत्साहित करती थीं। वे स्वयं भी शिक्षा प्राप्त करने के लिए प्रयासरत रहीं और अपने बच्चों को भी शिक्षा दिलवाना चाहती थीं। वे बिस्मिल के विचारों का समर्थन करती थीं, भले ही इसके लिए उन्हें परिवार के अन्य सदस्यों की नाराजगी झेलनी पड़ती।

आत्मकथा की रचना

यह पाठ रामप्रसाद ‘बिस्मिल’ की आत्मकथा का एक अंश है। आत्मकथा यानी अपनी कथा। दुनिया में अनेक लोग अपनी आत्मकथा लिखते हैं, कभी अपने लिए, तो कभी दूसरों के पढ़ने के लिए।

(क) इस पाठ को एक बार फिर से पढ़िए और अपने-अपने समूह में मिलकर इस पाठ की ऐसी पंक्तियों की सूची बनाइए जिनसे पता लगे कि लेखक अपने बारे में कह रहा है।

उत्तर

आत्मकथा की रचना के लिए पाठ से पंक्तियाँ चुनना:

  • “मेरी माताजी देवी हैं।”
  • “मुझमें जो कुछ जीवन तथा साहस आया, वह मेरी माताजी तथा गुरुदेव श्री सोमदेव जी की कृपाओं का ही परिणाम है।”
  • “अपने जीवन में हमेशा सत्य का आचरण करता था, चाहे कुछ हो जाए, सत्य बात कह देता था।”
  • “लखनऊ कांग्रेस में जाने के लिए मेरी बड़ी इच्छा थी।”

(ख) अपने समूह की सूची को कक्षा में सबके साथ साझा कीजिए।

उत्तर

अध्यापक की सहायता से विद्यार्थीगण इस गतिविधि को पूर्ण करेंगे।

शब्दप्रयोग तरहतरह के

(क) “माता जी उनसे अक्षर-बोध करतीं।” इस वाक्य में अक्षर-बोध का अर्थ है- अक्षर का बोध या ज्ञान।
एक अन्य वाक्य देखिए— “जो कुछ समय मिल जाता, उसमें पढ़ना-लिखना करतीं।” इस वाक्य में पढ़ना-लिखना अर्थात पढ़ना और लिखना।

प्रश्न: हम लेखन में शब्दों को मिलाकर छोटा बना लेते हैं जिससे समय, स्याही, कागज़ आदि की बचत होती है। संक्षेपीकरण मानव का स्वभाव भी हैं। इस पाठ से ऐसे शब्द खोजकर सूची बनाइए।

उत्तर

  1. डाँट-फटकार
  2. काम-काज
  3. उठना-बैठना
  4. अंदर-बाहर
  5. देश सेवा
  6. पालन-पोषण

पाठ से आगे

आपकी बात

(क) रामप्रसाद ‘बिस्मिल’ के मित्रों के नाम खोजिए और स्वतंत्रता आंदोलन में उनकी भागीदारी पर कक्षा में चर्चा कीजिए।

उत्तर

रामप्रसाद ‘बिस्मिल’ के कुछ प्रसिद्ध मित्र थे:

  • शफाकउल्ला खान – काकोरी षड्यंत्र में साथी, क्रांतिकारी गतिविधियों में सहयोगी
  • चंद्रशेखर आजाद – हिंदुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोसिएशन के सदस्य, साथी क्रांतिकारी
  • भगत सिंह – युवा क्रांतिकारी, बिस्मिल से प्रेरित
  • राजेंद्र लाहिड़ी – काकोरी षड्यंत्र में साथी

(ख) नीचे लिखे बिंदुओं को आधार बनाते हुए अपनी माँ या अपने अभिभावक से बातचीत कीजिए और उनके बारे में गहराई से जानिए कि उनका प्रिय रंग, भोज्य पदार्थ, गीत, बचपन की यादें, प्रिय स्थान आदि कौन-कौन से थे?

उदाहरण के लिए-

  • आपका जन्म कहाँ हुआ था?
  • आपकी प्रिय पुस्तक का नाम क्या है?

पुस्तकालय या इंटरनेट से

आप पुस्तकालय से रामप्रसाद ‘बिस्मिल’ की आत्मकथा खोजकर पढ़िए।
देशभक्तों से संबंधित अन्य पुस्तकें, जैसे— उनके पत्र, आत्मकथा, जीवनी आदि पढ़िए और अपने मित्रों से साझा कीजिए।

उत्तर

रामप्रसाद ‘बिस्मिल’ की आत्मकथा “निज जीवन की एक छटा”

अन्य देशभक्तों की आत्मकथाएँ या जीवनियाँ, जैसे:

  • ‘मेरे संस्मरण’ – भगत सिंह
  • ‘आत्मकथा’ – जवाहरलाल नेहरू
  • ‘सत्य के प्रयोग’ – महात्मा गाँधी

शब्दों की बात

आप अपनी माँ को क्या कहकर संबोधित करते हैं? अन्य भाषाओं में माँ के लिए प्रयुक्त संबोधन और माँ के लिए शब्द ढूँढ़िए।
क्या उनमें कुछ समानता दिखती है? हाँ, तो क्या?

उत्तर

  • हिंदी: माँ
  • अंग्रेजी: Mother, Mom
  • संस्कृत: मातृ, जननी
  • बंगाली: मा
  • तमिल: आई
  • पंजाबी: माँ
  • गुजराती: बा
  • कश्मीरी: मोज
  • उड़िया: आई 
  • तेलुगु: अम्मा
  • मलयालम: अम्मा

अधिकांश शब्दों में ‘म’ ध्वनि की समानता दिखाई देती है।

आज की पहेली

यहाँ दी गई वर्ग पहेली में पाठ से बारह विशेषण दिए गए हैं। उन्हें छाँटकर पाठ में रेखांकित कीजिए।

मेरी माँ – कक्षा 6 हिंदी मल्हार - TEACHER'S KNOWLEDGE & STUDENT'S GROWTH

उत्तर

मेरी माँ – कक्षा 6 हिंदी मल्हार - TEACHER'S KNOWLEDGE & STUDENT'S GROWTH

झरोखे से

ऐ मातृभूमि !
ऐ मातृभूमि! तेरी जय हो, सदा विजय हो ।
प्रत्येक भक्त तेरा, सुख-शांति-कांतिमय हो।
अज्ञान की निशा में, दुख भरी दिशा में;
संसार के हृदय में, तेरी प्रभा उदय हो।
तेरा प्रकोप सारे जग का महाप्रलय हो।
तेरी प्रसन्नता ही आनंद का विषय हो।
वह भक्ति दे कि ‘बिस्मिल’ सुख में तुझे न भूले,
वह शक्ति दे कि दुख में कायर न यह हृदय हो।
– रामप्रसाद ‘बिस्मिल’

व्याख्या

यह कविता देशभक्ति और मातृभूमि के प्रति समर्पण की भावना को व्यक्त करती है। कवि मातृभूमि की जय और विजय की कामना करता है। वह चाहता है कि मातृभूमि का प्रकाश अज्ञान और दुःख को दूर करें। कवि प्रार्थना करता है कि वह सुख में मातृभूमि को न भूलें और दुःख में कायर न हो।

खोजबीन के लिए

माँ से संबंधित पाँच रचनाएँ पुस्तकालय से खोजें और अपनी पत्रिका बनाएँ।

पाठ पर आधारित गतिविधियों को छात्र – छात्राएँ मिलकर अपने शिक्षकों की सहायता से पूर्ण करें।

उत्तर

माँ से संबंधित पाँच रचनाएँ हैं, जैसे:

  • ‘माँ’ – मुंशी प्रेमचंद की कहानी
  • ‘माँ कह एक कहानी’ – सुभद्रा कुमारी चौहान की कविता
  • ‘मेरी माँ’ – सुमित्रानंदन पंत की कविता
  • ‘माँ का आँचल’ – शिवमंगल सिंह ‘सुमन’ की कविता
  • ‘माँ की याद’ – रामधारी सिंह ‘दिनकर’ की कविता