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मनुज को खोज निकालो – श्री सुमित्रानंदन पंत कक्षा 8 हिंदी

मनुज को खोज निकालो – श्री सुमित्रानंदन पंत कक्षा 8 हिंदी

मनुज को खोज निकालो - श्री सुमित्रानंदन पंत कक्षा 8 हिंदी - Notes of important topics

सुमित्रानंदन पंत की यह कविता मानवीय मूल्यों और समाज में समरसता की स्थापना का आह्वान है। कवि समाज में व्याप्त जाति, वर्ण, वर्ग, भाषा, भूषा, और धर्म के भेदभाव को समाप्त करने की बात करते हैं। उनका कहना है कि मनुष्य को उसकी मूल पहचान—मानवता के आधार पर देखना चाहिए, न कि सामाजिक या भौतिक मापदंडों से। कवि यह संदेश देते हैं कि धर्म, रीति-रिवाज, और रूढ़ियों की अंधकारमय परंपराओं को छोड़कर समानता और मानवता को अपनाना ही सच्चा विकास है। उनका विचार है कि राजा और प्रजा, धनी और निर्धन, सभ्य और असंस्कृत, सज्जन और दुर्जन, सबको एक समान मानवता के भाव से देखना चाहिए। वे एक ऐसे समाज की कल्पना करते हैं जिसमें कोई वर्गीय, धार्मिक या सांस्कृतिक विभाजन न हो। कवि की यह रचना पाठकों से आग्रह करती है कि वे भेदभाव और असमानता के बंधनों से ऊपर उठें और एक सार्वभौमिक मानव समाज की ओर बढ़ें। यह कविता आधुनिक युग में शांति, एकता, और भाईचारे का संदेश देती है।

आज मनुज को खोज निकालो।

जाति, वर्ण, संस्कृति, समाज से,

मूल व्यक्ति को फिर से चालो

सन्दर्भ – प्रस्तुत पद्यांश हमारी पाठ्य-पुस्तक ‘छत्तीसगढ़ भारती’ के मनुज को खोज निकालो’ नामक पाठ से लिया गया है। इसके कवि सुमित्रानन्दन पन्त है।

प्रसंग – प्रस्तुत पद्यांश में कवि ने सच्चे मनुष्य को खोज निकालने की बात कही है।

व्याख्या – कवि कहते है कि हे मनुष्य अब तुम विभिन्न जातियों, वर्णों एवं संस्कृतियों में बँटे मनुष्य समाज में से सच्चे मनुष्य की पहचान कर उसे खोज निकालो अर्थात् ऐसे मनुष्यों की पहचान करो जाति वर्ग के भेद से ऊपर उठे हो।

देश – राष्ट्र के विविध भेद हर,

धर्म – नीतियों में समत्व भर,

रूढि – रीति गत विश्वासों की

अंध-यवनिका आज उठा लो ।

आज मनुज को खोज निकालो।

सन्दर्भ – प्रस्तुत पद्यांश हमारी पाठ्य-पुस्तक ‘छत्तीसगढ़ भारती’ के मनुज को खोज निकालो’ नामक पाठ से लिया गया है। इसके कवि सुमित्रानन्दन पन्त है।

प्रसंग – प्रस्तुत पद्यांश में कवि ने विभिन्न देशों, धर्मों आदि के बीच की दीवार को तोड़ने की बात कही है।

व्याख्या – कवि कहते हैं, हे मनुष्य! तुम विभिन्न राष्ट्रों के बीच के वैचारिक मतभेदों को दूर करो। विभिन्न धर्मों के अनुपालन में दृष्टिगत विरोधाभासों को दूर कर उनमें समानता का भाव भर दो। समाज में व्याप्त रूढ़िवादिता एवं प्रचलित मान्यताओं को बदल डालो। उसकी अंधी दीवार को तोड़ डालो। अब वह समय आ गया है कि तुम मनुष्यों के बीच से सच्चे मनुष्य को ट्रैठकर निकालो।

भाषा-भूषा के जो भीतर,

श्रेणि-वर्ग से मानव ऊपर,

अखिल अवनि में रिक्त मनुज को

केवल मनुज जान अपना लो।

आज मनुज को खोज निकालो।

सन्दर्भ – प्रस्तुत पद्यांश हमारी पाठ्य-पुस्तक ‘छत्तीसगढ़ भारती’ के मनुज को खोज निकालो’ नामक पाठ से लिया गया है। इसके कवि सुमित्रानन्दन पन्त है।

प्रसंग – प्रस्तुत पद्यांश में कवि ने भाषा, वर्ग आदि की श्रेष्ठता सम्बन्धी विवादों के बीच मानव को सर्वश्रेष्ठ बताया है।

व्याख्या – कवि कहते हैं कि हे मानव! दुनिया में अलग-अलग भाषाएँ बोली जाती हैं। लोगों के पहनावे अलग-अलग है। समाज अनेक जाति वर्गों में बंटा हुआ है। किन्तु मनुष्य इन सबसे ऊपर है, अर्थात् श्रेष्ठ है। पूरी दुनिया में भाषा, जाति अथवा वर्ग के संकुचित विचारों से खाली हो चुके मनुष्य को केवल मनुष्य जानकर स्वीकार कर लो अर्थात् उससे नफरत न करो अब समय आ गया है कि मनुष्यों के बीच से सच्चे मनुष्य को ढूंढ निकालो।


राजा, प्रजा, धनी और निर्धन

सभ्य, असंस्कृत, सज्जन, दुर्जन

भव – मानवता से सबको भर

खंड- मनुज को फिर से ढालो ।

आज मनुज को खोज निकालो।

सन्दर्भ – प्रस्तुत पद्यांश हमारी पाठ्य-पुस्तक ‘छत्तीसगढ़ भारती’ के मनुज को खोज निकालो’ नामक पाठ से लिया गया है। इसके कवि सुमित्रानन्दन पन्त है।

प्रसंग – प्रस्तुत पद्यांश में कवि ने विभिन्न वर्गों में बँटे हुए मनुष्यों में मानवता की भावना जगाकर उन्हें एक करने की बात कही है।

व्याख्या – कवि कहते हैं मनुष्य चाहे किसी भी देश एवं काल में पैदा हुआ हो, वह राजा, प्रजा, धनवान अथवा निर्धन हो, सभ्य अथवा असभ्य हो, सज्जन अथवा दुर्जन हो, इन विभिन्न वर्गों में बँटे हुए मनुष्यों में मानवता की भावना जगाकर उन्हें फिर से एक कर दो अर्थात् कोई किसी से भेदभाव न करे। मनुष्य होने के जाते सब आपस में हिल-मिलकर रहें। अब यह समय आ गया है कि सच्चे मनुष्य की कर उसे खोज निकालो।

MCQs (20 Questions with Answers):

1. “आज मनुज को खोज निकालो” कविता का मुख्य विषय क्या है?
a) शिक्षा का महत्व
b) मानवता और समानता का आह्वान
c) धर्म का प्रचार
d) राजनीतिक परिवर्तन
उत्तर: b) मानवता और समानता का आह्वान

2. कवि ने जाति, वर्ण और संस्कृति को क्या कहा है?
a) मानवता का आधार
b) विभाजन और भेदभाव का कारण
c) समाज की पहचान
d) धर्म की परंपरा
उत्तर: b) विभाजन और भेदभाव का कारण

3. “अंध-यवनिका” शब्द का अर्थ क्या है?
a) रात्रि
b) अज्ञान का पर्दा
c) धर्म का मार्ग
d) समाज की प्रगति
उत्तर: b) अज्ञान का पर्दा

4. कवि के अनुसार “देश-राष्ट्र के विविध भेद” को क्या करना चाहिए?
a) और गहराई से समझना
b) हर लेना
c) बढ़ावा देना
d) बनाए रखना
उत्तर: b) हर लेना

5. “भाषा-भूषा के जो भीतर” पंक्ति में कवि क्या कहना चाहते हैं?
a) भाषा और भूषा की विविधता को बनाए रखना
b) भाषा और भूषा से ऊपर उठकर मानव को पहचानना
c) विभिन्न संस्कृतियों को अपनाना
d) भूषा के आधार पर समाज को विभाजित करना
उत्तर: b) भाषा और भूषा से ऊपर उठकर मानव को पहचानना

6. कविता में “खंड-मनुज” का क्या अर्थ है?
a) विभाजित मानवता
b) शक्तिशाली मनुष्य
c) धार्मिक व्यक्ति
d) शिक्षित समाज
उत्तर: a) विभाजित मानवता

7. कवि किस चीज़ को “रिक्त” कह रहे हैं?
a) भूख से पीड़ित लोगों को
b) मानवता से शून्य व्यक्ति को
c) ज्ञान से रहित समाज को
d) गरीबी को
उत्तर: b) मानवता से शून्य व्यक्ति को

8. “समानता” का अर्थ कविता के संदर्भ में क्या है?
a) सभी का समान अधिकार
b) सभी की समान स्थिति
c) जाति, धर्म, और वर्ग के भेद से मुक्त मानवता
d) सभी का समान शिक्षा स्तर
उत्तर: c) जाति, धर्म, और वर्ग के भेद से मुक्त मानवता

9. कवि ने “प्रजा और राजा” को किससे भरने की बात की है?
a) ज्ञान से
b) धन से
c) मानवता से
d) प्रेम से
उत्तर: c) मानवता से

10. कवि के अनुसार “आज का सबसे बड़ा कर्तव्य” क्या है?
a) नए रीति-रिवाजों को अपनाना
b) रूढ़ियों और विश्वासों की अंध-यवनिका उठाना
c) धर्म का प्रचार करना
d) समाज को विभाजित करना
उत्तर: b) रूढ़ियों और विश्वासों की अंध-यवनिका उठाना


11. कवि ने “धर्म-नीतियों” में किसे भरने की बात की है?
a) भेदभाव
b) समत्व
c) कट्टरता
d) परंपरा
उत्तर: b) समत्व

12. “सहानुभूति” और “सख्य” का अर्थ क्या है?
a) मित्रता और समानुभूति
b) प्रेम और करुणा
c) ज्ञान और शक्ति
d) जाति और धर्म
उत्तर: a) मित्रता और समानुभूति

13. “स्वाश्रयी समाज” का क्या तात्पर्य है?
a) आत्मनिर्भर और सहयोगी समाज
b) धार्मिक समाज
c) शिक्षित समाज
d) राजनीतिक समाज
उत्तर: a) आत्मनिर्भर और सहयोगी समाज

14. कविता में “मनुष्य मात्र” से कवि का क्या आशय है?
a) केवल भारतीय समाज
b) पूरी मानव जाति
c) शिक्षित वर्ग
d) गरीब लोग
उत्तर: b) पूरी मानव जाति

15. “आज” शब्द कविता में किसका प्रतीक है?
a) एक विशेष दिन का
b) वर्तमान समय का
c) स्वतंत्रता का
d) अतीत का
उत्तर: b) वर्तमान समय का

16. कवि किसे “फिर से ढालने” की बात करते हैं?
a) प्राचीन परंपराओं को
b) खंड-मनुज को
c) भाषा और भूषा को
d) समाज को
उत्तर: b) खंड-मनुज को

17. “धर्म-नीतियों में समत्व भर” का क्या अर्थ है?
a) सभी धर्मों के प्रति समान दृष्टिकोण
b) धर्म का प्रचार
c) धर्म का त्याग
d) धर्म का पालन
उत्तर: a) सभी धर्मों के प्रति समान दृष्टिकोण

18. “भव-मानवता” का अर्थ क्या है?
a) पारलौकिक मानवता
b) सांसारिक मानवता
c) आध्यात्मिक मानवता
d) धार्मिक मानवता
उत्तर: b) सांसारिक मानवता

19. कवि ने “अखिल अवनि” में किसे पहचानने का आह्वान किया है?
a) जाति और वर्ग को
b) केवल मानवता को
c) धर्म और संस्कृति को
d) भाषा और भूषा को
उत्तर: b) केवल मानवता को

20. इस कविता का संदेश किसे प्रेरित करता है?
a) समाज सुधारकों को
b) धर्मगुरुओं को
c) पूरे समाज को
d) केवल शिक्षकों को
उत्तर: c) पूरे समाज को

पाठ से

प्रश्न 1. मूल व्यक्ति को कवि ने कहाँ से खोज निकालने को कहा है?

उत्तर-मूल व्यक्ति को कवि ने विभिन्न जातियों, वर्णों एवं संस्कृतियों में बैठे मानव समाज में से सच्चे मनुष्य की पहचान कर उसे खोज निकालने को कहा है।

प्रश्न 2. कवि ने मानव समाज में फैली किन-किन विविधताओं का उल्लेख किया है ?

उत्तर- कवि ने मानव समाज में फैली जाति, वर्ण, संस्कृति, धर्म, रीति-रिवाज, भाषा, वेश-भूषा, सम्पन्नता, विपन्नता आदि विविधताओं का उल्लेख किया है।

प्रश्न 3. मूल व्यक्ति से कवि का क्या तात्पर्य है ?

उत्तर- कवि का मूल व्यक्ति से तात्पर्य यह है कि वह मनुष्य जो वर्ण, जाति, संस्कृति, समाज को भूलकर प्रेम की भाषा बोलता है। जो अमीर, गरीब, सज्जन, दुर्जन आदि का भेदभाव न करता हो, सब मनुष्यों को अपने समान मानता हो उसे मूल व्यक्ति कहा गया है।

प्रश्न 4. आज समाज मे व्यक्ति-व्यक्ति के बीच किस प्रकार के भेद उत्पन्न हो गये हैं?

उत्तर- आज समाज में व्यक्ति-व्यक्ति के बीच जाति, धर्म, देश, भाषा, वेश-भूषा, राजा, प्रजा, धनी और निर्धन आदि के भेद उत्पन्ना हो गये है।

प्रश्न 5, इस कविता में कवि ने खण्ड मनुज’ का प्रयोग किया है। इससे आप क्या समझते है ?

उत्तर- इस कविता में कवि ने खण्ड मनुज टुकड़ों-टुकड़ों में बेटे मनुष्य के लिए कहा है। इससे हम यही समझते हैं कि दुनिया में दिखरे हुए मनुष्य को एकजुट करने की आवश्यकता है। मानव से ही मानवता का निर्माण होता है इसलिए टुकड़ों में बैठे मनुष्य को एकता के सूत्र में डोना है।

प्रश्न 6. कवि किस अन्ध-यवनिका को उठाने की बात कह रहा है?

उत्तर- कवि प्रचलित रीति-रिवाजों एवं अन्धविश्वासों की अन्य यवनिका को उठाने की बात कह रहा है।

प्रश्न 7. वर्गों में बँटा हुआ मनुष्य किस प्रकार पूर्ण मनुष्य बन सकता है ?

उत्तर- कवि के अनुसार जातिगत, धर्मगत एवं वर्णगत भेदभाव की भावना को भूलकर मनुष्य आपसी सहयोग एवं सद्भाव से जीवन व्यतीत करे तो मनुष्य पूर्ण मनुष्य बन सकता है।

प्रश्न 8. रूढ़ि-रीतिगत विश्वासों को मिटा देने की बात कवि ने क्यों की है ?

उत्तर-रूढ़ि-रीतिगत विश्वासों के कारण लोगों में एक-दूसरे के प्रति नफरत के भाव पैदा होते । समाज की एकता और शान्ति भंग होती है। इससे राष्ट्र कमजोर होता है। रूढ़ि-रीतिगत विश्वासों को मिटा देने की बात कवि ने की है।