मैं सड़क हूँ (आत्मकथा)
जी हाँ! मैं सड़क हूँ। मिट्टी, पत्थर और डामर से बनी। एक बड़े अजगर की तरह मैदानों, जंगलों, पहाड़ों के बीच से गुजरती हुई। पेड़ों की छाया के नीचे से होकर मैदानों को पार करती हुई, गाँवों को शहरों से जोड़ती हूँ।

मेरी उम्र कितनी है, यह मुझे भी याद नहीं। जब आदमी ने एक स्थान से दूसरे स्थान तक जाने की बात सोची होगी, शायद तभी मेरा जन्म हुआ होगा। मैं कभी कच्ची थी तो कभी पक्की । कभी मैं घुमावदार बनी तो कभी एकदम सीधी- सपाट। स्कूल, कॉलेज, अस्पताल, महल, झोपड़ी, बाग-बगीचे, हाट-बाजार और भी न जाने कहाँ-कहाँ मेरी पहुँच है। कहने का मतलब यह कि मैं ही सबको मंजिल तक पहुँचाती हूँ।
वैसे मेरा रूप सुंदर नहीं है, एकदम काली-कलूटी और लंबी। कभी-कभी तो मुझमें छोटे-बड़े गड्ढे बन जाते हैं। तब मेरा रूप और भी बिगड़ जाता है। यह मुझे बनानेवालों की लापरवाही का ही नतीजा है। मुझे अपनी इस बदसूरती पर उतना दुख नहीं होता, जितना अपने ऊपर से चलनेवालों की गलत आदतों पर होता है। कभी-कभी तो ऐसी दुर्घटना हो जाती है कि लोगों की मौत तक हो जाती है। तब मुझे दुख होता है क्योंकि मैं उनकी कोई मदद नहीं कर पाती। कभी-कभी मेरे इन दुखदायी गड्ढों को भर दिया जाता है, किसी फटे हुए कपड़े में लगी थेगड़ी (पैबंद) की तरह। यह मुझे तो अच्छा नहीं लगता, पर इससे चलनेवालों को सुविधा हो जाती है। इसी से मुझे संतोष होता है।

ओह! ये ढेर सारा कूड़ा-करकट किसने फेंका मेरे ऊपर? कितना बिगाड़ दिया मेरा रूप? अरे! अरे! मेरे ऊपर तो उस आदमी ने थूक ही दिया। देखो तो, केला खाकर छिलका भी मेरी छाती पर फेंक दिया। तमीज नहीं है लोगों में मनचाहे जहाँ थूक देते हैं, हर कहीं छिलके फेंक देते हैं। इसका क्या परिणाम होगा सोचते ही नहीं ।
अरे! केले के छिलके पर पैर पड़ जाने से वह बच्चा तो गिर ही पड़ा। उसे बहुत चोट आई होगी। पता नहीं लोगों को कब अकल आएगी कि कूड़ा सड़क पर न फेंके, कूड़ेदान में फेंकें, इससे सफाई भी रहेगी और दुर्घटनाएँ भी नहीं होंगी।

त्यौहारों, मेलों और शादियों में मेरी शोभा बढ़ जाती है। मेरे आसपास सफाई हो जाती है। दोनों किनारों पर रोशनी की जाती है।
मेलों व उत्सवों के समय अनेक प्रकार की वस्तुओं से दुकानें सजाई जाती हैं। काफी चहल-पहल होती है। सभी लोग खुश नजर आते हैं। मुझे खुशी होती है, अपने नजदीक यह रौनक देखकर ।
वाह! बच्चे लाइन बनाकर कहाँ जा रहे हैं? अरे हाँ! छब्बीस जनवरी आनेवाली है ना। उन्हें परेड में भाग लेना होगा। उसी की तैयारी के लिए जा रहे होंगे। जब ये छोटे-छोटे बच्चे साफ-सुथरी पोशाक में कदम से कदम मिलाकर चलते हैं, तब मुझे बहुत अच्छा लगता है। ये बच्चे देश के नागरिक बनेंगे। मुझे इन्हीं से आशा है।

मेरे बाजू में खड़े इन हरे-भरे पेड़ों की छाया मुझे बहुत अच्छी लगती है। गर्मी के दिनों में पैदल चलनेवालों को भी इनकी छाया में आराम मिलता है। आम जामुन तो अपने फलों से लोगों को आनंद देते हैं। बच्चे तो इनकी ओर दौड़े चले आते हैं। खेलते-कूदते, आपस में बाँटकर फलों का स्वाद लेते इन बच्चों को देखकर मुझे कितनी खुशी होती है, क्या बताऊँ ।
गाँव के पास से होकर गुजरते समय मैं स्वयं उसकी सुंदरता का हिस्सा बन जाती हूँ। विभिन्न ऋतुओं में तरह-तरह की फसलों से हरे-भरे खेत बहुत ही सुंदर लगते हैं। गाय, भैंस और बैलों के झुंड जब मेरे ऊपर से गुजरते हैं तो मैं अपना दुख-दर्द भूल जाती हूँ।

मैंने सभी तरह के लोगों को उनकी मंजिल तक पहुँचाया है; कभी कुछ थके-हारे धीमे कदमों की आहट मैंने सुनी है, तो कभी तेजी से चलते हुए उत्साहित कदमों की धमक। चाहे जो भी मेरे ऊपर से होकर गुजरे, मैं सबके दुःख-सुख में उनके साथ शामिल हो लेती हूँ। दुख और सुख तो जीवन में आते-जाते रहते हैं, पर तुम्हें उसकी परवाह न करते हुए चलते रहना चाहिए। चरैवेति-चरैवेति चलते रहो, चलते रहो : – यही हमारे शास्त्रों का संदेश है। अभी-अभी मेरे ऊपर से होकर एक वाहन गुजरा है। क्या तुमने भी उसमें बजता हुआ यह गीत सुना “रुक जाना नहीं, तू कहीं हार के, काँटों पे चल के, मिलेंगे साये बहार के।” मेरा भी संदेश तो यही है।
अभ्यास के प्रश्न
“प्रश्न 1. सड़क बनाने के लिए कौन-कौन सी सामग्री की आवश्यकता होती है?
उत्तर- सड़के बनाने के लिए मिट्टी, पत्थर और डामर की आवश्यकता होती है।
प्रश्न 2. सड़क पर जगह-जगह गड्ढे बनने से क्या होता है?
उत्तर- सड़क पर गड्ढे बनने से उसका स्वरूप बिगड़ जाता है एवं कभी-कभी दुर्घटना होने से लोगों की मौत हो जाती है
प्रश्न 3. सड़क पर स्पीड ब्रेकर क्यों बनाये जाते हैं?
उत्तर- वाहन की गति को धीमी करने हेतु स्पीड ब्रेकर बनाए जाते हैं।
प्रश्न 4. सड़क दुर्घटना से बचने के लिए क्या-क्या उपाय करना चाहिए।
उत्तर- सड़क दुर्घटना से बचाव के लिए वाहन धीमी गति से चलाना चाहिए, यातायात नियमों का पालन करना चाहिए।
प्रश्न 5. सड़क के दोनों ओर छायादार वृक्ष लगाने चाहिए। क्यों?
उत्तर- गर्मी के दिनों में पैदल चलने वालों को इनकी छाया में आराम देने के लिए सड़क के दोनों ओर वृक्ष लगाने चाहिए।
प्रश्न 6. क्या तुम इस बात से सहमत हो कि गाँव- गाँव में सड़कों के विकास होने से जन-जीवन आसान हो गया है। इसकी पुष्टि हेतु तर्क दीजिए।
उत्तर- गाँव-गाँव में सड़कों के विकास से एक स्थान से दूसरे स्थान में आवागमन आसान हो गया एवं व्यापार-व्यवसाय सुलभ हो गया है।
प्रश्न 7. पगडंडी व सड़क में क्या अंतर है?
उत्तर- पगडंडी जिसमें यात्री पैदल चलता है एवं सड़क जिसमें वाहन के द्वारा यात्रा की जाती हैं।
प्रश्न 8. कभी-कभी मेरे इन दुखदायी गड्ढों को भर दिया जाता है, किसी फटे हुए कपड़े में लगी थेगड़ी (पैबंद) की तरह। लेखक ने गड्ढों को भरने की क्रिया को फटे हुए कपड़े में पैबंद लगाने के समान बताया है। इसी प्रकार तुम इनकी तुलना में क्या लिखोगे-
(क) सड़कों पर पड़े कूड़े-करकटों के ढेर के लिए।
उत्तर-सड़कों पर पड़े कूड़े-करकटों के ढेर जैसे उसकी छाती पर पुराने सामान (कबाड़) कोई लाद दिया हो और उसका रूप बिगाड़ दिया हो।
(ख) सड़क के किनारे खड़े हरे-हरे वृक्षों की पंक्तियों के लिए।
उत्तर- सड़क के किनारे खड़े हरे हरे वृक्षों की पंक्तियाँ जैसे उसकी रक्षा के लिए पुलिस तैनात हो।
प्रश्न 9. मान लो सड़क बोल सकती तो वह इनसे क्या कहती? लिखो।
(क) अपने ऊपर कूड़ा फेंकने वालों से।
उत्तर- सड़क कहती कि ओ कूड़ा फेंकने वालों मेरे ऊपर कूड़ा मत फेंकों, क्योंकि तुम्हारे कूड़ा फेंकने से मेरा रूप ही बदल गया है मैं काली-कलूटी हो गई हूँ। थोड़ा मेरे रूप का तो ख्याल करो।
(ख) केले के छिलके पर पैर पड़ने से अपने ऊपर गिरने वाले बालक को सांत्वना देते हुए।
उत्तर- सड़क कहती है कि मेरे प्यारे बालक केले के छिलके कूड़ेदान में फेंको। देखो, आज मैंने तुम्हें बचा लिया कल इसी केले के छिलके से गिरकर तुम्हें गंभीर चोट लग सकती है।
(ग) अपनी छाया से धूप के ताप से शीतल करने वाले वृक्षों से ।
उत्तर- अपनी छाया से धूप के ताप से शीतल करने वाले वृक्षों से सड़क कहती हैं कि मुझे तुम्हारी शीतल छाया में बहुत आराम मिलता है तथा पथिक भी तुम्हारी छाया से आनन्द प्राप्त करते हैं।
प्रश्न 10. सड़क ने स्वयं को अजगर के समान बताया है, तुम इन्हें किसके समान बताओगे ?
(क) एक बहुत ही विकराल, काले-कलूटे, बड़े- बड़े बाल और बड़े-बड़े दाँत वाले आदमी को।
उत्तर- राक्षस ।
(ख) एक बहुत ही बड़े तालाब को ।
उत्तर- झील।
(ग) हरे-भरे वृक्षों, कुटियों के बीच बनी पाठ शाला को ।
उत्तर- गुरुकुल ।
प्रश्न 11. इनमें से अनुपयुक्त को अलग निकालो-
(अ) सड़क जोड़ती है-
(क) गाँव से गाँव को
(ख) गाँव से शहर को
(ग) शहर से शहर को
(घ) शहर से आकाश को।
उत्तर- शहर से आकाश को ।
(ब) सड़क पर हमेशा-
(क) बाँयी ओर चलना चाहिए
(ख) वाहन तेज गति ने नहीं चलाना चाहिए
(ग) कचरा फेंक देना चाहिए
(घ) संकेतों को ध्यान में रखकर चलना चाहिए।
उत्तर-कचरा फेंक देना चाहिए।