जीव जगत : जैविक विविधता और वर्गीकरण

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जैविक विविधता

प्रत्येक प्रकार के पौधे, जंतु अथवा जीव किसी एक जाति (स्पीशीज) का प्रतीक हैं। अब तक की ज्ञात स्पीशीज की संख्या लगभग 1.7 मिलियन से लेकर 1.8 मिलियन तक हो सकती है। हम इसे जैविक विविधता अथवा पृथ्वी पर स्थित जीवों की संख्या तथा प्रकार कहते हैं।

नाम-पद्धति

हम पौधों तथा प्राणियों को उनके स्थानीय नाम से जानते हैं। ये स्थानीय नाम एक ही देश के विभिन्न स्थान के अनुसार बदलते रहते हैं। प्रत्येक जीव का एक मानक नाम होता है, जिससे वह उसी नाम से सारे विश्व में जाना जाता है। इस प्रक्रिया को नाम-पद्धति कहते हैं। अध्ययन को सरल करने के लिए अनेकों वैज्ञानिकों ने प्रत्येक ज्ञात जीव को वैज्ञानिक नाम देने की प्रक्रिया बनाई है।

पौधों के लिए वैज्ञानिक नाम का आधार सर्वमान्य नियम तथा कसौटी है, जिनको इंटरनेशनल कोड ऑफ बोटेनीकल नोमेनकलेचर (ICBN) में दिया गया है। प्राणी वर्गिकीविदों ने इंटरनेशनल कोड ऑफ जूलोजीकल नोमेनकलेचर (ICZN) बनाया है। वैज्ञानिक नाम की यह गारंटी है कि प्रत्येक जीव का एक ही नाम रहे।

द्विपदनाम पद्धति

प्रत्येक नाम के दो घटक होते हैं : वंशनाम तथा जाति संकेत पद। इस प्रणाली को जिसमें दो नाम के दो घटक होते हैं, उसे द्विपदनाम पद्धति कहते हैं। इस नामकरण प्रणाली को कैरोलस लीनियस ने सुझाया था।

आम का वैज्ञानिक नाम मैंजीफेरा इंडिका है। इस नाम में मैंजीफेरा वंशनाम है जबकि इंडिका एक विशिष्ट स्पीशीज अथवा जाति
संकेत पद है।

नाम पद्धति के अन्य सार्वजनिक नियम निम्नलिखित हैं :

जैविक नाम प्रायः लैटिन भाषा में होते हैं और तिरछे अक्षरों में लिखे जाते हैं। इन्हें लैटिनीकरण अथवा इन्हें लैटिन भाषा का व्युत्पन्न समझा जाता है।

जैविक नाम में पहला शब्द वंशनाम होता है वह बड़े अक्षर में होना चाहिए जबकि दूसरा शब्द जाति संकेत पद में छोटा अक्षर होना चाहिए।

वर्गीकरण

वर्गीकरण वह प्रक्रिया है जिसमें कुछ सरलता से दृश्य गुणों के आधार पर सुविधाजनक वर्ग में वर्गीकृत किया जा सके। गुणों के आधार पर सभी जीवों को विभिन्न टैक्सा में वर्गीकृत कर सकते हैं। गुण जैसे प्रकार, रचना, कोशिका की रचना, विकासीय प्रक्रम तथा जीव की पारिस्थितिक सूचनाएं आवश्यक हैं और ये आधुनिक वर्गीकरण अध्ययन के आधार हैं।

वर्गीकरण पद्धति (सिस्टेमेटिक्स)

मानव विभिन्न प्रकार के जीवों के विषय में जानने और उनकी विविधता सहित उनके संबंध में रुचि लेता रहा है। अध्ययन की इस शाखा को वर्गीकरण पद्धति (सिस्टेमेटिक्स) कहते हैं। ‘सिटेमेटिक्स’ शब्द लैटिन शब्द ‘सिस्टेमा’ से आया है जिसका अर्थ है जीवों की नियमित व्यवस्था। लीनियस ने अपने पब्लिकेशन का टाइटल ‘सिस्टेमा नेचर’ चुना।

वर्गिकी संवर्ग

वर्गीकरण एकल सोपान प्रक्रम नहीं है; बल्कि इसमें पदानुक्रम सोपान होते हैं जिसमें प्रत्येक सोपान पद अथवा वर्ग को प्रदर्शित करता है। चूँकि संवर्ग समस्त वर्गिकी व्यवस्था है इसलिए इसे वर्गिकी संवर्ग कहते हैं और तभी सारे संवर्ग मिलकर वर्गिकी पदानुक्रम बनाते हैं। प्रत्येक संवर्ग वर्गीकरण की एक इकाई को प्रदर्शित करता है। वास्तव में, यह एक पद को दिखाता है और इसे प्रायः वर्गक (टैक्सॉन) कहते हैं।

स्पीशीज (जाति)

वर्गिकी अध्ययन में जीवों के वर्ग, जिसमें मौलिक समानता होती है, उसे स्पीशीज कहते हैं। मैंजीफेरा इंडिका (आम) सोलेनम टयूवीरोसम (आलू) तथा पेंथरा लिओ (शेर) के उदाहरण लेते हैं। इन सभी तीनों नामों में इंडिका, टयूबीरोसम तथा लिओ जाति संकेत पद हैं। जबकि पहले शब्द मैंजीफेरा, सोलेनम, तथा पेंथरा वंश के नाम हैं और यह टैक्सा अथवा संवर्ग का भी निरूपण करते हैं।

वंश (जीनस)


वंश समीपस्थ संबंधित स्पीशीज का एक समूह है। उदाहरणार्थ आलू, टमाटर तथा बैंगन; ये दोनों अलग-अलग
स्पीशीज हैं, लेकिन ये सभी सोलेनम वंश में आती हैं। शेर (पेंथरा लिओ), चीता (पेंथर पारडस) तथा (पेंथर टिगरिस) जिनमें बहुत से गुण हैं, वे सभी पेंथरा वंश में आते हैं।

कुल


अगला संवर्ग कुल है जिसमें संबंधित वंश आते हैं। वंश स्पीशीज की तुलना में कम समानता प्रदर्शित करते हैं। कुल के वर्गीकरण का आधार पौधों के कायिक तथा जनन गुण हैं। उदाहरणार्थ; पौधों में तीन विभिन्न वंश सोलेनम, पिटूनिआ तथा धतूरा को सोलेनेसी कुल में रखते हैं। जबकि प्राणी वंश पेंथरा जिसमें शेर, बाघ, चीता आते हैं को फेलिस (बिल्ली) के साथ फेलिडी कुल में रखे जाते हैं।

गण (आर्डर)


प्रायः गण तथा अन्य उच्चतर वर्गिकी संवर्ग की पहचान लक्षणों के समूहन के आधार पर करते हैं। गण में उच्चतर वर्ग होने के कारण कुलों के समूह होते हैं। जिनके कुछ लक्षण एक समान होते हैं। पादप कुल जैसे कोनवोलव्युलेसी, सोलेनेसी को पॉलिसोनिएलस गण में रखा गया है। इसका मुख्य आधार पुष्पी लक्षण है। जबकि प्राणी कारनीवोरा गण में फेलिडी तथा कैनीडी कुलों को रखा गया है।

वर्ग (क्लास)


इस संवर्ग में संबंधित गण आते हैं। उदाहरणार्थ प्राइमेटा गण जिसमें बंदर, गोरिला तथा गिब्बॉन आते हैं, और कारनीवोरा गण जिसमें बाघ, बिल्ली तथा कुत्ता आते हैं, को मैमेलिया वर्ग में रखा गया है।

संघ (फाइलम)

वर्ग जिसमें जंतु जैसे मछली, उभयचर, सरीसृप, पक्षी तथा स्तनधारी आते हैं, अगले उच्चतर संवर्ग, जिसे संघ कहते हैं, का निर्माण करते हैं। इन सभी को एक समान गुणों जैसे पृष्ठरज्जु (नोटोकॉर्ड) तथा पृष्ठीय खोखला तंत्रिका तंत्र के होने के आधार पर कॉर्डेटा संघ में रखा गया है। पौधों में इन वर्गो, जिसमें कुछ ही एक समान लक्षण होते हैं, को उच्चतर संवर्ग भाग (डिविजन) में रखा गया है।

जगत (किंगडम)

जंतु के वर्गिकी तंत्र में विभिन्न संघों के सभी प्राणियों को उच्चतम संवर्ग जगत में रखा गया है। जबकि पादप जगत में विभिन्न भाग (डिविजन) के सभी पौधों को रखा गया है। विभिन्न संघों के सभी प्राणियों को एक अलग जगत एनिमेलिया में रखा गया है जिससे कि उन्हें पौधों से अलग किया जा सके। पौधों को प्लांटी जगत में रखा गया है।

जीव जगत : जैविक विविधता और वर्गीकरण - Notes of important topics


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