रायदेवी प्रसाद पूर्ण का साहित्यिक परिचय
राय देवीप्रसाद जी का जन्म मार्गशीर्ष कृष्ण 13, संवत् 1925 वि. को जबलपुर में हुआ था। इनके पिता का नाम राय वंशीधर था। वंशपरंपरागत ‘राय’ उपाधि इनके पूर्वजों का बादशाही शासनकाल में मिली थी। पूर्ण जी का देहावसान 47 वर्ष की अवस्था में कानपुर में संवत् 1972 में हुआ।
रायदेवी प्रसाद पूर्ण जी की रचनाएँ
पूर्ण जी द्वारा रचित निम्नांकित ग्रंथ उल्लेख हैं –
- स्वदेशी कुंडल (खड़ी बोली में कुंडलियाँ);
- धाराधर धावन (मेघदूत का ब्रजभाषा पद्य में अनुवाद);
- चंद्रकला भानुकुमार (मौलिक सुखांत नाटक);
- राम-रावण-विरोध (चंपू);
- राजदर्शन (सन् 1911 के दिल्ली दरबार के अवसर पर हिंदी-अंगरेजी मिश्रित)
- धर्मकुसुमाकर (सनातन धर्म महामंडल की पत्रिका)
रायदेवी प्रसाद पूर्ण जी का लेखन कला
ब्रजभाषा की कविता का अभ्यास इन्होंने पं॰ ललिताप्रसाद त्रिवेदी ‘ललित’ के सानिध्य में किया था और क्रमश: उसमें उच्च कोटि की सिद्धि प्राप्त की।
रायदेवी प्रसाद पूर्ण जी साहित्य में स्थान
हिंदी साहित्य में ‘पूर्ण’ जी की ख्याति ब्रजभाषा-काव्य-परंपरा के अत्यंत प्रौढ़ और सिद्ध कवि के रूप में है।