चिंतामणि त्रिपाठी जी का साहित्यिक जीवन परिचय
ये यमुना के समीपवर्ती गाँव टिकमापुर या भूषण के अनुसार त्रिविक्रमपुर (जिला कानपुर) के निवासी काश्यप गोत्रीय कान्यकुब्ज त्रिपाठी ब्राह्मण थे। इनका जन्मकाल संo 1666 विo और रचनाकाल संo 1700 विo माना जाता है।कविवर भूषण, मतिराम तथा जटाशंकर (नीलकंठ) के ज्येष्ठ भ्राता थे। चिंतामणि कभी-कभी अपनी रचनाओं में अपना नाम ‘मनिलाल’ और ‘लालमनि’ भी रखते थे।
चिंतामणि त्रिपाठी जी की रचनाएँ
चिंतमणि की अब तक कुल छ: कृतियों का पता लगा है —
(१) काव्यविवेक, (२) कविकुलकल्पतरु, (३) काव्यप्रकाश, (४) छंदविचारपिंगल, (५) रामायण और (६) रस विलास (7) श्रृंगार मंजरी (8) कृष्ण चरित
चिंतामणि त्रिपाठी जी का वर्ण्य विषय
इनकी ‘शृंगारमंजरी’ नामक एक और रचना प्रकाश में आई है, जो तेलुगु लिपि में लिखित संस्कृत के गद्य ग्रंथ का ब्रजभाषा में पद्यबद्ध अनुवाद है। ‘रामायण’ के अतिरिक्त कवि की उक्त सभी रचनाएँ काव्यशास्त्र से संबंधित हैं, जिनमें सर्वोपरि महत्व ‘कविकुलकल्पतरु’ का है।
चिंतामणि त्रिपाठी जी का लेखन कला
संस्कृत ग्रंथ ‘काव्यप्रकाश’ के आदर्श पर लिखी गई यह रचना अपने रचयिता की कीर्ति का मुख्य कारण है।
चिंतामणि त्रिपाठी जी साहित्य में स्थान
चिंतामणि त्रिपाठी हिन्दी के रीतिकाल के कवि हैं।