कोलिहा खोलिस चश्मा दुकान छत्तीसगढ़ी कक्षा चौथी विषय हिन्दी पाठ 8

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कोलिहा खोलिस चश्मा दुकान छत्तीसगढ़ी कक्षा चौथी विषय हिन्दी पाठ 8

जंगल म एक कोलिहा रहय। कोलिहा बड़ चतुरा रहय। एक दिन वो अपन माड़ा
म बइठे-बइठे सोचिस, जंगल म चश्मा के दुकान खोले जाय। जंगल के चिरइ-चुरगुन
अउ छोटे-बड़े जानवर चश्मा बिसाहीं त बड़ कमइ होही।
दूसर दिन वो शहर जाके रकम-रकम के चश्मा ले आनिस अउ बीच जंगल म मउहा तरी
खोल डारिस चश्मा के दुकान।
जंगल के चिरई-चुरगुन अउ जानवर चश्मा बिसाय बर दुकान म आय लागिन। कोलिहा के दुकान म भीड़ लगगे। बेंदरा ल करिया रंग के चश्मा पसंद आइस। भालू ल सफेद चश्मा पसंद आइस अउ हइरना ल लाल।
खरगोस के पसंद सबले निराला राहय।
ओला कोनो चश्मा पसंद नइ आवत रहय, कभू एला पहिर के देखय कभू ओला पहिर के
देखय। कोलिहा कहिथे “तोर सफेद रंग म हरियर चश्मा खुलही, पहिर के देख।”
खरगोस ल कोलिहा के बात जमगे। वो ह हरियर चश्मा ल पसंद कर लिस।

हाथी ल ओखर नाप के चश्मा नइ मिलत रहय। जेने चश्मा ल लगाय तेने छोटे पड़ जाय। ओहा कोलिहा ले कहिस, “कोलिहा भाई, तैं मोर नाप के चश्मा बनवा के ला देबे। पिंवरा रंग के चश्मा लानबे”।

कउँवा अउ मिट्ठू घलो चश्मा बिसाय बर आइन। कउँवा ह करिया रंग के चश्मा ल पसंद करिस अउ मिट्तू ह हरियर। कोलिहा कहिथे, ” ये ठीक हे, जइसन रंग तइसन चश्मा।” फेर एक ठन मुस्कुल खड़े होगे। कउँवा अउ मिट्ठू के कान तो बाहिर कोती निकले नइ रहय। चश्मा के डंडी ल अटकाँय कामें? कोलिहा कहिस- “चश्मा के डंडी म नान-नान सुतरी बाँध लेवव। मुड़ी म अरझात बन जाही।”

कउँवा अउ मिट्तू हा वइसने करिन अउ चश्मा लगा के खुशी-खुशी बिदा होइन। सब के जाय के बाद संझउती-संझउती चश्मा दुकान म घुधुवा पहुँचिस। घुधुवा ह कोलिहा ले कहिथे, “मोर आँखी दिन म चकचकाथे।

मोला अइसन चश्मा देखा जेला पहिर के मैं दिन म देख सकँव।” कोलिहा कहिस, “तैं पहिली गरुड़ डॉक्टर ले अपन आँखी के जाँच करवा के आ। तब तोला चश्मा देहूँ।”

अब जंगल के चिरइ-चुरगुन अउ जानवर मन अपन आँखी म चश्मा चढ़ाय जंगल म
गिंजरँय।
एक दिन बेंदरा ह करिया चश्मा लगाके जात रहिय। रद्दा म ओला एक ठन चिरइजाम के
रूख दिखिस। ओमा झोत्था-झोत्था करिया-करिया चिरइजाम फरे दिखत राहय। बेंदरा बड़ खुश होगे। ओ ह झटकुन पेड़ म चढ़िस अउ चिरइजाम टोर-टोर के खाय लगिस। फेर ओला जाम के स्वाद ह कच्चा चिरइजाम सही लागे।
ओ ह अपन आँखी के चश्मा ल उतार के देखिस। चिरइजाम ह कच्चा रहिस, हरियर-हरियर।
ओ डहर हइरना ह लाल चश्मा पा के बड़ खुस रहय। ओ ह चश्मा लगाय कूदत-नाचत
जात रहय तभे ओला पियास लगिस। ओ ह पानी पिये बर नंदिया तीर पहुँचिस। नंदिया के पानी ओला लाल दिखिस। हइरना डर्रागे, ओ ह पानी पिये बिना लहुटत रहय। तभे ओला सुरता अइस के ओखर आँखी म लाल चश्मा लगे हे। ओ ह चश्मा तुरते उतार के देखिस। नंदिया के पानी बिल्कुल साफ रहय।
खरगोस राजा के तो साने निराला राहय। वो ह हरियर चश्मा लगाके दरपन म अपन मुख
ल देखे अउ खुस होवय। ओला चारों-मुड़ा हरियर-हरियर दिखय। सुक्खा काँदी ह घलो ओला हरियर-हरियर दिखय।
खरगोस ल सुक्खा काँदी ल खावत देखँय त जंगल के दूसर जानवर मन हाँसँय। खरगोश
समझ नइ पाय के ये मन काबर हाँसत हवँय ?
धीरे-धीरे जंगल के सबो जानवर समझगें के चश्मा पहिरना उँखर हित म ठीक नइ हे।
देखा-देखी म कोनो काम नइ करना चाही। सब अपन-अपन चश्मा ल निकाल के फेंक दिन।
कोलिहा के चश्मा दुकान बंद होगे।

प्रश्न 1 खाल्हे लिखाय प्रश्न के उत्तर:

क. कोलिहा ह चश्मा दुकान कहाँ खोलिस?
कोलिहा ह मउहा पेड़ के तरी जंगल म चश्मा दुकान खोलिस।

ख. चश्मा दुकान म संझउती-संझउती कोन पहुँचिस?
संझउती-संझउती घुधुवा चश्मा दुकान म पहुँचिस।


प्रश्न 1.1 अन्य उत्तर:

क. भालू ल कोन रंग के चश्मा पसंद अइस?
भालू ल सफेद रंग के चश्मा पसंद अइस।

ख. खरगोस कोन रंग के चश्मा ल पसंद करिस?
खरगोस ल हरियर रंग के चश्मा पसंद करिस।

ग. कोलिहा ह घुधुवा ले का कहिस?
कोलिहा ह घुधुवा ले कहिस, “तैं पहिली गरुड़ डॉक्टर ले अपन आँखी के जाँच करवा के आ। तब तोला चश्मा देहूँ।”

घ. बेंदरा ल जाम करिया-करिया काबर दिखत राहय?
बेंदरा ल जाम करिया-करिया दिखत रहय काबरकि वो ह करिया चश्मा पहिरे रहय।

ङ. खरगोस ल देख के दूसर जानवर मन काबर हाँसँय?
खरगोस ल सुक्खा काँदी खावत देख के दूसर जानवर मन हाँसँय, काबरकि खरगोस ल हरियर चश्मा लगाय रहय अउ सुक्खा काँदी हरियर-हरियर दिखत रहय।

च. कोलिहा के चश्मा दुकान काबर बंद होगे?
जंगल के सब जानवर समझ गिन के चश्मा पहिरना उँखर हित म ठीक नइ हे। ओमन अपन-अपन चश्मा फेंक दिन, अउ दुकान बंद होगे।


प्रश्न 2 सोंचव अउ लिखव:

क. हाथी ल ओखर नाप के चश्मा काबर नइ मिलिस?
हाथी के आँख बड़े रहय अउ ओकर मुँह के बनावट घलो अलग रहय। दुकानदार कोलिहा ले छोटे-छोटे चश्मा बनवाय रहय, जे हाथी के नाप म फिट नइ हो सकय।

ख. मनखे अपन आँखी म चश्मा काबर लगाथे?
मनखे अपन आँखी के कमजोरी ल दूर करय अउ साफ-साफ देखे बर चश्मा लगाथे।


प्रश्न 3 कोन काकर ले कहिस?

क. “तोर सफेद रंग म हरियर चश्मा खुलही।”
कोलिहा खरगोस ले कहिस।

ख. “ये ठीक हे, जइसन रंग, तइसन चश्मा।”
कोलिहा मिट्ठू अउ कउँवा ले कहिस।

ग. हिरना ह बिना पानी पिये काबर जावत राहय?
हिरना ह लाल चश्मा पहिर के नंदिया ल देखिस, अउ पानी ओला लाल दिखिस। ओ ह डर के मारे बिना पानी पियेच लहुटत रहय।

घ. “मोला अइसन चश्मा देखा, जेला पहिर के मैं दिन म देख सकँव।”
घुधुवा कोलिहा ले कहिस।

घ. “मोला अइसन चश्मा देखा, जेला पहिर के मैं दिन म देख सकँव।”
घुधुवा कोलिहा ले कहिस।

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