दीप जले कक्षा चौथी विषय हिन्दी पाठ 9
दीप जले, दीप जले
द्वार-द्वार दीप जले,
दीप जले गाँव-गाँव,
बगिया की छाँव-छाँव,
द्वारे पै, आँगन में,
धूम मची ठाँव-ठाँव,
आओ रे ! गाओ रे !
ढोलक पै नीम-तले,
दीप जले-दीप जले।
द्वार-द्वार दीप जले।।
नन्हे से दीप ये,
नेह के उजारे हैं।
मावस के चंदा हैं
राह के सहारे हैं।
रात के समुंदर में,
तारों की नाव चले,
दीप जले, दीप जले,
द्वार-द्वार दीप जले,
दानव की हार का,
मानव की जीत का।
दीपों का पर्व है,
जन-जन की प्रीति का।
भेदभाव भूलो रे !
आपस में मिलो गले,
दीप जले, दीप जले।
द्वार-द्वार दीप जले।।