गुरु नानक का जन्म संवत 1526 में तलवंडी नामक गाँव में हुआ। इनके माता-पिता का नाम तृप्ता व कालूराम था। इन का विवाह गुरुदास पूर के मूलचन्द्रखत्री की बेटी सुलक्षणी से सत्रह वर्ष की आयु में हुआ था। इन का दो पुत्र थे- श्रीचन्द और लक्ष्मीचंद ।
गुरु नानक देव जी का साहित्यिक परिचय
बाल्यावस्था में ही उन्हे संस्कृत, पंजाबी, फारसी एवं हिन्दी की शिक्षा प्राप्त हुई थी। वे आरंभ से ही संत सेवा, ईश्वर भक्ति, आत्म चिंतन की ओर उन्मुख रहे। उन्हें रुढि, परम्परांगत जाति बन्धन,
अनाचार, के प्रति विरोध था। उनका व्यक्तित्व असाधारण था। उनमें गृहस्थ, त्यागी,धर्मसुधारक, समाजसुधारक, देशभक्त आदि गुण थे।
गुरु नानक देव जी की रचनाएँ
गुरु नानक देव के बहुत से पद, साखियाँ तथा भजन लिखे हैं। उनका संकलन सिक्खों के छटे गुरु अर्जुन देव ने सन् १६०४ में ‘गुरु ग्रंथ साहिब’ में संकलित किये हैं।
गुरु नानक देव जी की वर्ण्य विषय
“जिन वाणियों से मनुष्य के अंदर इतना बड़ा अपराजेय आत्मबल और कभी समाप्त न होनेवाला साहस प्राप्त हो सकता है, उनकी महिमा नि:संदेह अतुलनीय है। सत्त्वे हदय से निकले हुए भक्त के अत्यंत सीधे उद्गार और सत्य के प्रति दृढ रहने के उपदेश कितने शक्तिशाली हो सकते हैं, यह नानक की वाणियों ने स्पष्ट कर दिया है।”
आचार्य हजारीप्रसाद द्विवेदी
गुरु नानक देव जी का लेखन कला
नानक देव की काव्य भाषा हिन्दी, फारसी और पंजाबी है। उनकी भाषा में सहजता है।
गुरु नानक देव जी साहित्य में स्थान
नानक पन्थ के प्रवर्तक तथा सिक्ख मत के प्रवर्तक गुरु नानक देव आद्य गुरु माने जाते हैं।