जीवों में वृद्धि और प्रजनन

जीवों में वृद्धि और प्रजनन कोशिका विभाजन पर आधारित है। कोशिका विभाजन से बनने वाली पुत्री कोशिकाओं में गुणसूत्रों की संख्या पैतृक कोशिकाओं के समान होती है।

अलैंगिक एवं लैंगिक प्रजनन:

अलैंगिक प्रजनन: विभाजन के बाद गुणसूत्रों की संख्या समान रहती है।

लैंगिक प्रजनन: युग्मकों के निर्माण के समय गुणसूत्रों की संख्या आधी हो जाती है।

युग्मनज निर्माण:

नर और मादा युग्मकों के संलयन से बनने वाले युग्मनज में गुणसूत्रों की संख्या स्थिर रहती है।

यह प्रक्रिया पीढ़ी-दर-पीढ़ी गुणसूत्रों की संख्या को स्थिर बनाए रखती है।

जीवद्रव्य का स्थायित्व:

कोशिका विभाजन के कारण जीवद्रव्य को स्थायित्व मिलता है।

रुडोल्फ विरकोव का योगदान (1858):

उन्होंने कहा कि “सभी कोशिकाएँ पहले से उपस्थित कोशिकाओं से उत्पन्न होती हैं” (Omnis cellula-e-cellula)।

कोशिका चक्र:

कोशिकाएँ परिपक्वता प्राप्त करने के बाद विभाजन के लिए तैयार होती हैं।

यह चक्र जीवन की निरंतरता, वृद्धि, विकास, और प्रजनन बनाए रखता है।

महत्व:

कोशिका विभाजन वृद्धि, विकास, और प्रजनन की प्रक्रियाओं को पूर्ण करने के लिए आवश्यक है।