घी गुड़ और शहद देनेवाला वृक्ष (निबंध) कक्षा 5 हिन्दी

घी गुड़ और शहद देनेवाला वृक्ष

आओ तुम्हारा परिचय घी गुड़ और शहद देनेवाले एक विचित्र वृक्ष से करवाएँ।

घी गुड़ और शहद देनेवाला वृक्ष (निबंध) कक्षा 5 हिन्दी - Notes of important topics

उत्तराखण्ड के पहाड़ी इलाकों में एक ऐसा वृक्ष पाया जाता है जो घी गुड़ तथा शहद देता है। इसके अलावा यह वृक्ष फल औषधि जानवरों के लिए चारा ईंधन और कीड़ों व चूहों को मारने के लिए कीटनाशक भी उपलब्ध कराता है। इस पेड़ के बीजों से घी की तरह का इतना तैलीय पदार्थ निकलता है कि एक अँग्रेज ने इसका नाम ही ‘घी वाला वृक्ष ( इंडियन बटर ट्री) रख दिया। स्थानीय लोग इसे ‘च्यूरा कहते हैं।

घी गुड़ और शहद देनेवाला वृक्ष (निबंध) कक्षा 5 हिन्दी - Notes of important topics

यह अमूल्य वृक्ष कुमाऊँ एवं पिथौरागढ़ जनपद तथा भारत-नेपाल की सीमा पर काली नदी के किनारे 3000 फीट की ऊँचाई तक पाया जाता है। अब वहाँ उसे ज्यादा तादाद में उगाने का प्रयास किया जा रहा है। यह वृक्ष वहाँ की जलवायु में ही पनपता है। अतः वहाँ के लोगों के लिए यह कल्पवृक्ष के समान है। उन इलाकों में लोगों के लिए घी का यही एकमात्र साधन है। जिसके पास फल देने वाले 3-4 च्यूरा वृक्ष होते हैं उसे साल भर बाजार से वनस्पति घी खरीदने की जरूरत नहीं पड़ती। उन वृक्षों से वह गुड़ और शुद्ध शहद भी प्राप्त करता है।

यह वृक्ष छायादार और फैला हुआ होता है। इसके फलने-फूलने का समय अक्टूबर से जनवरी तक होता है। जुलाई-अगस्त में इसके फल पक जाते हैं। पके हुए फल पीले रंग लिए महक से ही मालूम पड़ जाता है कि च्यूरा पकने लगा है। गाँव के लोग इन फलों को बड़े चाव से खाते हैं और एक भी बीज फेंकते नहीं हैं। इस वृक्ष पर फल काफी होते हैं। पके फलों से बीजों को आसानी से इकट्ठा करने के लिए वे कभी-कभी बंदरों एवं लंगूरों को वृक्षों से फल खाने देते हैं।

घी गुड़ और शहद देनेवाला वृक्ष (निबंध) कक्षा 5 हिन्दी - Notes of important topics

बंदर फलों के बाहरी भाग को खाकर बीजों को फेंक देते हैं जिन्हें जमीन से बीनकर इकट्ठा कर लिया जाता है। एक वृक्ष से करीब एक से डेढ़ क्विंटल तक बीज प्रतिवर्ष मिल जाते हैं।

ये बीज स्थानीय लोगों के लिए काफी उपयोगी होते हैं। इन बीजों के छिलके निकालकर अंदर के भाग को धूप में या हल्की आँच पर सुखाकर पीस लिया जाता है और पानी में उबाल लिया जाता है। कुछ देर उबालने के बाद इसे ठंडा होने के लिए रख देते हैं। ठंडा होने पर घी मक्खन की तरह का खाद्य पदार्थ, पानी की सतह पर तैरने लगता है। इसे कपड़े से छानकर अलग कर लिया जाता है। च्यूरा घी देखने में वनस्पति घी की तरह सफेद दिखता है तथा साधारण ताप पर ठोस होता है।

घी गुड़ और शहद देनेवाला वृक्ष (निबंध) कक्षा 5 हिन्दी - Notes of important topics

स्थानीय लोग इसी घी में पूड़ी हलवा एवं अन्य पकवान बनाते हैं जो अत्यंत स्वादिष्ट और हानि रहित होते हैं। यह घी गाय-भैंस के घी से काफी मिलता-जुलता है।

मिट्टी के तेल के अभाव में यह घी जलाने के काम भी आता है। यह बिल्कुल मोमबत्ती की तरह धुआँ रहित जलता है। यही नहीं जाड़ों में जब हाथ-पैर तथा होंठ ठंड से फटने लगते हैं या गठियावात हो जाता है तब स्थानीय लोगों के लिए च्यूरा घी एक अचूक दवा का काम करता है। वे इसी घी को गर्म कर धूप में मालिश करके रोग का उपचार करते हैं।

च्यूरा घी में एक महत्वपूर्ण रसायन होता है जिसे पामेटिक अम्ल कहते हैं। यह रसायन विभिन्न औषधियों तथा सौंदर्यवर्धक रसायनों को बनाने में काम आता है।

घी गुड़ और शहद देनेवाला वृक्ष (निबंध) कक्षा 5 हिन्दी - Notes of important topics

अक्टूबर-नवम्बर के महीनों में जब यह वृक्ष अच्छी तरह पुष्पित हो जाता है तब इसके सफेद फूल मधुमक्खियों के प्रमुख आकर्षण केन्द्र होते हैं। यही कारण है कि पिथौरागढ़ और नेपाल के पास के इलाकों में जहाँ च्यूरा के वृक्ष अधिक होते हैं शुद्ध एवं सुस्वादु शहद हमेशा उपलब्ध होता है। यदि मधुमक्खी पालन गृहों को इन्हीं वृक्षों के पास रखा जाए तो शहद सुगमता से मिल सकता है परन्तु इसके लिए बाकायदा वैज्ञानिक तकनीक अपनानी पड़ेगी ।

घी गुड़ और शहद देनेवाला वृक्ष (निबंध) कक्षा 5 हिन्दी - Notes of important topics

जब ये च्यूरा वृक्ष पुष्पित होते हैं तब स्थानीय लोग इन पर चढ़कर बड़ी सावधानी से डाली को हिलाकर फूलों का रस बर्तन में इकट्ठा कर लेते हैं और इसे छान व उबालकर गुड़ प्राप्त कर लेते हैं। यह गुड़ देखने – खाने में बिल्कुल गन्ने के रस से बने गुड़ जैसा ही होता है। लोग इसे औषधि के रूप में भी प्रयोग में लाते हैं। फूलों के रस से बना यह अनोखा गुड़ नेपाल और पिथौरागढ़ के उन्हीं इलाकों में मिल सकता है जहाँ च्यूरा के वृक्ष होते हैं क्योंकि इसका जितना उत्पादन होता है वह सब स्थानीय स्तर पर ही खप जाता है। हाँ तुम चाहो तो वहाँ जाकर इस अनोखे वृक्ष के घी गुड़ और शहद का लुत्फ उठा सकते हो।

वैज्ञानिकों को इस वृक्ष की ऐसी पौध तैयार करनी चाहिए जिससे यह अन्य क्षेत्रों में भी पर्याप्त मात्रा में उगाया जा सके और इसका बड़े पैमाने पर भरपूर लाभ प्राप्त हो सके ।

प्रश्न और अभ्यास

1. तुम्हारे आस-पास पाए जाने वाले पेड़ों के नाम व इससे संबंधित जानकारी निम्न तालिका में भरों-

उत्तर-

2. पता करो हमारे यहाँ घी या गुड़ कैसे बनाया जाता है?

उत्तर- घी दही से मक्खन निकालकर उसे गर्म करने पर भी प्राप्त होता है। एवं गन्ने के रस से गुड़ बनाया जाता है।

प्रश्न- च्युरा वृक्ष से गाँव वालों को क्या-क्या मिलता है ?

उत्तर- च्युरा वृक्ष से घी, गुड़, शहद, फल, औषधी और जानवरों के लिए चारा पाया जाता है।

प्रश्न 4. च्युरा वृक्ष छत्तीसगढ़ राज्य में क्यों नहीं पाया जाता है ?

उत्तर – च्युरा वृक्ष के उत्पादन के लिए छत्तीसगढ़ को जलवायु एवं तापमान उचित नहीं है।

प्र. च्युरा वृक्ष के बीज स्थानीय लोगों के लिए अत्यधिक उपयोगी है। यदि हाँ तो क्यों?

उत्तर- हाँ। क्योंकि च्युरा के बीज से ही घी बनाया जाता है।

प्रश्न 6. हमारे राज्य में विदशों या अन्य राज्यों से बहुत सारी चीजे आती है किंतु च्युरा वृक्ष से बना गुड़ नहीं आता है। क्यों?

उत्तर- च्युरा वृक्ष से बना गुड़ स्थानीय स्तर पर ही खपाया जाता है इसलिए यह अन्य स्थान पर नहीं पाया जाता है।

गतिविधि-

प्रश्न 1. कथ, वर्ण और लिख के साथ इत लगाकर एक-एक नया शब्द बनाओ।

उत्तर- कथ + इत् कथित

वर्ण + इत् = वर्णित

लिख + इत् = लिखित

प्रश्न 2. सु + जोड़कर कोई दो नए शब्द बनाओ उनके अर्थ लिखो और वाक्यों में प्रयोग करो।

उत्तर- सु + गम= सुगम -जहाँ पहुँचना सरल हो।

वाक्य- नेपाल तक पहुँचना सुगम है।

सु+मन= सुमन -फूल।

वाक्य-बगीचे में तरह-तरह के सुमन खिले हुए है।

प्रश्न 3. रहित और सहित जोड़कर भी दो-दो नए शब्द बनाओ और उनका अपने वाक्यों में प्रयोग करो।

उत्तर— बाढ़ + रहित= बाढ़रहित- जहाँ बाढ़ नहीं आती।

वाक्य- छत्तीसगढ़ बाढ़रहित इलाका है।

धुआँ + रहित = धुआँरहित-बिना धुँए के।

वाक्य- च्यूरा घी धुआँ रहित जलता है।

परिवार +सहित =परिवारसहित- परिवार के साथ।

वाक्य- हम लोग परिवारसहित पूरी घूमने गये थे।

बस्ता + सहित = बस्तासहित ।

वाक्य- बच्चे बस्तासहित स्कूल पढ़ने आते हैं।

प्रश्न 4. तीन ऐसे वाक्य लिखो जिनमें अलग-अलग व्यक्तिवाचक, जातिवाचक और भाववाचक संज्ञा का प्रयोग हुआ है।

1. हमारे देश का नाम भारत है।

2. डॉक्टर रोगी का इलाज करता है।

3. आम की मधुरता और नीम की कड़वाहट को कौन नहीं जानता।

ऊपर लिखे वाक्यों में भारत व्यक्तिवाचक संज्ञा है। डॉक्टर जातिवाचक संज्ञा है। मधुरता एवं कड़वाहट भाववाचक संज्ञा

है।

प्रश्न 5. किन्हीं दो शब्दों को उनके रूप न बदलते हुए एकवचन और बहुवचन में दो-दो वाक्यों में प्रयोग करो।

उत्तर- (क ) जनता-जनता ने आपकी बात सुनी। आप भी जनता की बातें सुनिये।

पहले वाक्य में जनता शब्द एक वचन में है।दूसरे वाक्य में -जनता शब्द बहुवचन में है।

(ख) वनवास – श्रीराम ने चौहद वर्ष का वनवास काटा।

Leave a Comment