भारतीय गणतंत्र की स्थापना कक्षा 8 सामाजिक विज्ञान भाग 1 इतिहास
द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद इंग्लैंड यह समझ चुका था कि अब भारत में उसका राज नहीं चलेगा। इसलिए वहाँ के तत्कालीन प्रधानमंत्री एटली को 1946 ई. में घोषणा करना पड़ा कि वे जल्दी ही भारत छोड़ना चाहते हैं। फिर उन्होंने सत्ता हस्तांतरण के संबंध में भारतीय नेताओं से बातचीत करने का विचार किया। उन्होंने अपने केबिनेट के तीन मंत्रियों को अंतरिम सरकार बनाने और संविधान गठित करने का प्रस्ताव रखा। प्रस्ताव में कहा गया कि संविधान सभा में प्रांतीय विधान सभाओं द्वारा चुने हुए व्यक्ति और भारतीय रियासतों के राजाओं द्वारा मनोनीत व्यक्ति शामिल होंगे। इसे केबिनेट मिशन कहते हैं।
अंतरिम सरकार की स्थापना –
वायसराय लार्ड वेवेल के आमंत्रण पर केंद्र में पं. जवाहर लाल नेहरू के नेतृत्व में एक अंतरिम सरकार 1946 ई. में बनी। इसके अलावा डॉ. राजेन्द्र अंतरिम सरकार के सदस्यप्रसाद की अध्यक्षता में संविधान सभा का गठन हुआ, जिसने दिसम्बर 1946 ई. में अपना काम शुरू कर दिया। लेकिन मुस्लिम लीग तथा राजाओं ने उसमें भाग नहीं लिया था ।
लीग द्वारा पाकिस्तान की माँग
मुस्लिम लीग पृथक पाकिस्तान की माँग पर अड़ी हुई थी। लेकिन कॉंग्रेस शुरू से ही भारत का विभाजन नहीं चाहती थी। किंतु लीग अपनी माँग पर जोर देने लगी। वह पहले अंतरिम सरकार में भी शामिल नहीं हुई थी, मगर बाद में शामिल होकर उसके कार्यों में बाधा पहुँचाने लगी।
लीग की सीधी कार्यवाही दिवस
अब मुस्लिम लीग हर कीमत पर पाकिस्तान चाहने लगी इसलिए उसने 16 अगस्त 1946 ई. को सीधी कार्यवाही दिवस’ घोषित किया जिसके कारण बंगाल, बिहार, बंबई आदि स्थानों में सांप्रदायिक दंगे भड़क उठे। इन दंगों से हिन्दू-मुस्लिम में भयंकर मारकाट मच गई। इन दंगों को रोकने के लिए अँग्रेजों ने कोई विशेष प्रयास नहीं किया। इस प्रकार कुछ ही महीनों में बहुत से लोग मारे गए और लाखों लोग बेघर हो गए। परंतु इस समय छत्तीसगढ़ में किसी प्रकार का दंगा फसाद नहीं हुआ, क्योंकि यहाँ शांति स्थापित थी जो यहाँ की जनता के भाईचारा का प्रतीक है।
साम्प्रदायिक दंगों से गांधी जी अत्यंत दुखी हुए। उन्होंने दंगाग्रस्त क्षेत्रों का दौरा किया और शांति स्थापना के प्रयास किए।
माउंटबेटन योजना
अराजकता के ऐसे वातावरण में मार्च 1947 ई. में लार्ड माउंटबेटन नए वायसराय बनकर भारत आए । उन्होंने दोनों सम्प्रदायों के प्रमुख नेताओं से बातचीत की। इसके पश्चात् उन्होंने भारत का विभाजन कर दो स्वतंत्र राष्ट्रों – भारत और पाकिस्तान निर्माण की योजना प्रस्तुत की ।
भारत विभाजन –
काँग्रेस शुरू से ही भारत की एकता और अखंडता चाहती थी मगर उसने हिंदू-मुस्लिम के आपसी झगड़े का अंत करने के लिए भारत विभाजन को न चाहते हुए भी स्वीकार कर लिया इस प्रकार पश्चिम पंजाब, पूर्वी बंगाल, सिंध और पश्चिमोत्तर सीमा प्रांत को मिलाकर पाकिस्तान का पृथक राष्ट्र बना।
अखंड भारत का विभाजन भारतीयों के लिए अत्यंत दुःखद घटना थी। विभाजन के बाद भी विभिन्न स्थानों में हिंदू-मुस्लिम दंगे हुए, विशेषकर पंजाब और बंगाल में ये दंगे अविश्वास का वातावरण बनाते हैं। इनसे धन और जन की हानि होती है। ये समाज के विकास में बाधक होते हैं। इसलिए विभिन्न धर्मों के लोगों को हमेशा मिलजुलकर रहना चाहिए।
भारत विभाजन से कई आर्थिक समस्याएँ भी पैदा हुईं। जूट और सूती कपड़े के अधिकांश कारखाने भारत में रह गये। मगर जूट और कपास उत्पादन के अधिकांश क्षेत्र पाकिस्तान में चले गये । इससे जूट और सूती कपड़े के कई कारखाने बंद हो गए। गेहूँ चावल और सिंचाई के अधिकांश क्षेत्र पाकिस्तान के क्षेत्र में चले गए इससे कुछ दिनों तक भारत में अन्न का अभाव भी रहा।
अ. भारतीय स्वतंत्रता अधिनियम
माउंटबेटन योजना के आधार पर भारतीय स्वतंत्रता अधिनियम इंग्लैंड के संसद द्वारा 18 जुलाई 1947 ई. को पारित किया गया। इसमें व्यवस्था थी कि 15 अगस्त 1947 ई. को भारत और पाकिस्तान दो स्वतंत्र राष्ट्रों का रूप ग्रहण करेंगे। इसके बाद उन पर इंग्लैंड का कोई अधिकार नहीं रहेगा ।
स्वतंत्रता की घोषणा
14 अगस्त की आधी रात के बाद जब 15 अगस्त 1947 ई. की तारीख शुरू हुई। तब पं. जवाहर लाल नेहरू ने भारत के स्वतंत्रता की घोषणा करते हुए कहा “भारत में जीवन और स्वतंत्रता का उदय हुआ” । संविधान सभा स्वतंत्र भारत की संसद के रूप में काम करने लगी। हमारे स्वतंत्र भारत के पहले प्रधान मंत्री पं. जवाहर लाल नेहरू और प्रथम गवर्नर जनरल लार्ड माउंट बेटन बने। पं. जवाहर लाल नेहरू लाल किले पर स्वतंत्र भारत का तिरंगा झंडा फहराया गया। संपूर्ण देश के साथ-साथ छत्तीसगढ़ के रायपुर में भी तत्कालीन खाद्य मंत्री आर. के. पाटिल ने तिरंगा झंडा फहराया। इस प्रकार नए भारत के निर्माण का कार्य शुरू हो द्वारा 15 अगस्त की सुबह दिल्ली के लार्ड माउंट बेटन द्वारा पं. नेहरू को स्वतंत्र भारत के प्रधान मंत्री की शपथ दिलाते हुए।
ब. देशी रियासतों-रजवाड़ों का विलय –
स्वतंत्र भारत के सामने कई तात्कालिक कार्य थे। पहला कार्य था देश में राजनीतिक एकता स्थापित करना। 1947 में अंग्रेजों द्वारा सीधे तौर पर शासित होनेवाले इलाकों के अलावा करीब 550 से ज्यादा स्वतंत्र देशी रियासतें थीं, जहाँ अँग्रेजों का शासन नहीं था। स्वतंत्रता की घोषणा के समय यह व्यवस्था हुई थी कि इंग्लैंड से भारत के स्वतंत्र होने के साथ-साथ सभी देशी रियासतें भी स्वतंत्र हो जाएंगी। यह निर्णय इनके हाथ में था कि ये स्वतंत्र रहेंगी अथवा भारत या पाकिस्तान में से किसी एक के साथ रहेंगी। लेकिन इन रियासतों के स्वतंत्र बने रहने से भारत की एकता एवं सुरक्षा खतरे में पड़ जाती। इसलिए देशी रियासतों के विलय का कार्य तत्कालीन गृह मंत्री सरदार वल्लभ भाई पटेल को सौंपा गया। सरदार पटेल छत्तीसगढ़ के रियासतों के विलय हेतु दिसंबर 1947 ई. में नागपुर भी आए। उनके समझाए जाने से यहाँ के कुल 14 रियासतों का भारत में विलय हो गया। कवर्धा, सक्ती एवं छुईखदान का विलय वहाँ के जन आंदोलन के बाद हुआ। इस प्रकार सरदार पटेल की सूझबूझ के कारण भारत की कुल 562 देशी रियासतों में से अधिकांश रियासतों ने स्वतंत्रता पूर्व ही भारत में विलय स्वीकार कर लिया था। इसी सूझबूझ के कारण उन्हें ‘लौह पुरुष’ कहा जाता है। अब उनके सामने जूनागढ़, कश्मीर और हैदराबाद का विलय शेष था ।
1. जूनागढ़ का विलय –
जूनागढ़ सौराष्ट्र की एक छोटी-सी रियासत थी वहाँ का नवाब पाकिस्तान में शामिल होना चाहता था। परंतु जूनागढ़ की जनता भारत में शामिल होना चाहती थी। अतः जनता के दबाव के कारण नवाब पाकिस्तान भाग गया। इस प्रकार फरवरी 1948ई. में जूनागढ़ भारत में विलीन हो गया।
2. कश्मीर का विलय –
कश्मीर रियासत के राजा हरिसिंह ने स्वतंत्र रहने का निर्णय लिया था परंतु वहाँ की जनता शेख अब्दुल्ला के नेतृत्व में भारत में विलय की माँग कर रही थी। जब स्वतंत्रता के तुरंत बाद पाकिस्तान के प्रोत्साहन से सशस्त्र घुसपैठियों ने कश्मीर पर आक्रमण किया। तब राजा हरिसिंह ने कश्मीर के भारत में विलय के समझौते पर हस्ताक्षर कर दिए। फिर भारतीय सैनिकों की मदद से उन घुसपैठियों को कश्मीर से खदेड़ दिया गया।
3. हैदराबाद का विलय –
हैदराबाद का निजाम पाकिस्तान के बहकावे में आकर स्वतंत्र ही रहना चाहता था परंतु वहाँ की जनता स्वामी रामानंद तीर्थ के नेतृत्व में हैदराबाद का भारत में विलय की माँग कर रही थी। इनकी माँग को दबाने के लिए निजाम द्वारा उन पर अनेक अत्याचार किये गये। अंततः भारतीय सैनिकों द्वारा निजाम के विरुद्ध कार्यवाही शुरू की गई और हैदराबाद रियासत भारत में विलीन हो गई।
स. नए संविधान का निर्माण
संविधान प्रारूप समिति के अध्यक्ष डॉ. भीमराव अम्बेडकर द्वारा स्वतंत्र भारत के लिए नए संविधान के प्रारूप बनाने का कार्य 26 नवम्बर 1949 ई. को अंतिम रूप प्रदान किया गया। मगर इसे 26 जनवरी 1950ई. को लागू किया गया। इस प्रकार भारत एक सम्पूर्ण प्रभुत्वसंपन्न गणतंत्र राष्ट्र बन गया। इसलिए तब से यह दिन गणतंत्र दिवस के रूप में मनाया जाता है।
राष्ट्रीय आंदोलन के दौरान भारतीयों ने स्वतंत्रता, समानता, बंधुत्व, मानवता तथा लोकतंत्र के राष्ट्रीय मूल्यों को स्वीकार किया था। इन्हें हमारे संविधान में महत्व दिया गया हमारे संविधान में भारत के सांस्कृतिक मूल्यों के आधार पर नियमों का संकलन किया गया, जिसके अनुसार शासन चलाया जाता है।
अभ्यास प्रश्न
प्रश्नों के उत्तर दीजिए
- 1. केबिनेट मिशन क्या है ?
- 2. अंतरिम सरकार की स्थापना कैसे हुई ?
- 3. माउंटबेटन योजना क्या है ?
- 4. भारतीय स्वतंत्रता अधिनियम क्या है ?
- 5. देशी रियासतों का विलय क्यों किया गया?
- 6. भारतीय गणतंत्र की स्थापना किन परिस्थितियों में हुई ?
टिप्पणी लिखिए –
- क. लीग की सीधी कार्यवाही ।
- ख. भारत विभाजन ।
- ग. भारतीय संविधान का निर्माण ।
याद रखने योग्य महत्वपूर्ण बातें
- 15 अगस्त, सन् 1947 को भारत को आजादी मिली ।
- पं. जवाहर लाल नेहरू स्वतंत्र भारत के पहले प्रधानमंत्री व बाबू राजेन्द्र प्रसाद देश के प्रथम राष्ट्रपति थे ।
- भारत के अंतिम वायसराय लार्ड माउंट बेटन थे।
- छत्तीसगढ़ के रायपुर में तत्कालीन खाद्य मंत्री आर. के. पाटिल ने तिरंगा झण्डा फहराया। *
- सन् 1947 में भारत में शामिल राज्यों के अथवा 550 स्वतंत्र रियासते थीं। * सभी रियासतों को भारतीय गणतंत्र में शामिल करने में सरदार वल्लभभाई पटेल को सफलता मिली।
- मैं सरदार वल्लभभाई पटेल को लौहपुरुष के नाम से जाना जाता है।
- फरवरी, सन् 1948 को जूनागढ़ का विलय हुआ था।
- जूनागढ़, कश्मीर का विलय, हैदराबाद के विलय की समस्या प्रमुख थी।
- संविधान प्रारूप समिति के अध्यक्ष डॉ. भीमराव अम्बेडकर थे।
- 26 नवम्बर, सन् 1949 में संविधान के निर्माण कार्य को पूरा कर लिया गया। लेकिन 26 जनवरी, सन् 1950 को देश में लागू किया गया।
अभ्यास प्रश्न
प्रश्न 1 खाली स्थान भरिए-
1. सत्ता हस्तांतरण सम्बन्धी तीन ब्रिटिश मंत्रियों की समिति को ……….कहते हैं।
2. केन्द्र में अंतरिम सरकार का गठन …………..के नेतृत्व में हुआ था।
3. संविधान सभा (संविधान निर्मात्री समिति) के अध्यक्ष……… थे।
4. संविधान प्रारूप समिति के अध्यक्ष …………..थे।
5. भारत की स्वतंत्रता के समय इंग्लैण्ड के प्रधानमंत्री………..थे।
6. ब्रिटिश भारत का अंतिम वायसराय………….थे।
7. स्वतंत्र भारत के प्रथम गवर्नर जनरल ……… थे.
8. स्वतंत्र भारत के प्रथम प्रधानमंत्री………….थे
9. ………………को भारत का लौह पुरुष कहा जाता है।
उत्तर- 1. केबिनेट मिशन, 2. पण्डित जवाहर लाल नेहरू, 3. डॉ. राजेन्द्र प्रसाद, 4. डॉ. भीमराव अम्बेडकर, 5. एटली, 6. लार्ड माउंट बेटन, 7. लार्ड माउंट बेटन, 8. पंडित जवाहरलाल नेहरू, 9. सरदार वल्लभ भाई पटेल ।
प्रश्न 2. सही संबंध जोड़िए-
1. सीधी कार्यवाही दिवस | (क) 26 नवम्बर 1949 |
2. स्वतंत्रता दिवस | (ख) 16 अगस्त 1946 |
3. संविधान के प्रारूप को अंतिम रूप | (ग) 26 जनवरी 1950 |
4. गणतंत्र दिवस | (घ) 15 अगस्त 1947 |
उत्तर- 1. (ख), 2. (घ), 3. (क), 4. (ग)।
प्रश्न 3. तिथियों के योजनाओं को उचित क्रम में लिखिए-
माउंट बेटन योजना, केबिनेट मिशन योजना, भारतीय स्वतंत्रता अधिनियम ।
उत्तर-(1) केबिनेट मिशन योजना, (2) माउंट बेटन योजना, (3) भारतीय स्वतंत्रता अधिनियम ।
प्रश्न 4. प्रश्नों के उत्तर दीजिए-
(1) केबिनेट मिशन क्या है ?
उत्तर- सन् 1946 में इंग्लैण्ड के तत्कालीन प्रधानमंत्री एटली ने भारत को स्वतंत्र करने का विचार किया। वह चाहता था कि भारत शीघ्र आजाद हो और इस उद्देश्य की पूर्ति के लिए उसने एक तीन सदस्यीय समिति को भारतीय नेताओं से बातचीत कर उपस्थित समस्याओं को दूर करने के सुझाव देने का दायित्व सौंपा। इस प्रस्ताव में यह भी कहा गया था कि संविधान सभा में प्रांतीय विधान सभाओं द्वारा चुने गए व्यक्ति और भारतीय रियासतों के राजाओं द्वारा मनोनीत व्यक्ति शामिल होंगे। इसे केबिनेट मिशन कहते हैं।
(2) अंतरिम सरकार की स्थापना कैसे हुई ?
उत्तर – गवर्नर जनरल वेवेल के आमंत्रण पर केन्द्र पर सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी कांग्रेस के नेता पं. जवाहर लाल नेहरू ने सरकार का गठन किया। अंतरिम सरकार में पहले तो मुस्लिम लीग शामिल नहीं हुई थी और जब शामिल हुई तो उसने सरकार के कार्यों में बाधा उत्पन्न करना शुरू कर दिया। इसके अलावा डॉ. राजेन्द्र प्रसाद की अध्यक्षता में संविधान सभा का गठन हुआ, जिसने दिसम्बर, सन् 1946 से अपना काम शुरू कर दिया लेकिन मुस्लिम लीग तथा राजाओं ने उसमें भाग नहीं लिया।
(3) माउंट बेटन योजना क्या है ?
उत्तर- लार्ड माउंट बेटन मार्च सन् 1947 को वायसराय बनकर भारत आए। वे देश की स्वतंत्रता की योजना को अंतिम रूप देने आये थे। उस समय भारत धार्मिक (साम्प्रदायिक) अराजकता की दौर से गुजर रहा था। लार्ड माउंट बेटन ने कांग्रेस और मुस्लिम लीग के शीर्ष नेताओं से लम्बी बातचीत की लेकिन समझौता का कोई आसार नजर नहीं आया तो अंत में उसने भारत-विभाजन की सिफारिश कर दी। इस योजना को माउंट बेटन योजना के नाम से जाना जाता है।
(4) भारतीय स्वतंत्रता अधिनियम क्या है ?
उत्तर – लार्ड माउंट बेटन की सिफारिश पर इंग्लैण्ड की संसद द्वारा 18 जुलाई, सन् 1947 को एक प्रस्ताव पारित किया। गया। इस अधिनियम को ही भारतीय स्वतंत्रता अधिनियम कहा जाता है। इस अधिनियम की मुख्य बातें निम्न हैं-
(1) भारत तथा पाकिस्तान के रूप में दो स्वतंत्र राज्यों का निर्माण।
(2) दोनों को अपना संविधान निर्माण की स्वतंत्रता।
(3) दोनों देश चाहे तो राष्ट्र मण्डल के सदस्य रहे।
(4) भारत सचिव पद की समाप्ति।
(5) ब्रिटिश शासन का अंत ।
(6) नये संविधान बनने तक 1935 अधिनियम लागू ।
(7) दोनों देशों से इंग्लैण्ड की सभी पुरानी संधि समाप्त।
(8) दोनों को गवर्नर जनरल चुनने की स्वतंत्रता।
(5) देशी रियासतों का विलय क्यों किया गया ?
उत्तर भारतीय स्वतंत्रता अधिनियम 1947 के अनुसार भारत को आजादी मिली, साथ ही भारत का विभाजन भारत और पाकिस्तान नामक दो राज्यों में हो गया। उस समय देश में लगभग 550 से ज्यादा स्वतंत्र रियासतें थीं। उनके विषय में यह प्रावधान किया गया था कि वे चाहें तो दोनों में से किसी भी राज्य में शामिल हो सकते हैं भारतीय राजनेता देश के विभाजन का दंश तो झेल चुके थे और अब वे भारत को छोटे-छोटे टुकड़ों में बँटता नहीं देख सकते थे। यदि ये रियासतें स्वतंत्र राज्य बन जाती तो इससे भारतीय सुरक्षा को खतरा भी उत्पन्न हो जाता। अतः भारत की एकता और अखण्डता को अक्षुण्ण बनाए रखने के लिए देशी रियासतों का विलय आवश्यक था। भारत में रियासतों के विलय की जिम्मेदारी दबंग नेता सरदार वल्लभ भाई पटेल के मजबूत कंधे पर सौंपी गई।
(6) भारतीय गणतंत्र की स्थापना किन परिस्थितियों में हुई?
उत्तर – समस्याएँ
1. शरणार्थियों की समस्या- पाकिस्तान से हिन्दुओं तथा अन्य जातियों को भगाया गया। ये सब भारत आये। इन्हें बसाना बड़ी समस्या थी।
2. रोजगार की समस्या-पाकिस्तान से आये लोगों के पास रोजी-रोटी का कोई साधन नहीं था। भारत के सामने रोजगार को समस्या उत्पन्न हो गई।
3. आर्थिक समस्या – भारत-पाक बँटवारे के कारण कई उद्योग पाकिस्तान में चले गये, कई कारखाने बन्द हो गये। मजदूर बेकार हो गये। भारत की अर्थव्यवस्था लड़खड़ा गई।
4. भोजन की समस्या – विभाजन के बाद गेहूं और चावल उत्पन्न करने वाला एक विस्तृत क्षेत्र पाकिस्तान में चला गया। इससे अन्न संकट उत्पन्न हो गया।
5. परिवहन व्यवस्था की समस्या देश विभाजन के कारण परिवहन व्यवस्था अस्त-व्यस्त हो गई।
6. कश्मीर समस्या- पाकिस्तान ने कश्मीर पर आक्रमण कर दिया। कश्मीरी भारत में मिलना चाहते थे। कश्मीर में सेना भेजी गई और कश्मीर भारत का अभिन्न अंग बन गया।
7. देशी राज्यों की समस्या- भारत की स्वतंत्रता के साथ 500 से भी अधिक देशी रियासतें भी स्वतन्त्र हो गईं। इन रियासतों को भारत संघ में शामिल किये बिना भारत की स्वतन्त्रता अधूरी थी।
प्रश्न 5.टिप्पणी लिखिए-
(क) लीग की सीधी कार्यवाही
(ख) भारत विभाजन
(ग) भारतीय संविधान का निर्माण।
उत्तर- (क) लीग की सीधी कार्यवाही- मुस्लिम लीग अलग राज्य के रूप में पाकिस्तान चाहती थी और कांग्रेस भारत का विभाजन हर हाल में रोकना चाहती थी। 19 अगस्त, सन् 1946 को मुस्लिम लोग की यह अलगाववादी भावना परवान चढ़ गई और उसने ‘सीधी कार्यवाही दिवस की घोषणा कर दी। इस घोषणा के बाद पूरे देश में साम्प्रदायिक दंगे भड़क उठे। बंगाल, बिहार, मुम्बई और कई राज्यों में हिन्दू-मुसलमान आपस में मरने-मारने लगे। पूरे देश में साम्प्रदायिकता का तांडव होने लगा। हजारों निर्दोष लोग अकारण मारे गए लेकिन न ही मुस्लिम लीग ने इसका विरोध किया और न ही सरकार द्वारा इसे रोकने का प्रयास किया गया। यह दंगा महीनों चलता रहा जिसमें लाखों की जानें गई और अरबों की सम्पत्ति जल कर खाक हो गई।
(ख) भारत-विभाजन- भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस प्रारंभ से ही भारत विभाजन के पक्ष में नहीं थी। पर मोहम्मद अली जिन्ना की कट्टरता और देश में भड़कती हिंसा और अपार धन- जन की हानि ने उन्हें भारत विभाजन को स्वीकार करने के लिए मजबूर किया। महात्मा गाँधी ने विवश होकर कहा कि “शरीर के किसी अंग में यदि असाध्य रोग हो जाय तो उस अंग को काटकर फेंक देना चाहिए।” स्पष्ट था कि कांग्रेस ने लाचारी की स्थिति में भारत विभाजन को स्वीकार किया और अखण्ड भारत, पाकिस्तान और भारत के रूप में दो खण्ड हो गया। पश्चिम पंजाब, पूर्वी बंगाल, सिंध और पश्चिमोत्तर सीमा-प्रांत को मिलाकर पाकिस्तान बना। शेष भारत, भारतदेश बना।
(ग) भारतीय संविधान का निर्माण – डॉ. राजेन्द्र प्रसाद की अध्यक्षता में भारतीय संविधान के निर्माण के लिए एक समिति गठित की गई, जिसका नाम संविधान सभा था। इस सभा में संविधान प्रारूप समिति गठित की गई, जिसके अध्यक्ष डॉ. भीमराव अम्बेडकर थे। इस समिति ने दिसम्बर, सन् 1946 में अपना कार्य आरम्भ किया और नये संविधान का प्रारूप 26 नवम्बर सन् 1949 को बनकर तैयार हो गया। लेकिन इसे 26 जनवरी सन् 1950 को पूरे देश में लागू किया गया। इस प्रकार हमारा देश सम्पूर्ण प्रभुत्व गणराज्य बन गया। इस दिन की याद में हम प्रत्येक वर्ष 26 जनवरी को राष्ट्रीय पर्व (गणतंत्र दिवस) के रूप में मनाते हैं।