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डॉ जगदीश चन्द्र बोस कक्षा चौथी विषय हिन्दी पाठ २३

डॉ जगदीश चन्द्र बोस कक्षा चौथी विषय हिन्दी पाठ २३

सूर्य अस्त हो रहा था। चिड़ियाँ चहकती हुई अपने-अपने घोंसलों में लौट रही थीं। ठंडक
बढ़ती जा रही थी। गरम स्वेटर, मोजे, हॉफ पैण्ट पहने, हाथ में एक बेंत लिए विक्की अपने घर के बगीचे में टहल रहा था। वह कभी किसी पेड़ पर अपना बेंत जमा देता, कभी किसी फूलदार पौधे को झकझोर देता। उसके दादा जी बरामदे में बैठे चाय का घूँट ले रहे थे। उनकी दृष्टि विक्की की ओर ही थी। उसे पेड़-पौधों में उलझा देखकर वे बोले, “विक्की, अब इधर आ जाओ।
पौधों को मत छेड़ो। यह उनके आराम करने का समय है।”
विक्की ने कहा, “वाह दादा जी! आपने खूब कहा। मानो पेड़-पौधे भी सचमुच आराम
करते हैं, सोते हैं।”
“हाँ, वे सचमुच आराम करते हैं, रात को सोते भी हैं और प्रातः जाग जाते हैं”. दादा जी
ने विक्की को समझाया।
“दादा जी, यह आपने नई बात बताई। भला पेड़-पौधे भी कहीं सोते हैं! आपने कैसे जाना कि पेड़-पौधे सोते हैं ? वे तो रात को भी हिलते-डुलते रहते हैं। सोनेवाला आदमी तो हिलता-डुलता नहीं।”
“अच्छा, यहाँ आओ। मैं तुम्हें इसकी कहानी सुनाता हूँ”- दादा जी ने विक्की से कहा।
विक्की को कहानी सुनने का बड़ा शौक था। वह तुरंत आकर दादा जी की गोद में बैठ
गया।

“अब सुनाइए कहानी-” वह दादा जी से बोला।

दादा जी ने चाय का प्याला रख दिया। वे एक हाथ से उसकी पीठ सहलाते हुए कहानी
कहने लगे। “उस समय अपना देश बहुत बड़ा था। तब बांग्लादेश भी भारत का भाग हुआ करता था। बांग्लादेश की राजधानी ढाका है। ढाका के पास एक गाँव है, राढ़ीरवाल। वहाँ एक डिप्टी कलेक्टर के घर एक बालक का जन्म हुआ। उसका नाम रखा गया जगदीश चंद्र। जगदीश की पाठशाला में किसानों के बच्चे खेती-बाड़ी और पेड़-पौधों के बारे में अकसर बातें करते रहते थे।
इस कारण बचपन में ही जगदीश चंद्र की रुचि पेड़-पौधों में हो गई।”
“बचपन में जगदीश ने देखा कि छुईमुई नाम के पौधे की पत्तियाँ हाथ लगाते ही सिकुड़
जाती हैं और थोड़ी देर के बाद वे पुनः खिल जाती हैं। सूरजमुखी नाम के पौधे के फूल का मुँह सदैव सूरज के सामने होता है। इस बालक ने बड़े होकर पेड़-पौधों पर बहुत-से प्रयोग करके यह सिद्ध कर दिया था कि पेड़-पौधे भी हम सबकी तरह सोते, जागते हैं। उन्हें भी भोजन और पानी चाहिए। वे भी सुखी और दुखी होते हैं। वे भी रोते हैं।”
“दादा जी, आप तो जगदीश चंद्र बोस के बारे में पूरी बातें बताइए।” विक्की ने मचलते हुए कहा।
“अच्छा, तो सुनो। जगदीश चंद्र जब छोटे थे तो रोते बहुत थे- तुम्हारी तरह।”, दादा जी
ने हँसते हुए कहा।
“मैं कहाँ रोता हूँ।”- विक्की बोला।
“तुम्हें क्या पता ? तुम तो तब बहुत छोटे थे। खैर! उसके माता-पिता ने उसके लिए एक
तरकीब सोची। रात में जैसे ही वे रोना शुरू करते, वैसे ही ग्रामोफोन पर कोई गाना बजा दिया जाता था। गाना सुनते ही बालक जगदीश का रोना बंद हो जाता था और वह सो जाता था।
जगदीश चंद्र की प्रारंभिक शिक्षा गाँव में ही हुई। पाठशाला के आसपास खूब पेड़-पौधे थे। बालक जगदीश का उनसे खूब लगाव हो गया था। गाँव की पढ़ाई पूरी होने पर जगदीश को आगे की शिक्षा के लिए कोलकाता भेज दिया गया। वे पढ़ने में बहुत होशियार थे, जैसे तुम हो।”
विक्की यह सुनकर बहुत खुश हो गया। “फिर क्या हुआ?”- उसने पूछा ।
“जब कोलकाता में उसने पढ़ाई पूरी कर ली, उसे आगे की पढ़ाई के लिए इंग्लैंड भेजा
गया। वहाँ पढ़ते हुए उसका सम्पर्क बड़े-बड़े वैज्ञानिकों से हुआ।”
“फिर क्या वे वहीं रहने लगे?” विक्की ने पूछा।
“नहीं, वहाँ की पढ़ाई पूरी करके वे वापस कोलकाता आ गए और वहाँ के प्रेसीडेंसी कॉलेज में प्रोफेसर बन गए। बड़ी कक्षाओं को जो टीचर पढ़ाते हैं, उन्हें प्रोफेसर कहते हैं। जगदीश चंद्र अपने सिद्धांत के बड़े पक्के थे। वे गलत काम करते भी नहीं थे और गलत बात मानते भी नहीं थे। उस समय अपने देश पर अँग्रेजों का राज था। अँग्रेज भारतीयों पर तरह-तरह से अत्याचार करते थे। यह कॉलेज उन्हीं का था। उन्होंने यहाँ प्रोफेसरों के लिए दो नियम बना रखे थे।

अँग्रेज प्रोफेसरों को तो वेतन अधिक दिया जाता था, लेकिन भारतीय प्रोफेसरों को कम वेतन मिलता था। जगदीश चंद्र को यह दोहरा व्यवहार पसंद नहीं आया। उन्होंने इसका विरोध किया। कई वर्षों तक उन्होंने वेतन नहीं लिया, लेकिन पूरी ईमानदारी से अपना काम किया। अंत में कॉलेजवालों को झुकना पड़ा।”
“दादा जी, आपने यह तो बताया ही नहीं कि उन्होंने पेड़-पौधों पर क्या प्रयोग किए?”-
विक्की ने पूछा।
“हाँ, वही तो बता रहा हूँ। उन्होंने अपना पूरा ध्यान पेड़-पौधों के जीवन के अध्ययन पर
लगा दिया। उन्होंने इसके लिए कई यंत्र बनाए। इन यंत्रों की सहायता से उन्होंने यह सिद्ध कर दिया कि पेड़-पौधों में भी जीवन होता है। उन्हें भी हमारी तरह खाना चाहिए, वायु और सूर्य का प्रकाश चाहिए। उन पर भी गर्मी और सर्दी का प्रभाव पड़ता है। उन्हें भी सुख और दुःख होता है। आदमी और पशु-पक्षियों की तरह वे भी मरते हैं।”
जगदीश चंद्र बोस द्वारा की गई खोजें संसार भर की प्रसिद्ध पत्रिकाओं में छपीं। लोगों
को जब इसकी जानकारी मिली तो दुनिया भर में हड़कंप मच गया। कुछ वैज्ञानिकों को उनकी खोज पर विश्वास नहीं हुआ। उन्हें फ्रांस बुलाया गया और वहाँ अपने प्रयोग सिद्ध करने के लिए कहा गया। उन्होंने कहा, “जहर खाने से आदमी मर जाता है। यदि किसी पौधे पर जहर डाला जाए तो वह भी मुरझा जाएगा।”
तुरंत वहाँ जहर मँगाया गया। वह जहर एक पौधे पर डाला गया तो उस पौधे पर कोई
बुरा प्रभाव नहीं पड़ा। डॉ. जगदीश चंद्र बोस को तो अपने प्रयोग पर पूरा विश्वास था। उन्होंने कहा, “यदि यह जहर पौधे पर कोई प्रभाव नहीं डाल सका तो मेरे ऊपर भी नहीं डाल सकेगा।”
यह कहकर उन्होंने बचा जहर स्वयं पी लिया। सचमुच उन पर कोई प्रभाव नहीं हुआ क्योंकि वह जहर था ही नहीं। यूरोप के कुछ वैज्ञानिकों ने उन्हें नीचा दिखाने के लिए यह षड्यंत्र रचा था।
वे सब बहुत लज्जित हुए।
“डाँ. जगदीश चंद्र बोस सही अर्थों में एक वैज्ञानिक थे। विज्ञान के प्रचार-प्रसार के लिए
उन्होंने ‘बसु विज्ञान मंदिर’ नामक एक संस्था की स्थापना की। उन्होंने अपने प्रयोगों से अपने देश का नाम रोशन किया। अब तो तुम्हें विश्वास हो गया कि पेड़-पौधों में भी जीवन होता है।”
“हाँ, दादा जी, अब मैं जान गया। अब मैं किसी पेड़-पौधे को नुकसान नहीं पहुँचाऊँगा।”

प्रश्न और उत्तर

प्रश्न 1: सूरजमुखी की क्या विशेषता है?

सूरजमुखी के फूल का मुँह हमेशा सूरज के सामने होता है। यह पौधा सूर्य के प्रकाश की दिशा में मुड़ता है और सूरज के साथ-साथ उसका मुंह बदलता रहता है।

प्रश्न 2: बालक जगदीश को रोने से चुप करने के लिए उनके माता-पिता ने क्या तरकीब निकाली?

बालक जगदीश को रोने से चुप करने के लिए उनके माता-पिता ने ग्रामोफोन पर गाना बजाने की तरकीब अपनाई। जैसे ही वह रोने लगता, ग्रामोफोन पर गाना बजा दिया जाता था, जिससे उसका रोना बंद हो जाता और वह सो जाता था।

प्रश्न 3: जगदीश चंद्र बोस ने अपनी उच्च शिक्षा कहाँ प्राप्त की?

जगदीश चंद्र बोस ने अपनी उच्च शिक्षा कोलकाता में प्राप्त की और फिर इंग्लैंड गए जहाँ उन्होंने और शिक्षा प्राप्त की और बड़े वैज्ञानिकों से संपर्क किया।

प्रश्न 4: “जगदीश चंद्र बोस बड़े स्वाभिमानी थे” इस कथन को तुम उनके जीवन के किस प्रसंग से सिद्ध करोगे?

यह कथन हम उनके जीवन के उस प्रसंग से सिद्ध कर सकते हैं जब उन्होंने अंग्रेजों द्वारा भारतीय प्रोफेसरों को कम वेतन देने के विरोध में कई वर्षों तक वेतन नहीं लिया लेकिन ईमानदारी से अपना काम किया। इससे यह सिद्ध होता है कि वह स्वाभिमानी थे और किसी भी गलत काम को स्वीकार नहीं करते थे।

प्रश्न 5: नीचे लिखे कथनों में से सही कथन के लिए सत्य और गलत कथन के लिए असत्य लिखो।

  1. क. जगदीश चंद्र बोस की प्रारंभिक शिक्षा हैदराबाद में हुई। (असत्य)
  2. ख. जगदीश चंद्र बोस का जन्म कोलकाता के पास एक गाँव में हुआ था। (सत्य)
  3. ग. बचपन से ही जीव-जंतुओं में जगदीश चंद्र बोस की रुचि थी। (सत्य)
  4. घ. जगदीश चंद्र बोस एक स्वाभिमानी वैज्ञानिक थे। (सत्य)
  5. ड. फ्रांस के वैज्ञानिकों ने जगदीश चंद्र बोस को नीचा दिखाने के लिए एक षड्यंत्र रचा। (सत्य)

प्रश्न 6: डॉ. जगदीश चंद्र बोस के जीवन की निम्नलिखित घटनाओं को क्रमवार लिखो।

  1. ग. जगदीश चंद्र बोस प्रेसीडेंसी कॉलेज में प्रोफेसर बने।
  2. घ. जगदीश चंद्र बोस की प्राथमिक शाला के आस-पास बहुत से पेड़-पौधे थे।
  3. क. डॉ. जगदीश चंद्र बोस ने ‘बसु विज्ञान मंदिर’ की स्थापना की।
  4. ख. डॉ. जगदीश चंद्र बोस को पेरिस में वहाँ के वैज्ञानिकों ने नीचा दिखाने का प्रयास किया।

प्रश्न 7: किसी पौधे को यदि पानी न दें तो उस पर क्या प्रभाव पड़ेगा?

यदि किसी पौधे को पानी न दिया जाए तो पौधा मुरझा जाता है। पानी के बिना पौधे की कोशिकाओं में नमी की कमी हो जाती है, जिससे वह कमजोर पड़ जाता है और उसकी वृद्धि रुक जाती है। अंततः, पौधा मर सकता है।

प्रश्न 8: किसी पौधे को उखाड़ देने पर वह क्यों मुरझा जाता है?

किसी पौधे को उखाड़ देने पर उसका संपर्क मिट्टी से टूट जाता है, जिससे वह अपनी ज़रूरी जल और पोषक तत्वों की आपूर्ति नहीं कर पाता है। इसके कारण पौधा मुरझा जाता है और उसकी जीवन प्रक्रिया रुक जाती है।