अपठित काव्यांश 1
“जब टूटने लगे हौंसले,
और राहें लगें कठिन,
तब मन में जगाओ विश्वास,
कि हर अंधियारा घटेगा।
चलो, दीप जलाएँ हम,
ताकि पथ रोशन हो सके।”
प्रश्न 1. कवि किस स्थिति में विश्वास जगाने की बात करता है?
उत्तर: जब हौंसले टूटने लगें और राहें कठिन लगने लगें, तब कवि विश्वास जगाने की बात करता है।
प्रश्न 2. “हर अंधियारा घटेगा” पंक्ति का क्या अर्थ है?
उत्तर: इसका अर्थ है कि कठिनाइयाँ और समस्याएँ समय के साथ समाप्त हो जाएँगी।
प्रश्न 3. कवि के अनुसार पथ को रोशन करने के लिए हमें क्या करना चाहिए?
उत्तर: हमें दीप जलाना चाहिए, ताकि मार्ग प्रकाशमान हो सके।
प्रश्न 4. कविता में प्रयुक्त “हौंसले” शब्द का पर्यायवाची लिखिए।
उत्तर: साहस, दृढ़ता।
प्रश्न 5. कविता का मुख्य संदेश क्या है?
उत्तर: कठिन परिस्थितियों में भी विश्वास और साहस बनाए रखना चाहिए तथा सकारात्मक प्रयास करते रहना चाहिए।
अपठित काव्यांश – 2
“मत रुको तू मंज़िल से पहले,
पथ में चाहे कितनी बाधाएँ हों।
थक कर बैठना नहीं तुझको,
आगे और ऊँचाइयाँ पाना है।
जो चलता है साहस लेकर,
वही इतिहास में अमर हो जाता है।”
प्रश्न 1. कवि किस बात के लिए प्रेरित कर रहा है?
उत्तर: कवि मंज़िल पाने से पहले रुकने से मना कर रहा है और आगे बढ़ने के लिए प्रेरित कर रहा है।
प्रश्न 2. “थक कर बैठना नहीं तुझको” पंक्ति से क्या संदेश मिलता है?
उत्तर: यह पंक्ति हमें सिखाती है कि कठिनाइयों के बावजूद हार मानकर बैठना नहीं चाहिए।
प्रश्न 3. कवि के अनुसार इतिहास में कौन अमर हो जाता है?
उत्तर: जो साहस लेकर आगे बढ़ता है, वही इतिहास में अमर हो जाता है।
प्रश्न 4. “बाधाएँ” शब्द का विलोम लिखिए।
उत्तर: सहायता, सुविधा।
प्रश्न 5. कविता का मुख्य भाव लिखिए।
उत्तर: जीवन में सफलता पाने के लिए निरंतर साहस और प्रयास आवश्यक हैं, कठिनाइयों से घबराकर रुकना नहीं चाहिए।