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छत्तीसगढ़स्य लोकभाषा: कक्षा सातवीं विषय संस्कृत पाठ 10

छत्तीसगढ़स्य लोकभाषा: कक्षा सातवीं विषय संस्कृत पाठ 10

छत्तीसगढ़ प्रदेश: लोकगीत नृत्य लोकभाषाणां संगम स्थलमस्ति । लोकसंस्कृतेः दृष्ट्या सत्यं शिवं सुन्दरम् इत्युक्ते अस्म राजस्य प्रखर अभिव्यक्तिं प्रदर्शयति । छत्तीसगढ़ राज्यस्य उत्तरदिशि झारखण्डप्रदेशः दक्षिणदिशि आंध्रप्रदेशः पूर्व दिशि । उड़ीसा प्रदेशः पश्चिम दिशायां महाराष्ट्र प्रदेशश्च विराजन्ते । छत्तीसगढ़प्रदेश: स्वकीय संस्कृति अधिकृत्य लोकप्रसिद्धः । छत्तीसगढ़ राज्ये सप्तविंशतिं जिला विद्यन्ते। अस्मिन् राज्ये विविधलोक भाषाभाषिणश्च निवसन्ति छत्तीसगढ़ राजस्थ कटकः (राजधानी) रायपुरमस्ति यद् छत्तीसगढ़ राजस्य हृदय स्थलम् अभिधीयते। रायपुर जिलान्तर्गतं हल्बी गौड़ी छत्तीसगढ़ी उड़ीया लोकभाषाश्च अति प्रसिद्धाः । राज्यस्य उत्तरभागे कोरिया जिलास्ति। यत्र जना: भोजपुरी सरगुजिया कुड़क छत्तीसगढ़ी लोक भाषायां च स्वकीयाभिव्यक्तिं कुर्वन्ति ।

शब्दार्थाः – लोकभाषाणां = बोलियों का, दृष्ट्या= दृष्टि से,पूर्वदिशि = पूर्व दिशा में ,विराजन्ते = विराजमान है, षोडश= सोलह, विद्यन्ते = हैं, कटक:= राजधानी, लोकभाषायां = बोली में।

अनुवाद – छत्तीसगढ़ राज्य लोकगीतों, लोकनृत्यों और बोलियों का संगम स्थल है। लोक संस्कृति की दृष्टि से सत्यं, शिवं, सुन्दर – यह उक्ति इस राज्य की प्रखर अभिव्यक्ति को प्रदर्शित करता है। छत्तीसगढ़ राज्य के उत्तर दिशा में झारखण्ड, दक्षिण दिशा में आंध्रप्रदेश, पूर्व दिशा में उड़ीसा और पश्चिम दिशा में महाराष्ट्र विराजमान हैं। छत्तीसगढ़ राज्य अपनी विविध संस्कृतियों (सांस्कृतिक विविधता) के लिए प्रसिद्ध है। छत्तीसगढ़ राज्य में 27 जिले हैं। इस राज्य में अनेक भाषा व बोलियों के लोग निवास करते हैं। छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर है, जिसे छत्तीसगढ़ का हृदय स्थल कहा जाता है। रायपुर जिले में हल्बी, गोड़ी, छत्तीसगढ़ी और उड़िया बोली अति प्रसिद्ध है। राज्य के उत्तरभाग में कोरिया जिला है। जहाँ लोग भोजपुरी, सरगुजिया, कुडुक और छत्तीसगढ़ी बोली में अपनी अभिव्यक्ति करते हैं।

कोरिया जिला समीपे सरगुजा जिला स्थितास्ति। सरगुजा जिलायां सादरी भोजपुरी सरगुजिया कुड़क छत्तीसगढ़ी प्रभृतीनां लोकभाषानां लोक जीवनं प्रतिदिनं व्यवहारो भवति ।। राज्यस्य उत्तर दिशायामेव जशपुर जिला विद्यते। अस्यां जिलायां सादरीभोजपुरी कुड़क छत्तीसगढ़ी इत्यादयाः लोकभाषाश्च सुविख्याताः सन्ति । छत्तीसगढ़ राज्यस्य विद्युत केन्द्रः कोरबा जिला अति प्रसिद्धा । अस्मिन क्षेत्रे छत्तीसगढ़ी मागधी च लोकभाषां सर्वेजनाः वदन्ति। राज्यस्य उत्तरपूर्वस्यां रायगढ़ जिलास्तिथास्ति । अस्यां जिलायां सादरी गौड़ी छत्तीसगढ़ी उड़िया बंगाली च इति लोकभाषा अति प्रसिद्धाः। जनाः आसां लोकभाषाणां स्वकीयव्यवहारे प्रयोग कुर्वन्ति ।

शब्दार्थाः- प्रभृतीनां = इत्यादि, विद्यते= है सुविख्याता:= प्रसिद्ध, अति = बहुत ,वदन्ति = बोलते हैं, अस्या = इस, लोकभाषाणां = बोलियों का।

अनुवाद-कोरिया जिला के निकट सरगुजा जिला स्थित है। सरगुजा जिला में भोजपुरी, सरगुजिया, कुड़क, छत्तीसगढ़ी बोलियों का व्यवहारिक जीवन में प्रतिदिन प्रयोग करते हैं। राज्य के उत्तर दिशा में जशपुर जिला है। इन जिलों की सादरी, भोजपुरी, कुडुक और छत्तीसगढ़ी आदि बोलियाँ प्रसिद्ध हैं। छत्तीसगढ़ राज्य के कोरबा जिले का विद्युत् केन्द्र अति प्रसिद्ध है। इस क्षेत्र में सभी छत्तीसगढ़ी और मगधी बोली बोलते हैं। राज्य के उत्तर-पूर्व दिशा में रायगढ़ जिला स्थित है। इस जिला में सादरी, कुडुक, गौड़ी, छत्तीसगढ़ी, उड़िया और बंगाली बोली बहुत लोकप्रिय (प्रसिद्ध) है। लोग इसी बोली का प्रयोग अपने व्यावहारिक जीवन में करते हैं।

छत्तीसगढ़ राज्यस्य उत्तरदिशा मेव जांजगीर जिला अस्ति। यत्र ‘छत्तीसगढ़ी’ लोकभाषायाः जनाः प्रयोगं कुर्वन्ति । राजस्थ बिलासपुर जिलान्तर्गतं छत्तीसगढ़ी बघेली च द्वे भाषे जना व्यवहरन्ति । एतादृशस्य छत्तीसगढ़स्य उत्तर पश्चिम दिशायां कवर्धा दुर्ग राजनांदगांव जिला च विद्यन्ते। कवर्धा जिलायां गौड़ी छत्तीसगढ़ी च लोकभाषायां परस्परं सस्नेह स्वविचारान् प्रस्तुवन्ति । दुर्ग जिलायां हल्बी गौड़ी छत्तीसगढ़ी च लोक भाषाः इति प्रसिद्धा, राजनांदगांव जिलान्तर्गत हल्बी गौड़ी छत्तीसगढ़ी मराठी च लोकभाषा सुप्रसिद्धाः । छत्तीसगढ़स्य पूर्व दिशायां महासमुन्द जिला विराजते । यत्र जनाः छत्तीसगढ़ी उड़िया च लोकभाषा माध्यमेन स्वविचारान् प्रदर्शयन्ति ।

शब्दार्था: – यत्र = जहाँ, द्वे = दो, एतादृशस्य = इस प्रकार, जिलायां = जिला में, स्वविचारान् = अपने विचारों को, प्रस्तुवन्ति= प्रकट करते हैं, लोकभाषा : = बोलियाँ, पूर्वदिशायां = पूर्व दिशा में।

अनुवाद – छत्तीसगढ़ राज्य के उत्तर दिशा में जांजगीर जिला है। जहाँ लोग छत्तीसगढ़ी बोली का प्रयोग करते हैं। राज्य के बिलासपुर जिले में लोग छत्तीसगढ़ी और बघेली दोनों बोलियों का प्रयोग करते हैं। इसी प्रकार छत्तीसगढ़ के उत्तर-पश्चिम दिशा। में कवर्धा, दुर्ग और राजनांदगाँव जिला स्थित है। कवधां जिला में गौड़ी और छत्तीसगढ़ी बोली के द्वारा सस्नेह अपने विचारों को प्रकट करते हैं। दुर्ग जिले में हल्बी, गौड़ी और छत्तीसगढ़ी बोलियाँ प्रसिद्ध हैं। राजनांदगांव जिले में हल्बी, गौड़ी, छत्तीसगढ़ी और मराठी बोलियाँ प्रसिद्ध हैं। छत्तीसगढ़ राज्य के पूर्व दिशा में महासमुंद जिला स्थित है। जहाँ लोग छत्तीसगढ़ और उड़िया बोली के माध्यम से अपने विचारों को प्रकट करते हैं।

छत्तीसगढ़राजस्य मध्यभागे धमतरी जिलास्ति । अत्र १८८५ ख्रीस्ततमें काव्योपाध्याय हीरालाल महाभागेन छत्तीसगढ़ी भाषायाः प्रथमं व्याकरणं लिखितम्। धमतरी जिलायां हल्बी छत्तीसगढ़ी च भाषे अति प्रसिद्धे । राज्यस्य दक्षिण भागे कांकेर जिलास्ति अत्र हल्वी छत्तीसगढ़ी मराठी- बंगाली च लोकभाषा: अतिलोकप्रियाः । राज्यस्य दक्षिण दिशासु बस्तर जिला आदिवासी नाम्ना प्रसिद्धा। बस्तरे हल्बी-गौड़ी-भतरी दोरली- परजी-गदली – छत्तीसगढ़ी-उड़िया प्रभृत्यः लोकभाषा: प्रचलिताः । बस्तरस्य दक्षिणभागः एव दन्तेवाड़ा जिला दन्तेश्वरी देव्याः नाम्ना प्रसिद्धा । यत्र हल्बी गौड़ी दोरली छत्तीसगढ़ी-उड़िया तेलगु इत्यादयः भाषा प्रसिद्धाः । बीजापुर जिलान्तर्गतं तेलगु-गोड़ी-भतरी-हल्बी इत्यादय: लोकभाषाः अति प्रसिद्धाः। नारायणपुर जिलायां गोड़ी-हल्बी-दोरली- प्रभृतय: लोकभाषा प्रचलितः ।

सुकमाजिलान्तर्गते छत्तीसगढ़ी-भतरी हल्बी-गोड़ी- दोरली – तेलगु -प्रभृतय: लोकभाषाः प्रचलिताः कोण्डागाँव- जिलान्तर्गते छत्तीसगढ़ी-हल्बी-गोड़ी-भतरी परजी-दोरली- गदबी-प्रभृतय: लोकभाषाः प्रसिद्धाः। गरियाबंद जिलायां छत्तीयगढ़ी- उड़िया भाषे प्रचलिते। बलौदाबाजार- भाटापारा जिलायां छत्तीसगढ़ी गोड़ी च लोकभाषाद्वे प्रचलिते। बालोदजिलान्तर्गते छत्तीसगढ़ी गोड़ी-हल्बी प्रभृतयः लोकभाषाः लोकप्रियाः बेमेतरा जिलायां छत्तीसगढ़ी-हल्बी- गोड़ी – लोकभाषाः प्रचलिताः बलरामपुरजिलायां छत्तीसगढ़ी- सादरी-भोजपुरी लोकभाषाः प्रचलिताः। सूरजपुर जिलान्तर्गते छत्तीसगढ़ी-सादरी-भोजपुरी-सरगुजिहा-प्रभृतयः लोकभाषाः अतिप्रियाः। मुंगेली जिलान्तर्गते छत्तीसगढ़ी बघेली गोड़ी प्रभृतय: लोकभाषाः प्रचलिताः ।

छत्तीसगढ़प्रदेश: एकम् उद्यानमिव प्रतीयते। अस्मिन उद्याने नानाविधानि पुष्पाणि विकसन्ति । लोकभाषाणां एतानि पुष्पाणि छत्तीसगढ़स्य एकतां परस्पर स्नेहं च प्रदर्शयन्तीति।

शब्दार्था:- मध्यभागे = बीच में, काव्योपाध्याय = कविवर, महाभागेन = महोदय ने, लिखितम् = लिखा, अत्र -= यहाँ, दक्षिणदिशासु = दक्षिणदिशा में, नाम्ना = नाम से ,प्रभृत्य= आदि, उद्यानमिव = उद्यान की भाँति, प्रतीयते = प्रतीत होता है, नानाविधानि = अनेक प्रकार के, विकसन्ति = खिलते हैं, पुष्पाणि= पुष्प।

अनुवाद-छत्तीसगढ़ राज्य के मध्य भाग में धमतरी जिला है। यहाँ सन् 1885 में कविवर हीरालाल महोदय ने सर्वप्रथम छत्तीसगढ़ी बोली में व्याकरण लिखा। धमतरी जिला में हल्बी और छत्तीसगढ़ी भाषा अति प्रसिद्ध हैं। राज्य के दक्षिण भाग में कांकेर जिला है। यहाँ हल्बी, छत्तीसगढ़ी, मराठी और बंगाली बोली अति लोकप्रिय है। राज्य के दक्षिण दिशा में स्थित बस्तर जिला आदिवासी क्षेत्र के नाम से प्रसिद्ध है। बस्तर में हल्बी, गौड़ी, भतरी, दोरली, परजी, गदबी, छत्तीसगढ़, उड़िया इत्यादि बोलियाँ प्रचलित हैं। बस्तर के दक्षिण भाग में ही दंतेवाड़ा जिला दंतेश्वरी देवी के नाम से प्रसिद्ध है। जहाँ हल्बी, गोड़ी, दोरली, छत्तीसगढ़ी, उड़िया, तेलगु आदि भाषाएँ प्रसिद्ध हैं।

बीजापुर जिले के अन्तर्गत तेलगु, गोड़ी, भतरी, हल्बी इत्यादि भाषाएँ बहुत प्रसिद्ध हैं। नारायणपुर जिले के अन्तर्गत गोड़ी, हल्बी, दोरली आदि भाषाएँ प्रचलित हैं।

सुकमा जिले के अन्तर्गत छत्तीसगढ़ी, भतरी, हल्बी, गोड़ी, दोरली, तेलगु आदि भाषाएँ प्रचलित हैं। कोण्डागाँव जिले के अन्तर्गत छत्तीसगढ़ी, हब्ली, गोड़ी, भतरी, परजी, दोरली गदबी आदि भाषाएँ प्रसिद्ध हैं। गरियाबंद जिले में छत्तीसगढ़ी, उड़िया भाषा प्रचलित हैं। बलौदाबाजार भाटापारा जिले में छत्तीसगढ़ी, गोड़ी बोलियाँ प्रचलित हैं। बालोद जिले के अन्तर्गत छत्तीसगड़ी, गोड़ी, हल्बी आदि भाषाएँ प्रचलित हैं। बेमेतरा जिले में छत्तीसगढ़ी, हल्बी, गोड़ी बोलियाँ प्रचलित हैं। बलरामपुर जिले में छत्तीसगढ़ी, सादरी, भोजपुरी भाषाएँ प्रचलित है। सूरजपुर जिले के अन्तर्गत छत्तीसगढ़ी, सादरी, भोजपुरी, सरगुजिहा आदि बोलियाँ प्रचलित है। मुंगेली जिले के अन्तर्गत छत्तीसगढ़ी, बली, गोड़ी आदि भाषाएँ प्रचलित हैं।

छत्तीसगढ़ राज्य एक उद्यान की भाँति प्रतीत होता है। इस उद्यान में अनेक प्रकार के फूल खिले हैं। लोक भाषा (बोली) रूपी ये पुष्प छत्तीसगढ़ राज्य की पारस्परिक एकता व प्रेम को प्रदर्शित करते हैं।