Category विज्ञान नोट्स

कोशिका चक्र का परिचय

कोशिका चक्र का परिचय कोशिका चक्र की अवस्थाएँ (A) अंतरावस्था (Interphase) (B) विभाजनावस्था (M-Phase) कोशिका चक्र की अन्य विशेषताएँ उदाहरण सारांश कोशिका चक्र जीवन की निरंतरता बनाए रखने के लिए आवश्यक है। यह जीनोम की स्थिरता, आनुवंशिक सामग्री का सटीक…

जीवों में वृद्धि और प्रजनन

जीवों में वृद्धि और प्रजनन कोशिका विभाजन पर आधारित है। कोशिका विभाजन से बनने वाली पुत्री कोशिकाओं में गुणसूत्रों की संख्या पैतृक कोशिकाओं के समान होती है। अलैंगिक एवं लैंगिक प्रजनन: अलैंगिक प्रजनन: विभाजन के बाद गुणसूत्रों की संख्या समान…

पुष्पों में नर तथा मादा जन संरचनाएँ

निषेचन पूर्व रचनाएँ एवं घटनाएँ (Pre-Fertilization Structures and Events) पौधों में निषेचन पूर्व की घटनाएँ उन प्रक्रियाओं को दर्शाती हैं जो प्रजनन के लिए आवश्यक संरचनाओं के निर्माण और उनके कार्य में योगदान करती हैं। यह घटनाएँ मुख्यतः निम्नलिखित चरणों…

जीव जगत में विविधता

जीव जगत में विविधता (Diversities in Living World) पृथ्वी हमारे सौरमंडल का ऐसा ग्रह है जहाँ जीवन संभव है। जीवन की उत्पत्ति और विकास के अध्ययन को जीव विज्ञान (Biology) कहते हैं। यह अध्ययन पृथ्वी पर जीवन की कहानी को…

वर्गिकीय अध्ययन के उपकरण या साधन

वर्गिकीय अध्ययन के उपकरण या साधन (Tools for Taxonomic Studies) वर्गिकी के अध्ययन में जीवों की पहचान, वर्गीकरण, और नामकरण के लिए विभिन्न तकनीक, प्रक्रियाएं, और उपकरण आवश्यक होते हैं। ये उपकरण वर्गिकी प्रक्रिया को सुगम बनाने के लिए सूचना…

वर्गिकी पदानुक्रम (Taxonomical Hierarchy)

वर्गिकी पदानुक्रम (Taxonomical Hierarchy) वर्गिकी पदानुक्रम जीवों के वर्गीकरण का वैज्ञानिक और व्यवस्थित ढांचा है, जिसमें उन्हें उनके सामान्य लक्षणों और समानता के आधार पर विभिन्न श्रेणियों में विभाजित किया जाता है। इन श्रेणियों को वर्गिकी संवर्ग (Taxonomic Categories) कहा…

द्विनाम नामकरण प्रणाली के नियम

द्विनाम नामकरण प्रणाली के नियम द्विनाम नामकरण प्रणाली के नियम (Rules of Binomial Nomenclature System) लिनियस (Linnaeus) द्वारा प्रचलित इस नामकरण पद्धति का नियमन पौधों के लिए वानस्पतिक नामकरण की अंतर्राष्ट्रीय संस्था (ICBN) और जन्तुओं के लिए प्राणी नामकरण की…

नेत्र के विकार

मनुष्य के नेत्र की विशालन क्षमता 0-1 मि. मी. होती है। यह औसतन लगभग 300 से. मी. से 600 से. मी. (20 फुट) तक की वस्तुओं को सुस्पष्ट रूप से देख सकता है। लेकिन यह सामान्य गुण कभी-कभी नेत्र में…

कर्ण की क्रियाविधि

कर्ण की कार्य विधि (Working of the Ear) कर्ण (Ear) का मुख्य कार्य ध्वनि सुनना और शरीर का संतुलन बनाए रखना है। यह प्रक्रिया तीन भागों – बाह्य कर्ण, मध्य कर्ण और आंतरिक कर्ण के समन्वय से होती है। इसे…

श्रावणों संतुलन संवेदांग कर्ण

श्रावणों-संतुलन संवेदांग: कर्ण (STATO-ACOUSTIC ORGAN: EAR) ध्वनि उद्दीपन ग्रहण करने और शरीर का संतुलन बनाए रखने वाले अंग को श्रवणेन्द्रिय या कर्ण कहते हैं। स्तनधारियों में कर्ण दोनों कार्यों को संपादित करता है, इसलिए इसे श्रवणों-संतुलन संवेदांग (Statoacoustic organ) कहा…