बगरे हे चंदा अंजोर छत्तीसगढ़ी : कक्षा 4 हिन्दी पाठ 21
घर-दुवार, खार-खार
रूख-राई, डार-डार,
बगरे हे चंदा अँजोर।
तरिया के पार-पार,
लइका पारे गोहार।
चंदैनी सुरतावत हे
पानी म पाँव बोर।।
बगरे हे चंदा अँजोर।
गीत गावत लहरा म,
बरछा बारी बहरा म।
लइकुसहा अंतस ले
लामे हे मया के डोर।।
बगरे हे चंदा अँजोर।
हाँस-हाँस खेलत हे .
पुरवाही ह पेलत हे।
दुधमुँहा के दाँत कस
तरिया के हिलोर।।
बगरे हे चंदा अँजोर।
केंवट के मलगी म,
खोखमा के फुलगी म।
पुरइन-पान थारी म
खीर कस छछले कोर।।
बगरे हे चंदा अँजोर।
बोइर झरी झाऊ म,
परछी, जाँता पाऊ म।
मड़ियावत हे मुच-मुच
रेंगत संगी अगोर।।
बगरे हे चंदा अँजोर।
प्रश्न और उत्तर
प्रश्न 1: खाल्हे लिखाय प्रश्न के उत्तर लिखव
- चंदा के अँजोर कोन-कोन ठउर म बगरे हे?
चंदा के अँजोर घर-दुवार, खार-खार, रूख-राई, डार-डार, तरिया के पार-पार, और नदी के हिलोर में बगरे हे। - तरिया के पार म कोन गोहार पारत हे?
तरिया के पार लइका पारे गोहार पारत हे। - मया के डोर कहाँ ले लामे हे?
मया के डोर लइकुसहा के अंतस ले लामे हे। - दुधमुँहा के दाँत कस का ह लागत हे?
दुधमुँहा के दाँत कस तरिया के हिलोर लागत हे। - खोखमा कहाँ फूलथे?
खोखमा के फुलगी म फूलथे। - पुरइन-पान ह का असन लागत हे?
पुरइन-पान थारी म खीर कस छछले कोर असन लागत हे। - चंदा के अंजोर ह परछी म काकर ऊपर बगरे हे?
चंदा के अंजोर ह परछी म बोइर झरी झाऊ म बगरे हे।
प्रश्न 2: खाल्हे लिखे कविता के अर्थ लिखव
कविता का अर्थ:
“तरिया के पार-पार,
लइका पारे गोहार।
चंदैनी सुरतावत हे,
पानी म पाँव बोर।।
बगरे हे चंदा अँजोर।”
अर्थ:
यह कविता चाँद की उजाला और उसकी रोशनी का वर्णन करती है। चाँद की रोशनी तरिया (नदी) के पार-पार और पानी में पाँव बोरते हुए दिखाई देती है। यह दृश्य प्राकृतिक सुंदरता और चाँद की अलौकिक चमक का प्रतीक है, जो सब कुछ रोशन कर देता है। लइका (बच्चा) चाँद के नीचे अपनी आवाज़ से उसे पुकारता है, और चाँद की रोशनी पानी में बिखर रही है।
“बोइर झरी झाऊ म,
परछी, जाँता पाऊ म।
मड़ियावत हे मुच-मुच,
रेंगत संगी अगोर।।
बगरे हे चंदा अँजोर।”
अर्थ:
यह भाग चाँद की रोशनी से जुड़े एक अन्य दृश्य का वर्णन करता है। चाँद की रोशनी झाऊ (झाड़ी) के ऊपर और परछी (खेत) और जाँता (वातावरण) में बिखर रही है। चाँद की उजाला से मड़ियावत (छोटी-छोटी हलचल) होती है और संगी (दोस्त) उसे देखकर आनंदित होते हैं। यह चाँद की प्रकाशमयता का प्रतीक है, जो सब जगह फैल जाती है और हर चीज़ को उजागर करती है।
क. ये कविता कोन भाषा म लिखे गे हे?
यह कविता छत्तीसगढ़ी भाषा में लिखी गई है।
ग. मलगी काला कहिथें?
मलगी काला से तात्पर्य है काले रंग की छतरी या वस्त्र, जो विशेष अवसरों पर पहना जाता है।