प्रयोग की दृष्टि से शब्द भेद
प्रयोग की दृष्टि से शब्द भेद विकारी शब्द – विकार शब्द का अर्थ होता है परिवर्तन या बदलाव। जब किसी शब्द के रूप में लिंग, वचन, और कार्य के आधार पर किसी प्रकार का परिवर्तन आ जाता है तो उन शब्दों…
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प्रयोग की दृष्टि से शब्द भेद विकारी शब्द – विकार शब्द का अर्थ होता है परिवर्तन या बदलाव। जब किसी शब्द के रूप में लिंग, वचन, और कार्य के आधार पर किसी प्रकार का परिवर्तन आ जाता है तो उन शब्दों…
अर्थ की दृष्टि से शब्दों का भेद शब्दों को उनके अर्थ के आधार पर मुख्य रूप से दो भागों में विभाजित किया जाता है: 1. सार्थक शब्द वे शब्द जिनका कोई निश्चित और स्पष्ट अर्थ होता है और जो किसी…
रीतिकाल, हिन्दी साहित्य का एक महत्वपूर्ण युग है, जो मुख्यतः 17वीं और 18वीं शताब्दी के बीच पनपा। इस युग की कविताओं और साहित्यिक प्रवृत्तियों को समझने के लिए इसके उदय के ऐतिहासिक, सामाजिक, और साहित्यिक कारणों का अध्ययन आवश्यक है।…
रीतिकाल की काव्य प्रवृत्तियाँ रीतिकाल की प्रवृत्तियाँ (1) रीति निरूपण(2) श्रृंगारिकता। रीति निरूपण काव्यांग विवेचन के आधार पर दो वर्गो में बाँटा जा सकता है सर्वाग विवेचन : इसके अन्तर्गत काव्य के सभी अंगों (रस, छंद, अलंकार आदि) को विवेचन…
रीतिमुक्त कवि रीति परंपरा से स्वतंत्र और नवीन प्रयोगों के लिए प्रसिद्ध कवियों को रीतिमुक्त कवि कहा जाता है। इन कवियों की रचनाओं में भावनाओं की स्वाभाविक अभिव्यक्ति, व्यक्तिगत अनुभव, और सहजता का समावेश होता है। मुख्य रीतिमुक्त कवि विशेषताएं…
रीतिसिद्ध कवि रीतिसिद्ध कवि वे हैं जिनकी रचनाओं में रीति परंपरा का अप्रत्यक्ष प्रभाव स्पष्ट रूप से दिखाई देता है। उनकी कविताएं यह दर्शाती हैं कि उन्होंने काव्यशास्त्र को गहराई से आत्मसात किया और इसे सहज रूप से अपनी रचनाओं…
रीतिबद्ध कवि रीतिबद्ध कवि, जिन्हें आचार्य कवि भी कहा जाता है, ने अपने लक्षण ग्रंथों और काव्य में प्रत्यक्ष रूप से रीति परंपरा का निर्वाह किया। इनके काव्य में अलंकार, रस, छंद और काव्य शास्त्र की परंपरागत विधियों का गहन…
हिंदी वर्तनी का मानकीकरण एक ही स्वन को प्रकट करने के लिए विविध वर्णों का प्रयोग वर्तनी को जटिल बना देता है और यह लिपि का एक सामान्य दोष माना जाता है। यद्यपि देवनागरी लिपि में यह दोष न्यूनतम है.…
देवनागरी में सुधार के प्रयास (1) बाल गंगाधर का ‘तिलक फांट’ (1904-26) (2) सावरकर बंधुओं का ‘अ की बारहखड़ी’ (3) श्याम सुन्दर दास का पंचमाक्षर के बदले अनुस्वार के प्रयोग का सुझाव (4) गोरख प्रसाद का मात्राओं को व्यंजन के…
हिन्दी में लिपि चिह्न भारतीय संघ तथा कुछ राज्यों की राजभाषा स्वीकृत हो जाने के फलस्वरूप हिंदी का मानक रूप निर्धारित करना बहुत आवश्यक था, ताकि वर्णमाला में सर्वत्र एकरूपता रहे और टाइपराइटर आदि आधुनिक यंत्रों के उपयोग में लिपि…