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अपभ्रंश काव्य : हिन्दी साहित्य का इतिहास – पंडित रामचंद्र शुक्ल

हिन्दी साहित्य का आदिकाल

अपभ्रंश काव्य : हिन्दी साहित्य का इतिहास – पंडित रामचंद्र शुक्ल का सार जब से प्राकृत बोलचाल की भाषा न रह गई तभी से अपभ्रंश साहित्य का आविर्भाव समझना चाहिए। पहले जैसे ‘गाथा’ या ‘गाहा’ कहने से प्राकृत का बोध…

अपभ्रंश भाषा के कवियों का परिचय

हिन्दी साहित्य का आदिकाल

अपभ्रंश भाषा के कवियों का परिचय इस पोस्ट में बताया गया है- अपभ्रंश भाषा के कवियों का परिचय हेमचंद्र- गुजरात के सोलंकी राजा सिद्धराज जयसिंह (संवत् 1150-1199) और उनके भतीजे कुमारपाल (संवत् 1199-1230) के यहाँ हेमचंद्र का बड़ा मान था।ये…

संधि की परिभाषा, प्रकार, नियम और उदाहरण

संधि हिंदी व्याकरण का एक महत्वपूर्ण विषय है, जो शब्दों के मेल और उनके स्वर-व्यंजन के परिवर्तन की प्रक्रिया को समझाता है। संधि का उद्देश्य शब्दों को सरल और संक्षिप्त रूप में मिलाकर नए शब्दों का निर्माण करना होता है।…

भाषा का स्वरूप और प्रकार

भाषा का स्वरूप और प्रकार भाषा मानव संवाद का सबसे महत्वपूर्ण साधन है, और यह समाज में विचारों, भावनाओं, और ज्ञान का आदान-प्रदान करने का माध्यम बनती है। इसके द्वारा हम न केवल संवाद करते हैं, बल्कि संस्कृति, परंपराएँ, और…

भाषा के अर्थ में हिंदी शब्द का प्रयोग

हिन्दी भाषा अपने शब्दों के माध्यम से न केवल विचारों और भावनाओं को अभिव्यक्त करने का माध्यम है, बल्कि यह भारतीय संस्कृति, परंपरा और समाज का प्रतिबिंब भी है। हिन्दी का शब्द-संकोश अत्यंत समृद्ध और बहुआयामी है। यह भाषा विभिन्न…

हिंदी साहित्य में नई कहानी युग

नई कहानी युग हिंदी साहित्य में 1950 के दशक में उभरने वाली एक साहित्यिक प्रवृत्ति है, जिसे लेखन में नई दृष्टि और शैली के कारण महत्वपूर्ण माना जाता है। यह प्रवृत्ति सामाजिक, राजनीतिक, आर्थिक, और व्यक्तिगत मुद्दों को नए और…

उत्पति की दृष्टि से शब्द-भेद

उत्पति की दृष्टि से शब्द-भेद (i) तत्सम शब्द  (ii ) तद्भव शब्द  (iii ) देशज शब्द (iv) विदेशी शब्द। (i) तत्सम शब्द – हिंदी भाषा में बहुत सारे ऐसे शब्द है, जो संस्कृत भाषा से लिए गए हैं परंतु उनका अर्थ…