शब्द शक्ति व प्रकार

काव्य में रस का संचार शब्द-शक्तियों के द्वारा होता हैं। यहाँ शब्दों का विशेष महत्त्व माना गया हैं। काव्य-भाषा में वाक्यों की रचना इस बात की सूचक हैं कि उसमें अनेक प्रकार के शब्दों का प्रयोग प्रकरण, प्रसंग और कवि-आशय…
TEACHER'S KNOWLEDGE & STUDENT'S GROWTH
काव्य में रस का संचार शब्द-शक्तियों के द्वारा होता हैं। यहाँ शब्दों का विशेष महत्त्व माना गया हैं। काव्य-भाषा में वाक्यों की रचना इस बात की सूचक हैं कि उसमें अनेक प्रकार के शब्दों का प्रयोग प्रकरण, प्रसंग और कवि-आशय…
पत्र लेखन महत्त्वपूर्ण ही नहीं, अपितु अत्यंत आवश्यक है, कैसे? जब आप विद्यालय नहीं जा पाते, तब अवकाश के लिए प्रार्थना-पत्र लिखना पड़ता है। सरकारी व निजी संस्थाओं के अधिकारियों को अपनी समस्याओं आदि की जानकारी देने के लिए पत्र…
मैथिलीशरण गुप्त का जयद्रथ वध का आधार महाभारत है। जयद्रथ वध का प्रकाशन 1910 में हुआ था। मैथिलीशरण गुप्त ने अपनी सरस प्रवाहपूर्ण शैली द्वारा जयद्रथ वध काव्य को नया प्रदान किया है। जयद्रथ-वध का प्रथम सर्ग वाचक ! प्रथम…
भारतेन्दु युग में निबंध साहित्य भारतेन्दु युग हिंदी साहित्य का स्वर्णिम काल माना जाता है, जिसमें निबंध साहित्य ने पत्र-पत्रिकाओं के माध्यम से अपनी पूर्ण प्रतिष्ठा प्राप्त की। इस काल में विभिन्न शैलियों और विषयों पर निबंध लिखने की प्रवृत्ति…
संस्कृत काव्यशास्त्र में रीति शब्द का प्रयोग काव्यांग विशेष के लिए होता है। इसे काव्य की आत्मा माना गया है। आचार्य वामन ने इसे गुण विशिष्ट रचना या पद-संघटना की विशेष पद्धति के रूप में परिभाषित किया और ‘रीति’ को…
किसी एक भाव या विचार को व्यक्त करने के लिए लिखे गये सम्बद्ध और लघु वाक्य-समूह को अनुच्छेद-लेखन कहते हैं।दूसरे शब्दों में- किसी घटना, दृश्य अथवा विषय को संक्षिप्त किन्तु सारगर्भित ढंग से जिस लेखन-शैली में प्रस्तुत किया जाता है, उसे…
हिन्दी व्याकरण: एकार्थक शब्द यहाँ कुछ प्रमुख एकार्थक शब्द दिया जा रहा है। ( अ ) अहंकार- मन का गर्व। झूठे अपनेपन का बोध।अनुग्रह- कृपा। किसी छोटे से प्रसत्र होकर उसका कुछ उपकार या भलाई करना।अनुकम्पा- बहुत कृपा। किसी के दुःख से दुखी…
काव्य लक्षण करते समय कहा गया है कि उसमें निम्नलिखित विशेषताएँ होनी चाहिए – संस्कृत आचार्यों द्वारा दिए गए काव्य लक्षण भामह द्वारा दिए गए काव्य लक्षण अलंकारवादी भामह का काव्य लक्षण इस प्रकार है – ‘शब्दार्थौ सहितौ काव्यम्’ (काव्यालंकार…
इसके अन्तर्गत कोमल शरीर वाले, त्रिस्तरीय (Triploblastic), देहगुहायुक्त (Coelomate) जन्तुओं को शामिल किया गया है। जिनके शरीर के अग्र भाग पर एक सिर, पेशीय पैर (Muscular foot) एवं पृष्ठ विसरल मास (Visceral mass) पाया जाता है। जो कि मांसल आवरण…
हेमीकॉर्डेटा परिवार के सदस्य कृमि समान मुलायम शरीर वाले जन्तु हैं। ये प्रायः समुद्र किनारे सुरंगों में रहते हैं। इनमें नोटोकॉर्ड जैसी संरचना पायी जाती है। इनके कुछ लक्षण इकाइनोडर्मेट्स तथा कुछ कॉर्डेट्स से समानता प्रदर्शित करते हैं। इस कारण…