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यह जानकारी जीव विज्ञान की नींव को समझने के लिए बहुत उपयोगी है और छात्रों के लिए विशेष रूप से लाभकारी है।
जन्तु-जगत (Animalia) से परिचय
व्हीटेकर की पाँच-जगत प्रणाली:
1973 में व्हीटेकर द्वारा प्रस्तावित इस प्रणाली में जन्तु-जगत को पाँचवाँ जगत माना गया। यह सभी यूकैरियोटिक, बहुकोशिकीय, विषमपोषी, और कोशिका भित्ति रहित जीवों का समूह है।
द्विजगत वर्गीकरण प्रणाली:
प्रारंभिक वर्गीकरण में जीवों को दो भागों – पादप जगत (Plant Kingdom) और जन्तु जगत (Animal Kingdom) में बांटा गया था।
कोशिकाभित्ति वाले जीव पौधों की श्रेणी में।
कोशिकाभित्ति रहित जीव जन्तुओं की श्रेणी में।
जन्तु-जगत की उत्पत्ति:
समुद्री जल को प्राथमिक जन्तुओं का उत्पत्ति स्थल माना गया, विशेषकर गहरे जल क्षेत्रों को। समय के साथ, कई संघों के सदस्य स्थलीय अनुकूलन द्वारा स्थलीय जन्तुओं में विकसित हो गए।
जन्तुओं के प्रमुख अभिलक्षण:
- यूकैरियोटिक और बहुकोशिकीय:
- कोशिकाभित्ति नहीं होती।
- विषमपोषी पोषण:
- क्लोरोफिल का अभाव। भोजन के लिए दूसरों पर निर्भर।
- वृद्धि:
- सभी अंगों में एक साथ होती है, लेकिन यह सीमित होती है।
- गतिशीलता:
- इन जीवों में गतिशीलता और प्रचलन पाया जाता है।
- उत्तेजनशीलता:
- अधिकांश जन्तुओं में तंत्रिका तंत्र (nerve system) होता है।
- लैंगिक प्रजनन:
- जन्तुओं में लैंगिक प्रजनन और उत्सर्जन तंत्र मौजूद होते हैं।
- प्राणीसम पोषण (Holozoic Nutrition):
- भोजन को ठोस रूप में निगल कर खाने की क्षमता।
- भोजन का संग्रहण:
- भोज्य पदार्थ ग्लाइकोजेन के रूप में संग्रहित होता है।