कोण, रेखीय युग्म एवं तिर्यक रेखाएं
- आसन्न कोण उभयनिष्ठ भुजा के विपरीत ओर बने दो कोण जिनके शीर्ष एक ही हों।
- रेखीय युग्म आसन्न कोण का ही विशेष प्रकार है। इनकी उभयनिष्ठ भुजा के अलावा अन्य दो भुजाएँ एक सरल रेखा बनाती हैं, जिसके एक ही ओर युग्म कोण बनते हैं।
- पूरक कोण यदि दो कोणों का योग 90° हो तो उनमें से प्रत्येक कोण एक दूसरे का पूरक कोण कहलाता है।
- सम्पूरक कोण यदि दो कोणों का योग 180° हो तो उनमें से प्रत्येक कोण एक दूसरे का सम्पूरक कोण कहलाता है।
- वह रेखा जो दो या दो से अधिक दी गई रेखाओं को अलग-अलग बिन्दुओं पर प्रतिच्छेद करती है, तिर्यक रेखा कहलाती है।
- एक तिर्यक रेखा किन्हीं दो रेखाओं को प्रतिच्छेद कर 8 कोण बनाती है जिनमें 4 अन्तःकोण एवं 4 बाह्य कोण होते हैं।
- जब दो रेखाओं को एक तिर्यक रेखा काटती है तो संगत कोण के चार युग्म, बाह्य एकातंर कोण के दो युग्म तथा अन्तःकोणों के दो युग्म बनते हैं।
- एक ही तल में स्थित ऐसी रेखाएँ जो परस्पर प्रतिच्छेद न करें, समांतर रेखाएँ कहलाती है।
- दो समांतर रेखाओं के बीच लम्बवत् दूरी सदैव एक समान रहती है।
- यदि कोई तिर्यक रेखा दो समांतर रेखाओं को प्रतिच्छेद करे तो
(1) संगत कोण युग्म के दोनों कोण आपस में बराबर होते हैं।
(ii) एकान्तर कोण युग्म के दोनों कोण आपस में बराबर होते हैं।
(iii) तिर्यक रेखा के एक ही ओर बने अन्तःकोण सम्पूरक होते हैं। (अर्थात् उनका योगफल 180° होता है।)
यदि दो रेखाओं को एक तिर्यक रेखा काटे और निम्नांकित में से कोई भी एक कथन सत्य हो –
(1) संगत कोणों के एक युग्म के कोण बराबर हैं।
(ii) एकांतर कोणों के एक युग्म के कोण बराबर है।
(iii) तिर्यक रेखा के एक ही ओर बने अन्तःकोण संपूरक हैं तो दी गई रेखाएँ परस्पर समांतर होती है।
- दो भुजाओं के बीच फैलाव या झुकाव को कोण का माप कहते हैं।
- किसी कोण को मापने की इकाई अंश या डिग्री है। इसे किसी संख्या के ऊपर (°) से दर्शाया जाता है। जैसे – 30°, 45°, 90°, 180°, 360°
- एक कोण जिसका मान 0° हो शून्य कोण कहलाता है।
0° और 90° के बीच हो न्यूनकोण कहलाता है।
90° के बराबर हो समकोण कहलाता है।
90° और 180° के बीच हो अधिक कोण कहलाता है।
180° हो तो वह सरल कोण कहलाता है।
180° और 360° के बीच हो प्रतिवर्ती कोण कहलाता है।
360° हो तो वह सम्पूर्ण कोण कहलाता है।