अध्याय 10: शून्य के दूसरी ओर (Notes)
1. पूर्णांक (Integers)
→ वे संख्याएँ जो धनात्मक (Positive), ऋणात्मक (Negative) या शून्य (Zero) हो सकती हैं।
→ इनमें भिन्न (Fractions) और दशमलव (Decimals) सम्मिलित नहीं होते।
उदाहरण: -3, -2, -1, 0, 1, 2, 3 …
2. शून्य (0)
→ यह किसी भी राशि की अनुपस्थिति को दर्शाता है।
→ संख्या रेखा पर यह धनात्मक और ऋणात्मक संख्याओं को अलग करता है।
3. धनात्मक संख्याएँ (Positive Numbers)
→ वे संख्याएँ जो शून्य से बड़ी होती हैं।
→ संख्या रेखा पर शून्य के दाईं ओर होती हैं।
उदाहरण: 1, 2, 3, 4 …
4. ऋणात्मक संख्याएँ (Negative Numbers)
→ वे संख्याएँ जो शून्य से छोटी होती हैं।
→ संख्या रेखा पर शून्य के बाईं ओर होती हैं।
उदाहरण: -1, -2, -3, -4 …
5. संख्या रेखा (Number Line)
→ संख्याओं को एक सीधी रेखा पर व्यवस्थित करने का तरीका।
→ प्रत्येक बिंदु एक संख्या का प्रतिनिधित्व करता है।
→ यह दोनों दिशाओं में अनंत (∞) तक फैली होती है।
6. संख्या किरण (Ray of Numbers)
→ संख्या रेखा का वह भाग जो किसी बिंदु (जैसे शून्य) से शुरू होकर एक ही दिशा में अनंत तक जाता है।
उदाहरण: प्राकृतिक संख्याओं को दर्शाने के लिए प्रयोग।
7. भिन्न (Fractions)
→ ऐसी संख्याएँ जो पूर्णांक नहीं होतीं।
→ दो पूर्णांकों के अनुपात के रूप में लिखी जाती हैं।
→ रूप: अंश ÷ हर (Numerator/Denominator)।
उदाहरण: ½, ¾, 12/34
8. भारतीय संख्यांकन पद्धति
→ इसमें 0 से 9 तक के अंकों का प्रयोग किया जाता है।
→ बड़ी और छोटी दोनों राशियों को आसानी से लिखा जा सकता है।
उदाहरण:
1,00,000 = एक लाख
10,00,000 = दस लाख
9. संपूर्ण संख्या रेखा (Complete Number Line)
→ इसमें शून्य, धनात्मक और ऋणात्मक सभी पूर्णांक सम्मिलित होते हैं।
→ यह सभी पूर्णांकों का पूरा चित्रण करती है।